एनजीटी सेंट्रल जोनल बेंच में मंगलवार को उज्जवल शर्मा द्वारा मोतिया तालाब के संबंध में लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में बताया गया कि एनएबीएल से सर्टिफाइड सीईएस एनालिटिकल एंड रिसर्च सर्विसेज प्रालि से मोतिया तालाब के पानी की जांच कराई गई। इसकी रिपोर्ट में पाया गया कि इसमें केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) 2000 मिग्रा प्रति लीटर पाया गया जबकि मापदंडों के अनुसार यह 250 मिग्रा होना चाहिए। इसी तरह बायोलोजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 248 मिग्रा प्रति लीटर पाया गया जो 50 मिग्रा होना चाहिए। यही नहीं टोटल सस्पेंडेड सॉलिड्स भी 4899 मिग्रा प्रति लीटर पाए गए जो 100 मिग्रा होना चाहिए। इसके चलते मोतिया तालाब के पानी में रहने वाले जीवों के लिए बहुत कम ऑक्सीजन बची है। इस तालाब को बचाने के लिए राज्य शासन और नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की है। यह स्थिति इस तालाब में मिल रहे सीवेज और सॉलिड वेस्ट डालने से बन रही है जिसे अभी तक नहीं रोका गया है।
जांच समिति बनाई, डेढ महीने में मांगी रिपोर्ट एनजीटी ने इस मामले में चार सदस्यीय जांच समिति बनाई है। समिति को मौका निरीक्षण कर 6 सप्ताह में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। समिति में एप्को की चीफ साइंटिफिक ऑफिसर डॉ विनीता विपट, एम्प्री के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ जयप्रकाश शुक्ला के साथ सीपीसीबी और एमपीपीसीबी के एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया है। एमपीपीसीबी को नोडल एजेंसी बनाया गया है। इसे साथ संबंधित एजेंसियों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा गया है। मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी।