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अब मां की कोख बनेगी संस्कारों की पाठशाला, एमपी में ‘डिवाइन गर्भ’ का नया प्रयोग

MP News: चक्रव्यूह में प्रवेश की कला अभिमन्यु ने मां के गर्भ में अर्जुन की बात सुनकर सीखी इसी सिद्धांत पर भोपाल में प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज (Prajapita Brahmakumaris) और गायत्री शक्तिपीठ (Gayatri Shaktipeeth) ने भावी पीढ़ी को संस्कारों से समृद्ध बनाने शुरू किया 'डिवाइन गर्भ' का अभियान....

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MP News: गायत्री शक्तिपीठ की ओर से ‘आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी’ अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं का किया गया पुंसवन संस्कार। - फोटो- पत्रिका.

MP News: महाभारत में अभिमन्यु की कथा बताती है कि गर्भस्थ शिशु भी सुनता, समझता व सीखता है। चक्रव्यूह में प्रवेश की कला अभिमन्यु ने मां के गर्भ में अर्जुन की बात सुनकर सीखी थी। इसी सिद्धांत पर भोपाल में प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज (Prajapita Brahmakumaris) और गायत्री शक्तिपीठ (Gayatri Shaktipeeth) ने भावी पीढ़ी को संस्कारों से समृद्ध बनाने की शुरुआत की है। मां की कोख संस्कारों की पाठशाला होगी।

अभिमन्यु की तरह गर्भस्थ शिशु पढ़ेगा सदाचार और आध्यात्मिकता का पाठ

अभिमन्यु के समान गर्भस्थ शिशु सदाचार व आध्यात्मिकता का पाठ पढ़ेगा। प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज में ‘डिवाइन गर्भ’ संस्कार के जरिए गर्भवती महिलाओं को राजयोग ध्यान, सात्विक आहार व आयुर्वेदिक मार्गदर्शन दिया जा रहा है। दो साल में 200 से अधिक माताएं लाभान्वित हुई हैं। मां और गर्भस्थ शिशु के बीच दिव्य संबंध बना। उन्हें मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक रूप से जागरूक किया गया।

संस्कारवान पीढ़ी

गायत्री शक्तिपीठ ‘आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी’ अभियान चला रहा है। इसमें महिला पुरोहित पुंसवन संस्कार कराती हैं। पिछले दो साल में एक हजार से अधिक महिलाओं के पुंसवन संस्कार किए हैं। शक्तिपीठ में रोज विभिन्न वैदिक संस्कार होते हैं। अस्पतालों में जाकर भी गर्भवती माताओं से संपर्क कर उन्हें संस्कारों से जोड़ा जाता है।

मां के अनुभव महसूस करता है गर्भस्थ शिशु

डॉक्टर्स मानते हैं कि गर्भ में पल रहा शिशु मां के हर अनुभव को महसूस करता है। दोनों संस्थानों का दावा है कि योग, ध्यान और आचरण की शिक्षा मां के माध्यम से ही बच्चे को मिलती है। यह पहल आधुनिक विज्ञान के साथ प्राचीन परंपरा की पुनर्स्थापना है।

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