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टोल सड़क कंपनियों पर अफसर मेहरबान, जर्जर सड़़कों का लिया कब्जा

locationभोपालPublished: Nov 06, 2019 11:25:59 pm

Submitted by:

harish divekar

– सीटीई ने एक माह पहले ही रिपोर्ट देकर कहा था, ठेका खत्म होने से पहले ठेकेदार से बनवाए सड़क- एमपीआरडीसी के अफसरों ने दबाई रिपोर्ट – अब इसी सड़क को नए सिरे से बनाकर ठेके पर देने की तैयारी

People walk on crores of roads with difficulty

People walk on crores of roads with difficulty

बीओटी की सड़कें बनाने वाली कंपनियों पर एमपीआरडीसी के अफसर मेहरबान हैं। यही वजह है कि टोल सड़क का ठेका खत्म होने पर जर्जर सड़कों का गुप-चुप रुप से कब्जा तक लेकर सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई। इसका खुलासा हाल ही में मुख्य तकनीकी परीक्षक, सतर्कता (सीटीई) की रिपोर्ट से हुआ। सीटीई ने बीओटी मॉडल पर बनी होशंगाबाद-पिपरिया-मटकुली-पचमढ़ी सड़क का ठेका खत्म होने के एक माह पहले ही एमपीआरडीसी को रिपोर्ट देकर कहा था कि यह सड़क जर्जर है, ऐसे में ठेका खत्म होने से पहले ठेकेदार से इसकी मरम्मत करा ली जाए।
एमपीआरडीसी के अफसरों ने टोल सड़क कंपनी चेतक इंटरप्राइजेज का ठेका खत्म होने तक सीटीई की रिपोर्ट को दबाए रखा। ठेके की अवधि समाप्त होने पर कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए गुपचुप रुप से जर्जर सड़क का कब्जा ले लिया।

एमपीआरडीसी के नियमों के हिसाब से टोल सड़क को जिस हालात में दिया जाता है ठेकेदार को अवधि पूर्ण होने पर उसी हालात में सौंपना होता है। यदि सड़क क्षतिग्रस्त या जर्जर है तो ठेकेदार को मरम्मत करके देना अनिवार्य है। लेकिन अफसरों की मिलीभगत के चलते सड़क कंपनियां टोल टैक्स लेने के बावजूद निर्धारित अवधि में सड़कों की मरम्मत नहीं कर रही हैं।
नतीजतन सड़कें उखड़ रही हैं और जर्जर हो रही हैं। नियम तो यह भी कहता है कि खराब सड़कों पर ठेकेदार टोल टैक्स नहीं ले सकता। इसके बावजूद ये सड़क कंपनियां खुले आम क्षतिग्रस्त सड़कों पर टोल टैक्स भी लेती हैं। एमपीआरडीसी में शिकायत होने पर कोई कार्रवाई भी नहीं की जाती।

सीटीई ने ये दी थी रिपोर्ट
सीटीई ने चन्द्र प्रकाश अग्रवाल ने 29 अक्टूबर 2018 को बीओटी मॉडल पर बनी होशंगाबाद-पिपरिया-मटकुली-पचमढ़ी सड़क की निरीक्षण रिपोर्ट एमपीआरडीसी को सौंपी थी। इसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि चेतक इंटरप्राईजेज ने 15 साल की टोल अवधि में सड़क की समय-समय पर मरम्मत नहीं करवाई। होशंगाबाद से पिपरिया के बीच अलग-अलग भाग में 21 किमी में घटिया तरीके से निर्माण कराया। सड़क के दोनों साइड न तो जंगल क्लीयरेंस किया न ही पेड़ों पर सफेद पट्टे लगाए। रास्ते में आने वाले पुल-पुलियों की रैलिंग, पैरापेटवाल, पुल के जोड़ भी क्षतिग्रस्त पाए गए। इनका नया निर्माण कराना आवश्यक है। डामर की सड़क को नए सिरे से बनाने कांक्रीट सड़क वाले हिस्से को सुधारने की आवश्यकता है। सीटीई अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा कि 8 नवंबर 2018 को चेतक इंटरप्राईजेज की टोल अवधि समाप्त हो रही है।

जर्जर सड़कों पर करोड़ों खर्च करेगी सरकार
टोल अवधि समाप्त होने के बाद एमपीआरडीसी अब क्षतिग्रस्त सड़कों को करोड़ों रुपए खर्च कर बनाने जा रही है। सड़कों के बनने के बाद एक बार फिर चलाओ और मरम्मत करो (ओएमटी) मॉडल पर इन्हें ठेके पर दिया जाएगा। इसके लिए जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा।

इन कंपनियों ने सौंपी जर्जर सड़कें
– इंदौर-सनावद-बुरहानपुर की टोल सड़क का ठेका विवा हाईवेज प्राईवेट लिमिटेड नासिक ने लिया था। टोल अवधि समाप्त होने के बाद एमपीआरडीसी को 2018 में जर्जर सड़क सौंपी।
– उज्जैन-आगर-सुसनेर-झालावाड़ की टोल सड़क का ठेका अग्रोह इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर प्राईवेट लिमिटेड ने लिया था, इस कंपनी ने 2016 में जर्जर हालात में छोड़ी।

– होशंगाबाद-हरदा-खंडवा टोल सड़क का ठेका बड़ौदा की एमएसके इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड टोल ब्रिज प्राईवेट लिमिटेड को दिया गया था। इस कंपनी ने भी 2017 में एमपीआरडीसी को क्षतिग्रस्त सड़क सौंपी।
– जबलपुर-नरसिंहपुर-पिपरिया टोल सड़क का ठेका जलगांव की तापी प्रेस्टेरेस्ड प्रोडक्टस लिमिटेड ने 2016 में ठेका पूरा होने पर खराब हालात में सड़क छोड़ी।
– रायसेन-राजगढ़ टोल सड़क का ठेका एमएसके इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दी थी। टोल अवधि पूरी होने पर इन्होंने भी 2018 में जर्जर सड़क एमपीआरडीसी को सौंपी।
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