सीटीई ने ये दी थी रिपोर्ट
सीटीई ने चन्द्र प्रकाश अग्रवाल ने 29 अक्टूबर 2018 को बीओटी मॉडल पर बनी होशंगाबाद-पिपरिया-मटकुली-पचमढ़ी सड़क की निरीक्षण रिपोर्ट एमपीआरडीसी को सौंपी थी। इसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि चेतक इंटरप्राईजेज ने 15 साल की टोल अवधि में सड़क की समय-समय पर मरम्मत नहीं करवाई। होशंगाबाद से पिपरिया के बीच अलग-अलग भाग में 21 किमी में घटिया तरीके से निर्माण कराया। सड़क के दोनों साइड न तो जंगल क्लीयरेंस किया न ही पेड़ों पर सफेद पट्टे लगाए। रास्ते में आने वाले पुल-पुलियों की रैलिंग, पैरापेटवाल, पुल के जोड़ भी क्षतिग्रस्त पाए गए। इनका नया निर्माण कराना आवश्यक है। डामर की सड़क को नए सिरे से बनाने कांक्रीट सड़क वाले हिस्से को सुधारने की आवश्यकता है। सीटीई अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा कि 8 नवंबर 2018 को चेतक इंटरप्राईजेज की टोल अवधि समाप्त हो रही है।
जर्जर सड़कों पर करोड़ों खर्च करेगी सरकार
टोल अवधि समाप्त होने के बाद एमपीआरडीसी अब क्षतिग्रस्त सड़कों को करोड़ों रुपए खर्च कर बनाने जा रही है। सड़कों के बनने के बाद एक बार फिर चलाओ और मरम्मत करो (ओएमटी) मॉडल पर इन्हें ठेके पर दिया जाएगा। इसके लिए जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा।
इन कंपनियों ने सौंपी जर्जर सड़कें
– इंदौर-सनावद-बुरहानपुर की टोल सड़क का ठेका विवा हाईवेज प्राईवेट लिमिटेड नासिक ने लिया था। टोल अवधि समाप्त होने के बाद एमपीआरडीसी को 2018 में जर्जर सड़क सौंपी।
– उज्जैन-आगर-सुसनेर-झालावाड़ की टोल सड़क का ठेका अग्रोह इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर प्राईवेट लिमिटेड ने लिया था, इस कंपनी ने 2016 में जर्जर हालात में छोड़ी।
– जबलपुर-नरसिंहपुर-पिपरिया टोल सड़क का ठेका जलगांव की तापी प्रेस्टेरेस्ड प्रोडक्टस लिमिटेड ने 2016 में ठेका पूरा होने पर खराब हालात में सड़क छोड़ी।
– रायसेन-राजगढ़ टोल सड़क का ठेका एमएसके इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दी थी। टोल अवधि पूरी होने पर इन्होंने भी 2018 में जर्जर सड़क एमपीआरडीसी को सौंपी।