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One Nation One Election: 80% नागरिकों ने किया समर्थन, CM ने बताया ऐतिहासिक कदम

One Nation One Election: केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' को हरी झंडी दे दी है। केंद्र सरकार ने इसके लिए कमिटी का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट के अनुसार 80% नागरिकों ने इसका समर्थन किया।

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One Nation One Election

One Nation One Election

One Nation One Election: देश में एक बार फिर 'एक देश एक चुनाव' की चर्चा शुरु हो गई है। इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी जिसकी रिपोर्ट को अब मंजूरी मिल गई है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव को सदन में पेश कर सकती है। राजनीतिक मामलों के जानकारों का भी मानना है कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' लागू करना काफी कठिन है।

क्या होगा एमपी पर असर

मध्य प्रदेश में विधानसभा का कार्यकाल 2028 में खत्म होगा। इस हिसाब से मध्य प्रदेश की वर्तमान विधानसभा की अवधि एक वर्ष बढ़कर 2029 तक होने की संभावना है। यानी 16वीं विधानसभा के सदस्यों का कार्यकाल पांच के स्थान पर छह वर्ष का रहेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारतीय लोकतंत्र ने एक राष्ट्र एक चुनाव की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। सीएम ने कहा कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की पहल से न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों को और मजबूती मिलेगी, बल्कि यह संसदीय प्रणाली में ऐतिहासिक सुधार भी साबित होगा।

वन नेशन वन इलेक्शन समिति

केंद्र सरकार ने 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में वन नेशन वन इलेक्शन का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए आठ सदस्यीय समिति बनाई थी। समिति ने इसी साल 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 8,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी।

कोविंद समिति ने सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक करने का सुझाव दिया था। अगर 2029 तक 'एक राष्ट्र एक चुनाव' लागू होता है तो कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल समय से पहले खत्म करना पड़ेगा, जबकि कुछ राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।

एक साथ चुनाव की जरूरत क्यों

भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कार्यकाल पूरा होने के हिसाब से अलग-अलग समय पर कराए जाते हैं। 'एक राष्ट्र एक चुनाव' लागू होने से लोकसभा के साथ सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे। मतदाता एक ही दिन सांसद और विधायक दोनों को चुनने के लिए वोट करेंगे। इससे देश में पांच साल में सिर्फ बार चुनाव कराने की जरूरत पड़ेगा।