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parali पराली जलाने से लाल हो रही धरती, 1.46 लाख हेक्टेयर रकबे में से 20 फीसदी किसानों ने जलाई नरवाई तो आएगी…

पराली जलाने से जमीन का तापमान बढ़कर हो जाता है 60 से 65 डिग्री, सामान्य तापमान में 2 डिग्री से ज्यादा बढ़त - साइंस बताता है कि एक वर्ग किमी क्षेत्र के एक हेक्टेयर में पराली जलाने से मौजूदा तापमान में दो डिग्री की बढ़त हो रही, इस कारण शहर के कई इलाकों में सामान्य से ज्यादा है तापमान

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parali पराली जलाने से लाल हो रही धरती, 1.46 लाख हेक्टेयर रकबे में से 20 फीसदी किसानों ने जलाई नरवाई तो आएगी...

parali पराली जलाने से लाल हो रही धरती, 1.46 लाख हेक्टेयर रकबे में से 20 फीसदी किसानों ने जलाई नरवाई तो आएगी...

भोपाल. बावडिय़ाकला, कोलार, रतनपुर, जाटखेड़ी, रिंग रोड, परवलिया सड़क, बैरसिया, सीहोर रोड, रायसेन रोड व अन्य स्थानों पर खेतों पर पराली जलाने की जानकारी मिल रही है। रात के अंधेरे में इसे जलाने वाले ये नहीं जानते हैं पराली जलाने से उनके खेत तो साफ हो जाएंगे, लेकिन जमीन और वातावरण में जो तपिश उनके द्वारा घोली जा रही है, उसका असर रात से ही दिखने लगता है। अगले दिन सुबह तक असर और प्रभावती हो जाता है। ये बात हम नहीं खुद विज्ञान और कृषि विभाग स्वीकार करता है। साइंटिस्ट सुभाष सी पांडे बताते हैं कि एक वर्ग किमी क्षेत्र के एक हेक्टेयर में पराली जलाने से तापमान में दो डिग्री से ज्यादा की बढ़त होती है। वहीं कृषि विभाग का कहना है कि जिस स्थान पर पराली जलाई जाता है, उस जमीन का तापमान 60 से 65 डिग्री हो जाता है।

कृषि विभाग के संयुक्त संचालक बीएल बिलैया ने बताया कि पराली जलाने से खेत की मिट्टी में पाये जाने वाले लाभदायक जीवाणु एवं मित्र कीट आदि नष्ट हो जाते हैं । ये सूक्ष्म जीवाणु खेतों में डाले गए खाद एवं उर्वरक को तत्व के रूप में घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते हैं। कृषि विभाग की उप संचालक सुमन प्रसाद ने बताया कि उनके पास बैरसिया से कुछ शिकायतें मिली हैं।

1.46 लाख हेक्टेयर रकबे में बोयी फसल
इस वर्ष भोपाल के किसानों ने 1.46 लाख हेक्टेयर में फसल बोई है। पिछले वर्ष की तुलना में ये .5 फीसदी ज्यादा है। वर्ष 2021-22 में ये रकबा 1.41 लाख हेक्टेयर था। जानकारों की मानें तो इसमें से 15 फीसदी रकबे की पराली भी किसानों ने जलाई तो भोपाल ही नहीं आस-पास के जिलों के प्रदूषण पर इसका असर पड़ेगा। संभाग में सबसे ज्यादा फसल का रकबा विदिशा में 3.58 लाख हेक्टेयर, सीहोर में 1.98 लाख हेक्टेयर तो रायसेन में 2.76 लाख हेक्टेयर है। हर जिले में 15 से 20 फीसदी पराली जली तो पर्यावरण के लिए स्थिति चिंताजनक हो सकती है।

एनजीटी ने धारा-144 के उपयोग के लिए भी कहा

पराली के संबंध में दिए गए आदेश में एनजीटी ने कलेक्टरों को नरवाई जलाने पर धारा-144 का उपयोग करने तक के आदेश दिए हैं। लेकिन यहां पर्यावरण विभाग मंत्रालय द्वारा किए गए नोटिफिकेशन के संबंध में ही कार्रवाई नहीं हो पा रही। इसमें दो एकड़ से कम में नरवाई जलाने पर 2500 रूपए , दो एकड़ से पांच एकड़ तक 5000 हजार रूपये एवं पांच एकड़ से अधिक पर नरवाई जलाने में 15000 रूपये का जुर्माना करने का प्रावधान है।

वर्जन
पराली जलाने के संबंध में आदेश जारी किया हुआ है। अगर कहीं पराली जलाई जा रही है तो इसे संज्ञान लेकर कार्रवाई कराई जाएगी।

अविनाश लवानिया, कलेक्टर