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भोपाल. ukraine russia conflict के बाद भारत से बाहर पढ़ने जाने वाले और दुनिया के दूसरे देशों में बसे लोगों के बारे में एक नई चर्चा शुरू हुई है। प्रदेश के भी 500 से ज्यादा लोगों बचाकर लाया गया। हालांकि यह आकड़ा बड़ा है पर देशभर में पासपोर्ट बनवाने वालों का आंकड़ा देखें तो Madhya Pradesh नीचे से चौथे नंबर पर हैं। हमसे पीछे सिर्फ छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय ही हैं। प्रदेश में वर्ष 2014 से जनवरी 2022 तक प्रति एक हजार लोगों में से सिर्फ 16 लोगों ने ही पासपोर्ट बनवाए हैं, जबकि इस दौरान देश में कुल 8.41 करोड़ पासपोर्ट बने। विदेश मंत्रालय के इस आकड़े से देश का औसत 62 पासपोर्ट प्रति हजार होता है, जिससे प्रदेश बहुत पीछे है। पासपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि हम अपने घर में ही खुश रहना चाहते हैं। प्रदेश के लोग सिर्फ दुनिया घूमने और अन्य कामकाज की वजह से विदेश जाते हैं।
केरल के लोग सबसे आगे
पासपोर्ट बनवाने वाले में केरल सबसे आगे है। यहां एक हजार में से औसतन 244 लोगों ने पासपोर्ट बनाया। इसकी बड़ी वजह खाड़ी देशों में कामकाज के लिए जाना और बड़ी संख्या में नर्सिंग से जुड़े लोगों का देश से बाहर वर्किग वीजा पर जाना है। इसके बाद गोवा 233 और फिर पंजाब 203 है। यहां के लोगों का कनाड़ा और अमेरिकी देशों में बसे रिश्तेदारों से मेलमिलाप है।
सबसे पिछड़े दस राज्य
छत्तीसगढ़ 11
अरुणाचल प्रदेश 14
मेघालय 15
मध्यप्रदेश, असम 16
नगालैंड, झारखंड 17
ओडिशा, बिहार 18
मणिपुर 23
प्रदेश में इतने पासपोर्ट
2014 141789
2015 162591
2016 147026
2017 172472
2018 228513
2019 220206
2020 92062
2021 112723
2022 23009 फरवरी तक
कुल 13,11,008
एक्सपर्ट व्यू
शिक्षा, नौकरी, पर्यटन, परिजन से मिलने और स्वास्थ्य कारणों से लोग विदेश जाते हैं। विभिन्न राज्यों में पासपोर्ट आवेदन के अलग-अलग कारण हैं। मप्र में संख्या कम विदेश जाने की कम इच्छा भी हो सकती है। इसके लिए टूरिज्म पर अपनी डिस्पोजेबल आय बढ़ाने की जरूरत है, छात्रों को अच्छी छात्रवृत्ति देकर विदेश जाने वालों की संख्या बढ़ा सकते हैं।
प्रोफेसर प्रशांत सलवान, IIM इंदौर
Published on:
18 Mar 2022 08:30 pm
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