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राजधानी के साहू परिवार को सबसे पहले राष्ट्रपति ने दिया था रावण बनाने का ऑर्डर

पिछले 59 साल से रावण, कुंभकरण और मेघनाद का पुतला बना रहा साहू परिवार, भेल की रामलीला की अपनी अलग पहचान

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राजधानी के साहू परिवार को सबसे पहले राष्ट्रपति ने दिया था रावण बनाने का ऑर्डर

भोपाल/भेल। भेल के नटराज हॉल में रावण का पुतला बनाने का काम साहू परिवार बीते 59 साल से कर रहा है। पिता नन्नूलाल साहू के अस्वस्थ होने के कारण यह काम उनके बेटे ओमप्रकाश साहू, मोहन साहू और सोहन साहू संभाल रहे हैं। मोहन ने बताया कि वह रावण का पुतला बनाने का काम छह माह पहले शुरू कर देते हैं। औसतन 10 फीट से 51 फीट तक का पुतला बनाते हैं।

ओमप्रकाश ने बताया कि छोला दशहरा मैदान में रावण दहन के लिए सबसे पहले पुतले का ऑर्डर पूर्व राष्ट्रपति स्व. शंकरदयाल शर्मा ने वर्ष 1968 में दिया था। पहले केवल भेल और छोला दशहरा मैदान के लिए ही पुतले बनाते थे। 51 फीट के एक पुतले पर करीब 50 हजार रुपए की लागत आती है। राजधानी के अलावा बुधनी, मंडीदीप, औबेदुल्लागंज, शाहगंज, सीहोर, रायसेन आदि के लिए भी ऑर्डर पर पुलते बनाते हैं। पुतले के लिए कच्चा माल रंगीन पेपर, कागज की शीटें, कॉटन कपड़ा, टाट पट्टियां, फुट्टे, बांस- बल्लियां और ऑइल पेंट दिल्ली से मंगाते हैं। ये चीजें जलने के बाद पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।

यहां की रामलीला 59 साल पुरानी

भेल में बीते 59 साल से लगातार रामलीला का मंचन किया जा रहा है। यह मंचन भेल के अधिकारी और कर्मचारियों के सहयोग से किया जाता है। इस बार भी 11 अक्टूबर से सात दिवसीय रामलीला का मंचन पिपलानी ग्राउंड में किया जाएगा, सांस्कृतिक कार्यक्रम का नेतृत्व विविध कला विकास समिति द्वारा किया जाएगा। रामलीला 11 से 19 अक्टूबर तक होगी।

समिति के अध्यक्ष एम हलधर और महासचिव शिव कुमार साहू ने बताया कि भेल की इस ऐतिहासिक रामलीला में लगभग 65 कलाकार हैं, जो राम-सीता समेत वानर और राक्षस के पात्रों का रोल अदा करते हैं। साथ ही नारद, इंद्र समेत अन्य देवी-देवता का भी रोल करते हैं। इस वर्ष मुख्य कलाकारों में राम की भूमिका लोकेश मौर्य निभाएंगे। स्वाति सिंह सीता, मंयक लक्ष्मण, राहुल सिंह हनुमान, सचिन आर्य भरत, हिम्मत राव पाटिल रावण, जगदीश गुप्ता अंगद का रोल करेंगे। वहीं भेल के एजीएम अविनाश चंद्रा इंद्र का रोल करते हैं। चंद्रा की अभिनय में रुचि होने के कारण यह रामलीला लोगों में अपनी छाप छोड़ चुकी है।

सबसे पहले 1958 में रामलीला

भेल में सबसे पहले 1958 में रामलीला की शुरुआत हुई थी। साहू ने बताया, रामलीला 10 अक्टूबर को सुंदर कांड और रंगमंच पूजन से होगी। 11 अक्टूबर को रामलीला का उद्घाटन, नारद मोह और श्रवण प्रसंग होगा। 12 अक्टूबर से राम जन्म, राम विवाह, 13 को कैकेयी संवाद, राम वनवास गमन, 14 को चित्रकूट में भरत- राम मिलाप, जटायु संवाद, 15 को सीता हरण, 16 को लंका दहन, 17 को कुंभकरण, मेघनाद वध, 18 को अहिरावण, हनुमान- मकरध्वज युद्ध होगा। अंत में 19 अक्टूबर को भेल दशहरा मैदान पर राम- रावण युद्ध और रावण दहन के साथ रामलीला का समापन होगा।