इस सीट पर पिछली बार की तुलना में करीब चार लाख मतदाता बढ़े हैं। ऐसे में यह भी बड़ा सवाल है कि आखिर यह किस तरफ जाएंगे। प्रताप सिंह लोधी के लिए चुनौती है कि वह किस तरह इन नए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करेंगे? इन सबके बीच में सबसे बड़ा मुद्दा यहां का पेयजल से लेकर सिंचाई की व्यवस्था है। प्रहलाद इस इलाके में बड़े नेताओं में शुमार होते हैं, लेकिन उनके प्रयास इसके लिए नाकाफी रहे हैं। बेरोजगारी और पलायन जैसा मुद्दा पूरे बुंदेलखंड में सुरसा की तरह बढ़ रहा है। दुर्भाग्य ऐसा है कि यहां के सांसद कभी दिल्ली में खड़े होकर इस पर बात नहीं करते हैं। विकास के नाम पर सड़कें ही दिखाई देती हैं। जिसमें स्थानीय सांसदों की भूमिका कम ही होती है। सवाल कांग्रेस के खेमे में भी है, उनके पास भी बताने के लिए कोई रोडमैप नहीं है। भाजपा प्रत्याशी को मोदी लहर से आस है। कांग्रेस के प्रत्याशी को मुख्यमंत्री कमलनाथ और न्याय योजना के सहारे बेड़ा पार होने उम्मीद है। जित्तू खरे तो दोनों के बिगडऩे वाले खेल से ही उम्मीद संजोए हुए हैं। अब उम्मीद किसकी पूरी होगी, यह तो चुनाव के परिणाम ही बताएंगे।
* प्रहलाद पटेल
– ताकत
भाजपा के दिग्गज नेता, मोदी के सहारे नैया पार लगाने की कोशिश। चुनाव मैनेजमेंट के सहारे जीत की तैयारी और विरोधी नेताओं से मान-मनोव्वल में जुटे।
– कमजोरी
पांच साल क्षेत्र से दूरी। कई सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को हरवाने के आरोप लगे हैं। जिसके कारण कई बड़े नेता और कार्यकर्ता पूरे चुनाव से दूरी बनाए हुए हैं। परिवार के लोगों की आपराधिक छवि भी नुकसान दे रही है।
* प्रताप सिंह लोधी
– ताकत
एक सुलझे हुए नेता की छवि। जातीय आधार पर मजबूत। बिखरी हुई कांग्रेस को एक करने में सफल साबित हुए। स्थानीय होने का फायदा। चार विधानसभाओं में कांग्रेस के विधायक होना।
– कमजोरी
चुनाव मैनेजमेंट में कमजोर। कुछ लोगों तक सीमित, जिसका असर उन्हें विधानसभा में भी देखने को मिला था।
* प्रहलाद पटेल
– ताकत
भाजपा के दिग्गज नेता, मोदी के सहारे नैया पार लगाने की कोशिश। चुनाव मैनेजमेंट के सहारे जीत की तैयारी और विरोधी नेताओं से मान-मनोव्वल में जुटे।
– कमजोरी
पांच साल क्षेत्र से दूरी। कई सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को हरवाने के आरोप लगे हैं। जिसके कारण कई बड़े नेता और कार्यकर्ता पूरे चुनाव से दूरी बनाए हुए हैं। परिवार के लोगों की आपराधिक छवि भी नुकसान दे रही है।
* प्रताप सिंह लोधी
– ताकत
एक सुलझे हुए नेता की छवि। जातीय आधार पर मजबूत। बिखरी हुई कांग्रेस को एक करने में सफल साबित हुए। स्थानीय होने का फायदा। चार विधानसभाओं में कांग्रेस के विधायक होना।
– कमजोरी
चुनाव मैनेजमेंट में कमजोर। कुछ लोगों तक सीमित, जिसका असर उन्हें विधानसभा में भी देखने को मिला था।