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भाजपा की सुरक्षित सीट पर प्रहलाद की परीक्षा, जानें क्यों और कैसे

locationभोपालPublished: Apr 25, 2019 09:28:37 pm

Submitted by:

anil chaudhary

दमोह संसदीय क्षेत्र : कांग्रेस के प्रताप को मुख्यमंत्री कमलनाथ और पार्टी के ‘न्यायÓ के दावे का दम

Loksabha chunav

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शैलेंद्र तिवारी, दमोह. दमोह पहुंचे तो दिमाग में एक ही सवाल था कि भाजपा के दिग्गज नेता प्रहलाद पटेल का अपनी ही लोकसभा सीट पर क्या हाल है? चुनाव की घोषणा से ठीक पहले तक उनके सीट बदलने की चर्चा भी थी। कहा जा रहा था कि विधानसभा चुनाव के वक्त दमोह में हुए भाजपा के विद्रोह की आंच इस चुनाव में भी तंग करेगी। यही वजह रही कि कभी होशंगाबाद से चुनाव लडऩे की बातें हुई तो कभी कमलनाथ की छिंदवाड़ा सीट पर मुकाबला करने की। दरअसल, प्रहलाद के जितने चाहने वाले होते हैं, उतने ही वह विरोधी अपने आसपास बना लेते हैं। यही वजह है कि दमोह में चुनाव विरोधियों से कम अपनों से ज्यादा लडऩा पड़ रहा है। ये पार्टी का दबाव है कि भाजपा के लोग उनके खिलाफ खुलकर सामने नहीं आए हैं, लेकिन चुनावी गुणा-गणित में अंगुलियों पर गिने जा रहे हैं।
जयंत मलैया सागर से दावेदारी के नाम पर खामोशी से घर के भीतर बैठे थे, लेकिन जब सागर से टिकट नहीं मिला तो पार्टी ने उन पर बाहर निकलकर चुनाव प्रचार का दबाव बनाया। यही वजह है कि वह भी अनमने ढंग से बाहर आ गए हैं, लेकिन उनकी हार का दर्द प्रहलाद की तस्वीर के सामने उभर जाता है। वे प्रहलाद के नामांकन तक में नहीं गए थे। ये दर्द तो नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का भी है, बस वह बोल नहीं पा रहे हैं। यही वजह है कि भार्गव ने जबलपुर लोकसभा का प्रभारी बनना मंजूर कर लिया और यहां के चुनाव से दूरी बना ली। लखन पटेल और राघवेंद्र लोधी भी कटे-कटे दिख रहे हैं।
दमोह लोधी बाहुल्य लोकसभा सीट है। इसमें दमोह, बड़ा मलहरा, पथरिया, देवरी, रेहली, बंडा, जबेरा और हटा विधानसभा सीट हैं। भाजपा 2013 के विधानसभा चुनाव के समय छह सीटें जीतकर आई थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ दो ही जीत सकी थी। जबकि 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत दर्ज की। पथरिया सीट पर बसपा जीतकर आई। भाजपा के खाते में सिर्फ तीन सीटें रह गईं। यह गणित भी प्रहलाद के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है।
प्रहलाद के सामने कांग्रेस ने जबेरा के पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी को मैदान में उतारा है। जातीय आधार पर बात करें तो प्रताप अपनी जाति के लोगों के ज्यादा करीब हैं, बजाय प्रहलाद के। इस सीट पर लोधी और कुर्मी वोट जीत का आधार तय करते रहे हैं। ऐसे में कुर्मियों के वोट पर सेंधमारी के लिए बसपा ने लोक गायक जित्तू खरे को टिकट दिया है। जिनके चुनाव का जिम्मा बसपा विधायक रामबाई सिंह के हिस्से है। वहीं, कांग्रेस के लिए कुर्मी वोटों को साधने का जिम्मा भाजपा के पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसमरिया को मिला हुआ है, जिन्हें इस इलाके में कुर्मियों का नेता कहा जाता है।
इस सीट पर पिछली बार की तुलना में करीब चार लाख मतदाता बढ़े हैं। ऐसे में यह भी बड़ा सवाल है कि आखिर यह किस तरफ जाएंगे। प्रताप सिंह लोधी के लिए चुनौती है कि वह किस तरह इन नए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करेंगे? इन सबके बीच में सबसे बड़ा मुद्दा यहां का पेयजल से लेकर सिंचाई की व्यवस्था है। प्रहलाद इस इलाके में बड़े नेताओं में शुमार होते हैं, लेकिन उनके प्रयास इसके लिए नाकाफी रहे हैं। बेरोजगारी और पलायन जैसा मुद्दा पूरे बुंदेलखंड में सुरसा की तरह बढ़ रहा है। दुर्भाग्य ऐसा है कि यहां के सांसद कभी दिल्ली में खड़े होकर इस पर बात नहीं करते हैं। विकास के नाम पर सड़कें ही दिखाई देती हैं। जिसमें स्थानीय सांसदों की भूमिका कम ही होती है। सवाल कांग्रेस के खेमे में भी है, उनके पास भी बताने के लिए कोई रोडमैप नहीं है। भाजपा प्रत्याशी को मोदी लहर से आस है। कांग्रेस के प्रत्याशी को मुख्यमंत्री कमलनाथ और न्याय योजना के सहारे बेड़ा पार होने उम्मीद है। जित्तू खरे तो दोनों के बिगडऩे वाले खेल से ही उम्मीद संजोए हुए हैं। अब उम्मीद किसकी पूरी होगी, यह तो चुनाव के परिणाम ही बताएंगे।
* प्रहलाद पटेल
– ताकत
भाजपा के दिग्गज नेता, मोदी के सहारे नैया पार लगाने की कोशिश। चुनाव मैनेजमेंट के सहारे जीत की तैयारी और विरोधी नेताओं से मान-मनोव्वल में जुटे।
– कमजोरी
पांच साल क्षेत्र से दूरी। कई सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को हरवाने के आरोप लगे हैं। जिसके कारण कई बड़े नेता और कार्यकर्ता पूरे चुनाव से दूरी बनाए हुए हैं। परिवार के लोगों की आपराधिक छवि भी नुकसान दे रही है।
* प्रताप सिंह लोधी
– ताकत
एक सुलझे हुए नेता की छवि। जातीय आधार पर मजबूत। बिखरी हुई कांग्रेस को एक करने में सफल साबित हुए। स्थानीय होने का फायदा। चार विधानसभाओं में कांग्रेस के विधायक होना।
– कमजोरी
चुनाव मैनेजमेंट में कमजोर। कुछ लोगों तक सीमित, जिसका असर उन्हें विधानसभा में भी देखने को मिला था।
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