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तेंदूपत्ता बोनस राशि में अध्यक्षीय कोटे पर कटौती की तैयारी

- तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलेगी 80 फीसदी बोनस की राशि, पहले मिलती थी 70 फीसदी - प्रति वर्ष लगभग एक हजार करोड़ रूपए का होता है तेंदूपत्ता संग्रहण

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भोपाल

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Ashok Gautam

Sep 10, 2021

68 lakh rupees tendu leaves stolen

68 lakh rupees tendu leaves stolen

भोपाल। मध्यप्रदेश लघु वनोपज संघ अध्यक्षीय कोटे पर कैची चलाने की तैयारी कर रहा है। वहीं तेंदूपत्ता मजदूरों को अब 80 फीसदी राशि उनके हाथ में देगा। इस प्रस्ताव को संघ 22 सितम्बर को आयोजित होने वाली संचालक मंडल की बैठक में रखेगा। संचालक मंडल की सहमति के बाद इस प्रस्ताव पर इसी वर्ष से अमल किया जाएगा। प्रदेश में करीब 40 लाख के आस पास तेंदूपत्ता संग्राहक हैं।
मध्यप्रदेश लधु वनोपज संघ प्रति वर्ष 900 सौ से लेकर 1000 करोड़ रूपए का तेंदूपत्ता मजदूरों से संग्रहित कराता है। इसमें करीब 500 करोड़ रूपए लाभांश के रूप में मिलता है। पांच सौ करोड़ रूपए में से मजदूरों को 70 फीसदी राशि लाभांश प्रति वर्ष बांटा जाता है और 30 फीसदी राशि संघ के पास रहता है।

इसमें से 15 फीसदी राशि विकास कार्यों पर खर्च की जाती है और 15 फीसदी राशि पौधरोपण पर खर्च की जाती है। अधोसंरचना विकास में मिलने वाली 15 फीसदी राशि में 5 फीसदी राशि अध्यक्षीय कोटा होता है। संघ का अध्यक्ष अपने विवेकाधिकार से किसी भी क्षेत्र में विकास कार्य कराता है।

विकास की निधि ही 15 से कम करके दस अथवा पांच फसदी तक करने की तैयारी है। इसे पर निर्णय संचालक मंडल में होना है कि अधोसंरचना की राशि दस फीसदी की जाए अथवा पांच फीसदी की जाए। इससे अध्यक्षीय कोटे में मिलने वाली राशि अपने आप कम हो जाएगी। वर्तमान में अध्यक्षीय कोटे की राशि 6 से 7 करोड़ रूपए होती है।


पूर्व में अध्यक्षों ने रोक रखा था प्रस्ताव

इस तरह का प्रस्ताव कांग्रेस सरकार के समय तैयार हुआ था। उस दौरान इस प्रस्ताव को अध्यक्ष वीरेन्द्र गिरी ने संचालक मंडल में ही आने नहीं दिया। वर्तमान में मप्र लधु वनोपज संघ में प्रशासक हैं, इससे इस प्रस्ताव को संचालक मंडल को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी। बताया जाता है कि तेंदूपत्ता श्रमिकों को 80 फीसदी बोनस देने के संबंध में सरकार ने ही अपनी सहमति दे दी है, इससे इस प्रस्ताव पर संचलक मंडल असहमत नही हो सकता है।

अध्यक्ष कराते हैं अपने क्षेत्र में राशि खर्च
तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि उसी क्षेत्र में खर्च का प्रावधान है, जहां से तेंदूपत्ता संग्रहण किया जाता है। अध्यक्ष अपने इस राशि से अपने क्षेत्र में विकास कार्य कराते हैं। कई बार सौ फीसदी राशि अपने क्षेत्र में खर्च कर देते हैं। जितने अध्यक्ष अभी तक हुए हैं उन्होंने सबसे ज्यादा राशि अपने क्षेत्र में अथवा अपने नेताओं के क्षेत्र में खर्च की है।