patrika.com बता रहा है रानी कमलापति का ऐसा किस्सा, जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है….।
जब गिन्नौरगढ़ के गौंड राजा निजाम शाह को जहर देकर मार दिया गया था तो उनकी विधवा पत्नी रानी कमलापति अपने बेटे को लेकर जंगलों में अपनी जान बचाते छुपती रही। जब जान का खतरा बढ़ने लगा तो रानी कमलापति ने भोपाल रियासत के नवाब दोस्त मोहम्मद खान से मदद मांगी। दोस्त मोहम्मद खान ही भोपाल रियासत की नींव रखने वाले व्यक्ति थे। डरी-सहमी रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान को भाई कहकर संबोधित किया। रानी के सद्व्यवहार सेखान बेहद प्रभावित हो गए और उन्होंने कमलापति की जान बचाने का वचन दिया। 1710 के दशक में रानी के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाया गया। कोलांस नदी के डैम पर यह महल बनाकर दिया गया। यह महल छोटे तालाब और बड़े तालाब के बीच है। किंवदंती है कि कमलापति जब तक जीवित रहीं दोस्त मोहम्मद को अपना भाई मानती रही। माना जाता है कि किसी हिन्दू रानी से राखी बंधवाने वाले पहले शासक दोस्त मोहम्मद खान थे।
राजधानी भोपाल से गिन्नौरगढ़ की दूरी 55 किलोमीटर दूर है। यह 750 गांवों से मिलकर गिन्नौर राज्य था। चारों तरफ घने जंगलों से घिरे एक पहाड़ पर 2000 फुट ऊंची चट्टान के शिखर पर स्थित था यह किला। जब मुगल साम्राज्य का पतन हो चुका था। गौंड़ राजा निजाम शाह का राज था। वे 7 रानियों के साथ रहते थे। इनमें कृपाराम गौंड़ की बेटी कमलापति भी थीं। जो सबसे खूबसूरत थीं। कमलापति वीर और बुद्धिमान भी थी। निजाम शाह का भतीजा चैनशाह का बाड़ी में राज्य था। वह अपने चाचा से नफरत करते थे। उसने चाचा की हत्या करने के लिए काफी प्रयास किए। चैन शाह ने धोखे से निजाम शाह को जहर देकर मार दिया था। चैन शाह के षड्यंत्र से बचने के लिए विधवा हुई कमलापति और उसका बेटा नवलशाह गिन्नौरगढ़ किले के आसपास के जंगल में छिप गए। काफी समय तक वहां समय बिताने के बाद जब जान का खतरा बढ़ा तो कमलापति और उसके बेटे भोपाल की तरफ आगे बढ़े।
बचते-बचते पति के हत्यारों से बदला लेने के लिए उसने इस्लामनगर के नवाब दोस्त मोहम्मद खान से मदद मांगी, जिन्होंने बाद में भोपाल रियासत की स्थापना की। खान ने बड़े तालाब किनारे ही जो महल बनवाया था, उसे आज सभी कमलापति महल के नाम से जानते हैं। 18वीं शताब्दी के शुरुआत में यह महल वास्तु का अनोखा उदाहरण है। इसकी खास बात यह है कि ऊपर से यह महल दो मंजिला नजर आता है, लेकिन भीतर ही भीतर पांच मंजिल भी हैं। लखौरी ईंटों और मिट्टी से इसे बनाया था। निचले हिस्से में भारी-भरकम पत्थरों का बेस तैयार किया गया था। यह महल कोलांस नदी के डैम पर बनाया गया है, जिसका निर्माण राजा भोज ने किया था। अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 1989 से इसे अपने संरक्षण में रख रखा है। इस महल के परिसर को सुंदर बगीचे में तब्दील किया गया है।