रील की लत के चलते लोग असल दुनिया से दूर हो वर्चुअल दुनिया में खोते जा रहे हैं। जिसके चलते वे अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। कई बच्चों में इसके कारण सोशलाइजेशन स्किल खत्म हो रही है। वे दूसरे लोगों से बात करना भी पसंद नहीं करते।
जीएमसी की मानसिक रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचि सोनी बताती हैं कि रिवार्ड सर्किट के एक्टिवेशन से व्यक्ति किसी लत का शिकार होता है। दरअसल, जब कोई व्यक्ति ऐसा कोई काम करता है जिससे यह सर्किट एक्टिवेट हो तब खुश करने वाले हार्मोन रिलीज होते हैं। जिससे व्यक्ति को वही कार्य बार-बार करने का मन करता है।
गनीमत यह रही कि घर में बच्चे की पिता मौजूद थे, उन्होंने समय रहते बच्चे को फ्रिज से बाहर निकाल लिया। यह घटना बताती है रील का नशा किस कदर तक लोगों पर हावी है। चिकित्सकों के अनुसार इसके लिए ब्रेन में मौजूद रिवार्ड सर्किट जिम्मेदार है।
शहर के फिजियोथेरेपी सेंटर में रोजाना गैजेट प्रेमी पहुंच रहे हैं। फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. तपस्या तोमर के अनुसार हर दिन तीन से चार लोग आते हैं। जिनमें गर्दन व रीढ़ की हड्डी में दर्द होता है। ज्यादा समय तक मोबाइल के इस्तेमाल से पूरी स्पाइनल कॉर्ड पर असर पड़ता है। थेरेपी के साथ उन्हें फोन व अन्य गैजेट से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
बच्चों को पढऩे के लिए न्यूज पेपर दें। जिससे उनकी भाषा पर पकड़ मजबूत होगी। इसके बाद उनके रुझान के अनुरूप किताबें भी दी जा सकती हैं।
एकल परिवार बढ़े हैं। घर में एक या दो बच्चे ही होते हैं। जिससे वे फिजिकल खेल से दूर हो गए हैं। परिजनों को उनके साथ खेलना चाहिए। गर्मियों में बच्चों को तैरना सिखाएं। यह लाइफ सेविंग स्किल के साथ एक्सरसाइज भी है। जो बच्चे करना पसंद भी करते हैं।