
भोपाल। प्रदेश में निरस्त किए गए ३ लाख ६० हजार आदिवासियों के वन अधिकार पत्र के लिए आवेदन फिर से बुलाने की तैयारी की जा रही है। सरकार यह आवेदन अब ऑफ लाइन नहीं, बल्कि ऑन लाइन बुलाएगी, जिसके लिए केन्द्र सरकार ने वन मित्र के नाम से एक मोबाइल एेप तैयार किया है।
प्रदेश में इसकी लांचिंग मुख्यमंत्री कमलनाथ दो अक्टूबर को करेंगे। इस एेप के माध्यम से वनवासी अपना आवेदन कर सकेंगे और वे पोर्टल पर सभी दस्तावेज भी अटैच कर सकें। ऑन लाइन आवेदन भी समितियों के पास सीधे पहुंचेगा, लेकिन अब इन पर राज्य और केन्द्र सरकार भी सीधे नजर रखेगी। इस व्यवस्था होशंगाबाद जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर एक माह से लागू हैं।
यहां 1175 में से 660 आवेदन अपलोड हो चुके हैं।
वनवासियों को ऑन लाइन आवेदन करने तथा दस्तावेज अटैच करने में एमपी ऑन लाइन कियोस्क सेंटर मदद करेंगा। इसके लिए कियोस्क सेंटर आदिवासियों से कोई शुल्क नहीं लेंगे, शुल्क की पूर्ति 60 रुपए प्रति हितग्राही के हिसाब से सरकार करेगी। आवेदन के बाद ही आदिवासियों को एक आइडी कोड दिया जाएगा, जिसके माध्यम से वे अपने आवेदन की वर्तमान स्थिति के संबंध में जान सकेंगे।
आवेदन में उन्हें यह बताना पड़ेगा कि कितनी वन भूमि पर उनका कब्जा है और यह कब्जा कब से है। आवेदन के साथ अदिवासियों को अपना आधार नम्बर और वोटर आईडी भी देना पड़ेगा। इसके अलावा एक आईडी ग्राम सहायक और सचिव को उपलब्ध कराया जाएगा।
नवम्बर तक होगा निराकरण
वन अधिकार पत्र के आवेदनों का निराकरण नम्बर 2019 तक पूर्ण किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 29 नवम्बर होना है। कोर्ट सुनवाई के दौरान सरकार को यह बताना पड़ेगा कि अब तक कितने वन अधिकार पत्रों का निराकरण किया गया है और यह कार्य कब तक पूर्ण होगा। इससे पहले वन अधिकार पत्रों के आवेदनों के निराकरण की समीक्षा 17 सितम्बर को मुख्यमंत्री कमलनाथ करेंगे।
२१ सौ से ज्यादा कर्मचारी-व्यापारी
वनवासी के नाम पर जंगल में जमीन लेने वालों में सरकारी कर्मचारी और व्यापारी भी शामिल हैं। २० जिलों की जांच में तरकीबन २१०० से ज्यादा एेसे आवेदन सामने आए हैं। वन अधिकार पट्टे के लिए ऑन लाइन एक-एक आवेदनों की फिर से ग्राम वन समिति स्तर पर समीक्षा की जाएगी। इसमें यह देखा जाएगा कि समितियों ने जिन आदिवासियों के पट्टे निरस्त किए हैं, उसके कारण सही थे अथवा किसी कमी या दुर्भावना के चलते निरस्त किए गए हैं।
साक्ष्य के अभाव में निरस्त
हजारों आदिवासियों के आवेदन इसलिए निरस्त कर दिए हैं क्योंकि उन्होंने अपने उक्त वन क्षेत्र में रहने के संबंध में कोई सबूत समितियों के सामने पेश नहीं कर पाए हैं। उन्हें एक बार फिर से 13 दिसम्बर 2005 के पहले से वहां रहने के संबंध में सबूत देने के लिए कहा है। इस तरह के मौके आदिवासियों को वन अधिकार समितियों द्वारा कई बार दिए जा चुके हैं।
Updated on:
23 Oct 2019 02:22 pm
Published on:
14 Sept 2019 07:58 am
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