6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शक्ति के साथ बढ़ रही भक्ति, मनचाहा फल पाने के लिए कठिन और महंगे पूजन भी करा रहे यजमान

- सत्यनारायण कथाओं में कमी वहीं नवगृह शांति, नागबली से लेकर भागवत कथाएं तक करा रहे भक्त  

2 min read
Google source verification
lemon-yellow-leaves.jpg

,,

प्रवीण मालवीय
भोपाल. कुछ वर्षों पूर्व तक किसी भी खास मौके या खुशी के अवसर पर सत्यनारायण की कथा कराना बेहद जरुरी समझा जाता था। तब सामान्य परिवारों के लिए सत्यनारायण कथा सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन होती थी। लेकिन पिछले कुछ समय में भक्त हर अवसर के अनुरुप फल देने वाली बड़ी और आर्थिक रूप से खर्चीले पूजा कराने में संकोच नहीं कर रहे हैं। ऐसे में गृहप्रवेश पर कथा के बजाए वास्तु दोष, नवगृह शांति तो किसी के बीमार होने पर महामृत्युंजय मंत्र,बगलामुखी मंत्र जाप और नागबली पूजन तो समाजिक आयोजन में भागवत कथाएं तक करा रहे हैं। बड़ी और महंगी पूजाओं के बदलते रूझान को पत्रिका ने समझने की कोशिश की।

वास्तुपूजन दूर करती है वास्तु के दोष

वास्तु के लिए वेदों में पुराणों में बताया गया है कि, घर के ब्रह्मस्थल को खुला रहना चाहिए। पहले प्रत्येक घर मेंआंगन रहताथा जोकि ब्रह्मस्थल में बनाया जाता था। ब्रह्म स्थल खुला होने के कारण वास्तु का दोष नहीं लगता था। अब लोग पक्के मकान बनाते है जिसमें ब्रह्म स्थान में धूप नहीं आती जिसके चलते वास्तुदोष पूजन अक्सर कराई जाने लगी है। इसके साथ शेषनाथ पूजन भी कराई जाती है। दो से तीन घंटे की पूजन सामान्य कथा से कई गुना खर्चीली भी होती है, लेकिन लोग गृह प्रवेश पूजन में इसे जरूर शामिल कर रहे हैं।

नवग्रह शांति पूजन से ग्रहों की शांति
यह पूजन भी नव गृह प्रवेश सहित शुभ अवसर पर कराई जाती है। इसमें अन्नकणों, दाल-चाबल आदि से नवग्रह नवग्रह मण्डल, वास्तुमंडल और सर्वतुभद्र मण्डल और क्षेत्रपाल आदि बनाकर उनकी विधिवत पूजन की जाती है। इसके बाद घर को कच्चे सूत से मंत्रबद्ध करते हुए पूरे घर को बांधा जाता है, जिससे सकारात्मक शक्ति प्राप्त हो और नाकारत्मक शक्तियां बाहर रहे। दो से तीन घंटे की पूजन भी खर्चीली होने के बावजूद शहर में जन-जन में प्रचलित होती जा रही है।

बॉक्स-

शत्रुनाश और कामना सिद्धि के लिए बगलामुखी मंत्र पूजन
सफलता पाने और कामना पूरी करने के लिए उच्च वर्ग में बग्लामुखी मंत्र का जाप कराने का ट्रेंड आ गया है। इसमें ब्राह्मण यजमान के संकल्प पर 50 हजार से सवा लाख मंत्र जाप करते हैं। इनमें 51 हजार से एक लाख तो डेढ़ से दो लाख रुपए तक का भी खर्च आ जाता है।

------------------

ज्योतिषाचार्य जगदीश शर्मा बताते हैं, कुछ वर्षों पूर्व तक नया मकान बनाने से लेकर हर तरह की खुशियों या अवसर पर सत्यनारायण कथा और सत्यनारायण भगवान की पूजन की जाती थी। यही शेषनाग भगवान भी है, जोकि पूरी पृथ्वी के साथ घर का भार भी उठाए हुए हैं। लेकिन अब कई महंगी पूजन के साथ-साथ गली-गली में भागवत कथाएं होने लगी हैं। भागवत कथा में पूरा मोहल्ला आता है तो राजनेता भी खिंचे चले आते हैं। सामथ्र्य बढऩे पर खर्चीले पूजन, महंगी कथाएं बढऩा अच्छी बात है लेकिन आम नागरिक, एक सरल छोटा ब्राह्मण सत्यनारायण की कथा भी करे तो उसका भी फल कम नहीं होता है।
पंडित जगदीश शर्मा, ज्योतिषाचार्य

आजकल व्यक्तियों के पास पैसा बढ़ा है, लेकिन निश्चित तौर पर समय कम हो गया है। जैसे किसी व्यक्ति के निधन हो जाने पर परिजन, तेरहवीं के दिन ही कहते हैं कि सवामासी, छहमासीऔर वार्षिक श्राद्ध भी करा देते हैं। यजमान एक ही दिन में सबकामों से मुक्त होने की सोचता है। इतना ही नहीं तीन साल में पिृतों को मिलाने का जो विधान बताया गया है, अधिकांश लोग उसे वार्षिक श्राद्ध के साथ करा लेते हैं, जोकि उचित नहीं है। अर्थ के बजाए निश्चित पद्धति का पालन होना चाहिए।

पंडित मुकुल कृष्ण शास्त्री, कथाचार्य