नवमी से शुरू हुआ दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला दशहरे पर दिन भर और फिर देर रात तक चलता रहा। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते चल समारोह नहीं निकाले जाने के बावजूद भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। भक्त पंडाल से जयकारे लगाते हुए निकले और पूरे उत्साह से विसर्जन घाटों तक पहुंचे। दोपहर से सड़कों पर माँ की सवारियां नजर आने लगी। भक्तों ने ढ़ोल के साथ माँ की सवारी निकाली, हालांकि पंडाल के आसपास विदाई देने के बाद रास्ते और विसर्जन घाट तक समिति के चुनिंदा पदाधिकारी पहुंचे और माँ को विदाई दी। प्रमुख विसर्जन घाटों पर हाइड्रोलिक प्लेटफार्म की व्यवस्था थी, भक्तों के जयकारों के बीच सुरक्षित तरीके से प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ।
इन घाटों पर हुआ विसर्जन
शहर में प्रमुख रूप से खटलापुरा, प्रेमपुरा घाट, रानी कमलापति घाट, सीहोर नाका, हथाईखेड़ा अनंतपुरा, शाहपुरा, ईंटखेड़ी, नरोन्हा सांकल और मालीखेड़ी घाटों पर प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ रात 10 बजे 850 प्रतिमाओं का विसर्जन
सभी प्रमुख घाटों पर लगातार जारी विसर्जन के बीच रात 10 बजे तक 300 बड़ी प्रतिमाओं एवं 550 छोटी प्रतिमाओं का विसर्जन हो चुका था। विर्सजन का सिलसिला लगातार जारी है। बॉक्स-
माँ की विदाई के बीच जारी रहे भंडारे अष्टमी, नवमी से शुरू हुआ भंडारों का सिलसिला विजय दशमी पर भी दिन भर चलता रहा। कई पंडालों में दशमी पर भंडारे आयोजित किए गए। बीडीए कॉलोनी गोंदरमऊ में महर्षि पतंजलि उत्सव समिति एवं ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित विशाल भंडारे में 1200 से अधिक लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। अध्यक्ष शैलेन्द्र मारण ने बताया कि, इस अवसर पर विहिप के मध्य भारत विशाल पुरोहित, सत्येन्द्र द्विवेदी, पंडित प्रदीप शर्मा, रामेश्वर मीणा, सोनू वर्मा, शैलेन्द्र चौहान, संजय शर्मा आदि उपस्थित रहे।