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सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने आरजीपीवी को बढ़ानी पड़ेगी परीक्षा सेंटर की संख्या, एआईसीटीई के निर्देश

प्रदेश में अभी 200 सेंटर पर किए जा रहे हैं इंतजाम

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भोपाल

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Amit Mishra

Jun 13, 2020

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने आरजीपीवी को बढ़ानी पड़ेगी परीक्षा सेंटर की संख्या, एआईसीटीई के निर्देश

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने आरजीपीवी को बढ़ानी पड़ेगी परीक्षा सेंटर की संख्या, एआईसीटीई के निर्देश

भोपाल। प्रदेश के एकमात्र तकनीकी विश्वविद्यालय आरजीपीवी की परीक्षाओं को लेकर असमंजस का दौर लगातार बना हुआ है। आरजीपीवी कार्यपरिषद ने 16 जून से मध्यप्रदेश में तकनीकी पाठ्यक्रम की प्रायोगिक परीक्षाओं का आयोजन शुरू करने के निर्देश जारी किए हैं लेकिन अब तक परीक्षा सेंटरों के निर्धारण को लेकर बार-बार व्यवस्थाएं बदलने पड़ रही है।


एआईसीपीई के नए निर्देश के बाद आरजीपीवी प्रबंधन प्रदेश के 200 परीक्षा सेंटरों में एक बार फिर इजाफा करने की तैयारी में है। प्रदेश के ज्यादातर तकनीकी कॉलेजों को स्थानीय प्रशासन की तरफ से क्वॉरेंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया है जिसमें बैठकर परीक्षा देने से विद्यार्थी इनकार कर रहे हैं।


विद्यार्थियों का तर्क है कि संक्रमित क्षेत्र में बैठने से उन्हें भी बीमारी होने का खतरा है इसलिए आरजीपीवी प्रबंधन को किसी खुले स्थान पर या कम्युनिटी हॉल में या फिर किसी ऐसी जगह पर जहां पर संक्रमण फैलने का खतरा नहीं है वहां परीक्षा का आयोजन कराया जाना चाहिए।

घोषित करने की उम्मीद की जा रही
आरजीपीवी की ओर से सोमवार को इस मामले में बैठक बुलाई गई थी लेकिन कार्यपरिषद सदस्यों के शहर में मौजूद नहीं होने की वजह से कोई फैसला नहीं हो सका। आरजीपीवी की ओर से पहले चरण में 190 परीक्षा सेंटर की घोषणा की गई थी जिसे बाद में बढ़ाकर 200 से 300 तक कर दिया गया था। जल्द ही अतिरिक्त परीक्षा सेंटर घोषित करने की उम्मीद की जा रही है।

शिकायतें प्रबंधन से की
आरजीपीवी की ओर से परीक्षा फार्म भरने की अंतिम तिथि में भी कोई इजाफा नहीं किया गया। सोमवार को अंतिम दिन होने के बावजूद ज्यादातर विद्यार्थियों ने फार्म नहीं भरने की शिकायतें प्रबंधन से की है। एबीवीपी ने इस मामले में सरकार से मांग की है कि परीक्षा फार्म भरने की अंतिम तारीख में इजाफा किया जाए ताकि आर्थिक रूप से कमजोर और दूरदराज के क्षेत्रों में फंसे हुए विद्यार्थी अपना मौजूदा साल बचा सके और परीक्षा में बैठ सकें।