HEALTH: टीके के बाद भी फ़ैल रहा रोटावायरस, अपने बच्चे को ऐसे रखें ALERT

दवाओं का इस पर कोई असर नहीं होता है। समय पर डिहाइड्रेशन की समस्या दूर नहीं हुई तो बच्चे की स्थिति लगातार बिगड़ती जाती है। 

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Jun 12, 2016
Rotavirus
भोपाल. यदि आपके बच्चे को डायरिया और उल्टियां हो रही हैं तो सावधान हो जाएं। यह रोटावायरस का संक्रमण भी हो सकता है। अभी बच्चों में यह संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। खास बात ये है कि रोटावायरस का वैक्सीन लगने के बाद भी 10 से 20 प्रतिशत संक्रमण की संभावना रहती है। राजधानी के अस्पतालों में अभी रोटावायरस के कारण होने वाले डायरिया से पीडि़त बच्चों की संख्या बढ़ रही है। जेपी जिला अस्पताल में भी प्रतिदिन दो से तीन बच्चे पहुंच रहे हैं। बच्चों के अधिकांश निजी अस्पतालों में भी 3 से 4 बच्चे भर्ती हैं। इसके कारण बच्चों को 4- 5 दिन तक लगातार दस्त लगते हैं।

दवाओं का इस पर कोई असर नहीं होता है। समय पर डिहाइड्रेशन की समस्या दूर नहीं हुई तो बच्चे की स्थिति लगातार बिगड़ती जाती है। रोटावायरस का वैक्सीन अभी निजी प्रैक्टिशनर ही लगा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में यह टीका लगना शुरू नहीं हुआ है। अभी एक टीके की कीमत डेढ़ से दो हजार रुपए के करीब है। रोटावायरस का पहला टीका डेढ़ महीने में और दूसरा ढाई से तीन महीने पर लगता है। यदि कोल्ड चेन टूटी तो वैक्सीन असरकारक नहीं रहता।

वैक्सीन के बावजूद हो सकता है संक्रमण
शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश मिश्रा के अनुसार रोटावायरस का वैक्सीन 80 प्रतिशत तक इफेक्टिव है। 20 प्रतिशत संक्रमण की संभावना बनी रहती है। वैक्सीन का फायदा यह होता है कि वायरस का संक्रमण सिवियर स्थिति में नहीं पहुंच पाता।

हाईजीन बचा सकता है संक्रमण से
चाइल्ड स्पेशलिस्ट व उप संचालक स्वास्थ्य ग डॉ. पंकज शुक्ला के अनुसार बच्चों में डायरिया के 40 से 50 फीसदी प्रकरणों में रोटावायरस ही जिम्मेदार होता है। टीका लगने पर भी 10 फीसदी बच्चों में संक्रमण हो सकता है। लेकिन, साफ-सफाई व प्रॉपर हैंड वॉशिंग से इससे बच सकते हैं। बच्चों में रोटावायरस का संक्रमण फीकल कंटेमिनेशन से होता है। इसलिए इस साइकिल को पूरा होने से रोकने पर ध्यान देना चाहिए। फीकल मैटर बच्चों के हाथों में या उसके खाने में नहीं आना चाहिए।
Published on:
12 Jun 2016 09:38 am
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