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ज्योतिरादित्य सिंधिया: किस दल ने क्या खोया, किसने क्या पाया

locationभोपालPublished: Mar 11, 2020 09:56:18 pm

– कांग्रेस को नुकसान तय… jyotiraditya scindia news- भाजपा को होंगे ये फायदे…

royal family of india : scindia's effects on congress and BJP

royal family of india : scindia’s effects on congress and BJP

भोपाल। मध्य प्रदेश के एक मजबूत स्तंभ को कांग्रेस आज खो चुकी है। वह भी ऐसा नहीं कि वह राजनीति से गायब हो गया हो, बल्कि इस तरह की अब वहीं उनका विरोधी भी बन गया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ग्वालियर royal family of indiaराजवंश के ज्योतिरादित्य सिंधिया की…
भले ही सिंधिया jyotiraditya scindia के जाने के बाद कांग्रेस की ओर से तमाम तरह के आरोप उन पर लगाए गए हों, यहां तक कि उन्हें कांग्रेस Congress news से निकाले जाने की तक बात कही गई हो, लेकिन प्रदेश के कई नेता व congress workers कार्यकर्ता भी ये मानते हैं कि सिंधिया का कांग्रेस से जाना कांग्रेस को जितना नुकसान पहुंचाएगा। उसकी भरपाई अगले 20 सालों में तक होनी मुश्किल है। वहीं कुछ जानकार सिंधिया के कांग्रेस से जाने को कांग्रेस के लिए ज्यादा नुकसान loss to congress नहीं मानते।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा की मानें तो सिंधिया का भाजपा BJP newsमें जाना जहां मप्र में काफी हद तक कांग्रेस की जड़े खोदने का काम करेगा, वहीं भाजपा bjp को इसका अत्यधिक लाभ मिलेगा।
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कांग्रेस : ये होंगे नुक़सान !
सिंधिया राजवंश scindia an royal family of india के वारिस ज्योतिरादित्य jyotiraditya scindia सिंधिया पिता माधवराव की मृत्यु के बाद से ही यानि पिछले 18 वर्षों से कांग्रेस से जुड़े हुए थे। इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात ये भी है कि राहुल गांधी ने जब आगे आकर पार्टी की कमान संभाली, तो सिंधिया उनकी टीम के अहम सदस्यों में से थे।
जानकार बताते है कि राहुल rahul gandhi गांधी और सिंधिया को संसद में साथ चलते, बातें और विचार-विमर्श करते कई बार देखा गया है। यहां तक की दोनों कई कार्यक्रम तक साथ ही में अटेंड करते, इसके अलावा नीतिगत विषयों पर भी आपस में चर्चा करते थे। वहीं कुछ दिल्ली से जुड़े सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि करीब 2 दशक पहले तक दिल्ली की सड़कों पर कभी कभी सिंधिया scindia और राहुल gandhi एक साथ ही एक ही वाहन में इधर से उधर जाते भी दिख जाते थे।
इसके अलावा मनमोहन सरकार के समय केंद्र में मंत्री रहने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया jyotiraditya scindia का मध्य प्रदेश madhya pradesh के चंबल, ग्वालियर और गुना वाले इलाक़े में अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है। इसके अलावा इंदौर, विदिशा, राजगढ़ में भी उनके प्रभाव को कम नहीं आंका जा सकता।
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सिंधिया राजवंश scindia an royal family of india का प्रभाव : 50 विधानसभा सीटों पर हार-जीत करते थे तय…
एक वक़्त था जब यह राजपरिवार ग्वालियर इलाक़े में कम से कम 50 विधानसभा सीटों पर हार-जीत तय करता था। वहीं मध्यभारत की करीब 85 सीटों को प्रभावित करता था।
दरअसल ग्वालियर का जयविलास महल आजादी के बाद रजवाड़ों royal family scindia की राजनीति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। देश के मध्य में स्थित अलग-अलग रियासतों को जोड़कर जब मध्य भारत नाम का एक राज्य बनाया गया तो, ग्वालियर परिवार के मुखिया जीवाजीराव इसकी धुरी थे।
कांग्रेस भी थी सिंधिया effect of scindia an royal family of india परिवार के प्रभाव से परिचित..
वैसे तो जीवाजीराव की राजनीति में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन ग्वालियर क्षेत्र में सिंधिया परिवार royal family scindia के प्रभाव के कारण कांग्रेस चाहती थी कि जीवाजीराव कांग्रेस में jyotiraditya scindia शामिल हो जाएं, जबकि कहा जाता है कि उनका झुकाव दूसरे दल की ओर था। खैर इन सबके जीवाजी तो राजनीति से दूर रहे, लेकिन उनकी पत्नी राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने काफी मानोमनव्वल के बाद कांग्रेस के टिकट पर 1957 में गुना से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। यहीं से सिंधिया परिवार की भारतीय राजनीति में एंट्री हुई।
कांग्रेस ख़त्म हो जाएगी…
राजनीति के जानकार डीके शर्मा का कहना है jyotiraditya scindia ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ देने से कांग्रेस ख़त्म हो जाएगी, ऐसा नहीं है लेकिन इससे उसे गहरा धक्का ज़रूर लगा है। यहां तक की कई क्षेत्रों में वह काफी सिमट सही जाएगी, वहीं यह भी मुमकिन है कि कई क्षेत्रों में वह अपना खाता ही नहीं खोल सके। ये भी मुमकिन jyotiraditya scindia है कि कई नेता चुनावों में अपनी जमानत तक नहीं बचा सकें।
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राजनीति के कई जानकार ये भी मानते है कि अभी कांग्रेस और उसके समर्थक jyotiraditya scindia fans सिंधिया के इस्तीफ़े को तवज्जो न देने का अभिनय कर रहे हैं, लेकिन मन ही मन वो सभी जानते हैं कि ये उनके लिए कितना बड़ा नुक़सान है। इसी को देखते हुए गांधी-सिंधिया परिवार के करीबी रहे हैं कांग्रेसी congress leader नेता नटवर सिंह ने यहां तक कह दिया कि सिंधिया के जाने से कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचा है और यदि वे अभी सोनिया गांधी के पास होते तो उन्हें सलाह देते कि सिंधिया को बुलाकर उनसे बात करें।
खुद पुराने कांग्रेसी भी मानते हैं बढ़ा नुकसान-

यहां तक की पुराने कांग्रेसी नटवर सिंह ने एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए यहां तक कह दिया कि सिंधिया के जाने से कांग्रेस को नुकसान हुआ है और बीजेपी को फायदा। उन्होंने कहा कि मुझे जो नजर आ रहा है उसमें साफ दिख रहा है कि ज्योतिरादित्य jyotiraditya scindia सिंधिया को कांग्रेस में साइडलाइन कर दिया गया था, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी। उन्होंने ये तक कहा कि सिंधिया को मध्य प्रदेश का अध्यक्ष नहीं बनाया ना उनसे सलाह मशविरा किया अगर इतने बड़े नेता का सम्मान नहीं होगा तो दूसरी पार्टी में जाएंगे ही।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि कांग्रेस का कोई नेता सिंधिया jyotiraditya scindia से पहले बीजेपी में शामिल नहीं हुआ। इसका सबसे सही उदाहरण असम के हिमंता बिस्वा सरमा है, जिन्हें कांग्रेस ने उन्हें तवज्जो नहीं दी और अब वो बीजेपी मजबूत स्थिति में हैं, वहीं अब jyotiraditya scindia सिंधिया के इस्तीफ़े के इस कदम से कांग्रेस के अन्य युवा नेताओं के भी ऐसा क़दम उठाने की आशंका बढ़ गई है।
जानकार कहते है इसमें सबसे ज्यादा खतरा congress in tension राजस्थान की ओर से है, जहां सचिन पायलट भले ही उप मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उनकी अशोक गहलोत से लगातार खटपट होती रहती है। इनके अलावा मिलिंद देवड़ा, आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद जैसे युवा नेताओं को भी पार्टी ने कोई अहम भूमिका नहीं दिए जाने से उनमें भी असंतोष आना स्वाभाविक है। वहीं जानकार ये भी मानते हैं कि कांग्रेस के कई नेता बीच-बीच में पार्टी की अप्रभावी कार्यशैली और नेतृत्व की कमी का मुद्दा उठाते रहते हैं, जिससे साफ सामने आता है कि कांग्रेस के अपने नेताओं में भी कम असंतोष नहीं है।
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भाजपा : ये होगा फायदा…
मध्यप्रदेश की राजनीति से जुड़े जानकारों की मानें तो सिंधिया jyotiraditya scindia को अपने पाले में लाकर भाजपा अपने दो मक़सद पूरा कर सकती है, इसमें पहला है मध्य प्रदेश में सत्ता की वापसी और दूसरा दो राज्यसभा की सीट।
वहीं कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि jyotiraditya scindia ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने यहां बुलाकर भाजपा कांग्रेस को ये संदेश भी देना चाहेगी कि कांग्रेस मोदी-शाह की रणनीति के चलते कितनी कमज़ोर हो चुकी है। वहीं भाजपा में jyotiraditya scindia धिया के शामिल होने से भाजपा के लिए कांग्रेस congress के अन्य नेताओं को भी पार्टी की तरफ़ लाने का रास्ता आसान हो जाएगा, या यूं कहें हो भी चुका है, क्योंकि माना जा रहा है कि जल्द ही कई कांग्रेस शासन में रहे मंत्री व विधायक भाजपा में शामिल हो सकते है।
इसके साथ ही ये भी माना जा रहा है कि ग्वालियर, चंबल, गुना, अशोकनगर सहित कई क्षेत्रों में कांग्रेस अब भाजपा bjp का मुकाबला नहीं कर सकेगी। वहीं राज्यसभा चुनाव के लिए 13 मार्च तक नामांकन दाख़िल होंगे और 26 मार्च को चुनाव होगा ऐसे में बीजेपी इस चुनाव को अपने पाले में लाना चाहती है, क्योंकि पिछले कुछ राज्यों के चुनावों election में हारने के बाद सत्ताधारी एनडीए उच्च सदन में बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई है। वहीं jyotiraditya scindia सिंधिया के भाजपा में आने से सिंधिया समर्थकों के चलते अब उसे कुछ ज्यादा लोगों को राजसभा में भेजने का मौका मिलेगा।
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