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सचिन सर क्रिकेट से रिटायर्ड हुए मेरे दिल से नहीं: सुधीर गौतम

टीम इंडिया और सचिन तेंदुलकर के सुपरफैन सुधीर गौतम ने पत्रिका से बातचीत में बताया

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sudhir

भोपाल. जिस प्रकार निस्वार्थ भाव से भगवान राम के पीछे हनुमान लग थे। उन्होंने राम से कुछ नहीं लिया। उसी प्रकार मैं सचिन सर को राम मानता हूं और मैं खुद हनुमान। मुझे उनके साथ जुड़े हुए आज 17 साल हो गए हैं। मैंने उनके जैसे व्यक्तित्व वाला इंसान आज तक नहीं देखा। यह कहना है सचिन तेंदुलकर और टीम इंडिया के बहुत बड़े फैन सुधीर गौतम का। वे रविवार को भोपाल के भेल स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में शुरू हुए भेल क्रिकेट ट्रॉफी का उद्घाटन करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पत्रिका ने खास बातचीत की। सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट से रिटायर्ड होने के बाद उनका कहना है कि सचिन सर ने जो रिकॉर्ड बनाए हैं वो टूट सकते हैं।

क्योंकि रिकॉर्ड बनते ही है टूटने के लिए, लेकिन उनके जैसा महान खिलाड़ी और शानदार व्यक्त्तिव वाला क्रिकेटर नहीं हो सकता। उन्होंने क्रिकेट से रिटारमेंट ले लिया है लेकिन मेरे दिल से नहीं। बता दें कि सुधीर गौतम भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और टीम इंडिया के सुपर फैन हैं। वो हर उस जगह जाते हैं जहां टीम इंडिया खेलने जाती है। सचिन की खास सिफारिश पर सुधीर गौतम के आन-जाने का खर्चा बीसीसीआई देती है।

मैंने क्रिकेट से शादी की है...
टीम इंडिया और सचिन तेंदुलकर की दिवानगी के चलते उन्होंने शादी नहीं की हैं। इस बात पर उनका कहना है कि किसने कहा कि मैंने शादी नहीं की है, मैं 2006 में साइकिल से टीम इंडिया को सपोर्ट करने पाकिस्तान के लाहौर गया था। यह मेरी पहली साइकिल से विदेश यात्रा थी, तभी मैंने क्रिकेट से ही शादी कर ली थी। मैंने अपना लाइफ पार्टनर क्रिकेट को ही बनाया है। मैं जहां भी मैच होता है अपने लाइफ पार्टनर के साथ इंजॉय करता हूं।

पहली बार मिला तो भगवान के पैर छू लिए
सुधीर ने बताया कि 2003 में सचिन एक होटल में इवेंट में आने वाले थे, मैं वहां अपनी साइकिल के साथ उनका इंतजार करता रहा। सचिन के आने पर मैं भीड़ और सिक्योरिटी को चीरता हुआ सचिन की तरफ भागा वहां उसने पहली बार मिला और सचिन के पैर छू लिए। फिर सचिन ने मुझे अपने घर आने का न्योता दिया। फिर जब मैं सचिन सर से मिलने पहुंचा तो उन्होंने न सिर्फ खाना खिलाया, बल्कि अगले वन डे मैच का पहला पास भी दे दिया।

क्रिकेट के लिए छोड़ी टिकट कलेक्टर की नौकरी

सुधीर बताय कि उन्होंने क्रिकेट के लिए 3 नौकरियां छोड़ीं। सबसे पहले वे बिहार की सुधा डेरी में काम करते थे। पैसे इक_े करके पासपोर्ट बनवाया ताकि वो इंडियन टीम के साथ विदेश जा सकें। उसके बाद शिक्षा मित्र में काम किया। क्यूंकि ये नौकरी फुल टाइम नहीं थी, इसलिए उन्हें इंडिया का हर मैच देखने का मौका मिलता था। फरवरी 2004 में जॉब से रिलेटेड एक ट्रेनिंग थी, पर सुधीर ने जनवरी में ही अपनी साइकिल उठा कर पाकिस्तान चले गए। 2005 में फिजिकल टेस्ट और प्रिलिमिनरी एग्जाम पास करने के बाद उन्हें इंडियन रेलवे में एक टिकट कलेक्टर की जॉब मिली। लेकिन जब इंटरव्यू का बुलावा आया तो सुधीर को लगा कि दिल्ली में इंडिया-पाकिस्तान का छठा वनडे मैच मिस हो जाएगा। इसलिए उन्होंने इंटरव्यू का लेटर ही फाड़ दिया था।