14 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Assembly elections: सपाक्स का चुनावी गणित! जानिये कैसे बनी कांग्रेस भाजपा के लिए सबसे बड़ा सरदर्द!

सपाक्स अब तक 72 प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी...

3 min read
Google source verification
sapaks

sapaks

भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में इस बार दोनों ही मुख्य पार्टियों को खासी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल इस बार मैदान में इन दोनों पार्टियों के खिलाफ सिर्फ आप या बसपा ही नहीं बल्कि अपने साथ कई पुराने अधिकारियों से लेस सपाक्स भी मैदान में है।

जानकारों की माने तो इस बार सपाक्स के मैदान में आने से कई नेताओं का विकेट गिरना तय है, वहीं इसके चलते चुनावी समीकरणों में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार एस्ट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के बाद अचानक तेजी से सुर्खियों में आई सपाक्स ने शुरू में तो तेजी से उंचाई पकड़ी, लेकिन के बाद कुछ मामलों को लेकर उसे कमजोर करने की कोशिश भी की गई थी। इस बीच पिछले चंद दिनों मे भाजपा, कांग्रेस,बसपा सहित आप पार्टियों द्वारा अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई।

इसी बीच सपाक्स द्वारा भी अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दिए जाने से राजनीतिक हलकों में हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई है।

सपाक्स ने अपनी पहली सूची 32 उम्मीदवारों की जारी की, वहीं इसके बाद दूसरी सूची में 40 प्रत्याशियों का नाम शामिल किया है। इस सूची में ग्वालियर, इंदौर के अलावा कई बड़े शहरों की विधानसभा सीटों के लिए पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किये हैं। सपाक्स अब तक कुल मिलाकर 72 प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है।

प्रत्याशियों के नामों में फेरबदल!
पार्टी अब तक 72 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर चुकी थी, जिन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतारा जा रहा था। इन दोनों सूचियों में अब फेरबदल के कयास लगाए जा रहे हैं। पार्टी ने करीब एक दर्जन सीटों पर नाम बदलने की तैयारी शुरू भी कर दी है। इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के चेहरे देखते हुए बदलाव किया जाएगा। जबकि पार्टी की तीसरी सूची में चर्चित चेहरे नजर आ सकते हैं।

सपाक्स को राजनीतिक दल की मान्यता...
वहीं कुछ समय पहले ही अस्तित्व में आई सपाक्स पार्टी को आखिर राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मिल गई है। चुनाव आयोग ने पिछले दिनों आदेश जारी कर दिया है। माना जा रहा है कि मान्यता मिलने के बाद पार्टी में फिर समीकरण बदलेंगे। पार्टी का दावा है कि अभी तक अपनी पार्टियों से नाराज वे नेता जो कन्नी काट रहे थे और सामाजिक संगठनों में रसूख रखने वाले पार्टी की ओर आकर्षित होंगे। वहीं सेवानिवृत्त अफसर भी उत्साह दिखाएंगे।

देश में अनारक्षित वर्ग की उपेक्षा से नाराज सपाक्स समाज संस्था (सामान्य, पिछड़ा, अल्पसंख्यक कल्याण संस्था) ने 29 अगस्त 2018 को पार्टी के रूप में पंजीयन के लिए आवेदन किया था। चुनाव आयोग ने पंजीयन से पहले दावे-आपत्ति मंगाए थे।

पार्टी पदाधिकारी बताते हैं कि सपाक्स पहली पार्टी है, जिसके पंजीयन से पहले आधा सैकड़ा से ज्यादा दावे-आपत्तियां लगाई गईं हैं। आखिर आपत्तियों को खारिज करते हुए आयोग ने पार्टी को मान्यता दे दी है। उल्लेखनीय है कि मान्यता नहीं मिलने की स्थिति में पार्टी में मायूसी का दौर आ गया था।

सपाक्स का दावा...
इससे पहले सपाक्स ने दावा किया था कि 21 अन्य पार्टियां उनके संपर्क में हैं और सभी के समझौते से चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं जानकारों का मानना है कि इस बार चुनाव में सपाक्स दोनों पार्टियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभर सकती है।