
भोपाल. 30 दिसंबर यानि गुरुवार को पौष महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी है जिसे सफला एकादशी कहा जाता है। यह 2021 की आखिरी एकादशी भी है। इस दिन व्रत रखकर विष्णुजी की पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु को यह व्रत अति प्रिय है।
यही कारण है कि इस दिन विष्णुजी की पूजा से हर सांसारिक सुख मिलता है। हालांकि त्वरित फल पाने के लिए एकादशी व्रत के नियमों का सख्ती से पालन करना जरूरी है। एकादशी पर स्नानादि के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित कर विष्णुजी का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करें और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें अथवा श्रवण करें.
भगवान की आरती उतारें। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें। एकादशी व्रत के दिन अपना व्यवहार और आचरण सही रखें। कम बोलें और किसी की चुगली न करें। इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए। यथासंभव मधुर बोलें और झूठ बोलने से बचें। एकादशी के दिन दान का विशेष महत्व है अतः सामर्थ्य के अनुसार इस दिन दान या अन्नदान अवश्य करना चाहिए।
इस व्रत में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक चलता है। इस बीच व्रतधारी को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए अन्यथा व्रत अपूर्ण माना जाता है। इस दिन तामसिक भोजन, मांस, चावल और मसूर की दाल आदि वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिये। यदि भूलवश ऐसा हो जाता है तो उसी क्षण सूर्य भगवान के दर्शन कर श्रीहरि का पूजन करके क्षमा याचना करनी चाहिए।
इस दिन व्रत रखने से पितर भी प्रसन्न और संतुष्ट होते हैं। एकादशी तिथि के देव भगवान विष्णु के साथ ही विश्वदेव भी माने जाते हैं। एकादशी पौष महीने, गुरुवार और खरमास के संयोग में आई है। एकादशी पर सूर्य देव की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन सुबह जल्द उठकर सूर्य देव को जल चढ़ाने का विधान है।
Published on:
30 Dec 2021 09:04 am
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