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भोपाल। आजादी के बाद देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती विभिन्न रियासतों को एक बनाए रखना था। और सरदार वल्लभ भाई पटेल इसी कठिन कार्य को कुशलतापूर्वक संपन्न करवाकर एक लौहपुरुष के रूप में दुनिया के सामने आए। उनकी एकता की यही मिसाल कायम रखने के उद्देश्य से हर साल 31 अक्टूबर को उनकी जयंती के अवसर पर एकता रैली का आयोजन किया जाता है। भोपाल में भी आज 31 अक्टूबर मंगलवार को राजधानी के कई इलाकों से एकता रैली का आयोजन किया गया। सुबह 6 बजे से ही रैली एकता संदेश लिए सड़कों पर नजर आई। आज सुबह सरदार पटेल की जयंती पर एकता दौड़ टीटी नगर स्टेडियम से शुरू हुई। सरदार पटेल की जयंती पर आज हम आपको बता रहे हैं उनके व्यक्तित्व के कुछ कहे अनकहे लेकिन रोचक फैक्ट...
* आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हम भले ही 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाते हैं, लेकिन उनकी असल जन्मतिथि के बारे में किसी के पास कोई जानकारी नहीं है।
* उनकी यह जयंती उनके दसवीं कक्षा के सर्टिफिकेट पर दर्ज तिथि के आधार पर मनाई जाती है।
* आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपना बैरिस्टर बनने का सपना किताबें उधार मांग कर पढ़ाई कर पूरा किया था।
* दरअसल उन्होंने बेहद गरीब परिवार में जन्म लिया था।
* उनका सपना था कि वे बैरिस्टर बनें।
* लेकिन आर्थिक कमजोरी उनके सामने सबसे बड़ी बाधा थी।
* इतनी बड़ी कमजोरी ने भी उनके बैरिस्टर बनने के सपने को कमजोर नहीं किया।
* बल्कि उन्हें हर हाल में बैरिस्टर की पढ़ाई करने को प्रेरित किया।
* यही कारण रहा कि उन्होंने अपने परिचित से किताबें उधार मांग कर अपनी पढ़ाई पूरी की।
* प्रैक्टिकल की पढ़ाई करने के लिए वे समय-समय पर कोर्ट जाया करते थे और वहां होने वाली जिरह को ध्यान से सुनते थे।
* इस तरह उन्होंने बैरिस्टर बनने के अपने सपने को हकीकत में बदल दिया।
* पूर्ण स्वराज के पक्षधर सरदार पटेल ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
* इसके लिए उन्हें जेल की सजा भी काटनी पड़ी।
* पटेल ने 1928 में उन्होंने बारडोली जिले में आंदोलन किया था।
* उस वक्त यहां के लोग अकाल से तो जूझ ही रहे थे, साथ ही अंग्रेज सरकार ने टैक्स 30 प्रतिशत बढ़ा दिया था।
* सरदार ने लोगों को एकजुट कर आंदोलन किया।
* सरदार पटेल के साथ शामिल अन्य लोगों का यह विरोध रंग लाया और अंग्रेजों को उनकी मांगें माननी पड़ीं।
* बारडोली का यही सत्याग्रह था, जिसमें विजय के बाद उन्हें लोगों नेसरदार की उपाधि दी।
* आजादी के बाद सरदार पटेल सरकार के दो प्रमुख पदों को संभाल रहे थे।
* वे गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री दोनों की जिम्मेदारियां निभा रहे थे।
* गृहमंत्री होने के नाते बंटवारे के बाद भारत पहुंचे शरणार्थियों के रहने की व्यवस्था की जिम्मेदारी पटेल की ही थी।
* पटेल ही थे जिन्होंने वीपी मेनन के साथ मिलकर लगभग 565 रजवाड़ों को भारत में शामिल होने के लिए तैयार किया था।
* ध्यान रहे कि देश की ये रियासतें एक समय में आपसी लड़ाई-झगड़े के लिए बदनाम थीं। जिसका फायदा अंग्रेजो ने बखूबी उठाया।
* हालांकि पहले कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ भारत में शामिल नहीं होना चाहते थे। इन्हें भारत में शामिल कराने का श्रेय भी सरदार पटेल की बनाई हुई नीतियों को जाता है।
* एक दिन सरदार पटेल कोर्ट में केस लड़ रहे थे। जिरह जारी थी। उसी दौरान उन्हें पत्नी की मौत की सूचना मिली।
* लेकिन जिरह और फैसले के करीब पहुंच रहे केस को उन्होंने बीच में छोडऩे के बजाय ईमानदारी से लड़ा।
* केस जीते और फिर कोर्ट से घर पहुंचने के बाद उन्होंने पत्नी के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी निभाई।
Updated on:
31 Oct 2017 03:13 pm
Published on:
31 Oct 2017 01:45 pm
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