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स्कूल बस में दुष्कर्म के बाद जोरशोर से बनी थी गाइडलाइन लेकिन अब पुलिस इसे भूली, नहीं हो रहा पालन

स्कूल प्रबंधन की अभिभावकों को दो टूक-निजी स्कूल वाहनों के मामले में हम जिम्मेदार नहीं, पुलिस प्रशासन के पास गाइड लाइन पालन कराने का समय नहीं, अभिभावक अपनी जिम्मेदारी पर ही भेज रहे मासूम

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भोपाल

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Sunil Mishra

Jan 14, 2024

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स्कूल वाहनों में बच्चों का सफर सुरक्षित बनाने के लिए बनाई गई गाइडलाइन का पालन किसी भी स्तर पर नहीं होने की वजह से एक बार फिर अभिभावक और बच्चे भगवान भरोसे हैं। करीब 12 महीने पहले निजी स्कूल की बस में मासूम बालिका से दुष्कर्म की घटना के बाद पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पहली बार 18 बिंदु वाली एक गाइडलाइन बनाई गई थी। इस गाइडलाइन का औचक निरीक्षण करने के लिए सभी थाना प्रभारी को निर्देश भी जारी किए गए थे। गाइडलाइन जारी होने के कुछ दिन बाद तक कार्रवाई चलती रही लेकिन पिछले 8 महीने से एक भी थाना क्षेत्र में गाइडलाइन का औचक निरीक्षण नहीं किया गया है। अब स्कूल प्रबंधन भी इस बात से मुकरने लगे हैं कि निजी स्कूल वाहनों के प्रति वे जवाबदेह हैं।

सिर्फ एक महीने चली कार्रवाई

दुष्कर्म की घटना सामने आने के बाद पहली बार पुलिस ने स्कूल वाहनों के खिलाफ मुहिम शुरु की। ट्रैफिक पुलिस ने ऐसे 45 मामले चिन्हित करने के बाद लापरवाही पर 2.56 लाख रुपए जुर्माना नोटिस जारी कर रिकवरी की। बाद में वाहनों की नियमित जांच का अभियान शुरु कर दिया गया और स्कूल वाहनों की ओर से ध्यान पूरी तरह हट गया।

इस गाइड लाइन का पालन जरूरी

1. स्कूल/काॅलेज बसों को पीले रंग से पेंट किया जाना चाहिए।

2. बसों के आगे और पीछे बड़े एवं अक्षरों में ‘स्कूल बस’ लिखा जाए। यदि बस किराए की है तो उस पर आगे एवं पीछे विद्यालयीन सेवा SCHOOL BUS लिखा जाए।

3. विद्यालय, काॅलेज के लिये उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी बस में निर्धारित सीटों से ‘अधिक संख्या में बच्चे नही बिठाये’ जाएं।

4. प्रत्येक बस में अनिवार्य रूप से ‘‘फर्स्ट एड बाॅक्स’’ की व्यवस्था हों।

5. बस की खिड़कियों में ‘‘आड़ी पट्टियां अनिवार्य रूप से फिट करवाई जाएं।

6. प्रत्येक बस में ‘अग्नि शमन यंत्र’ की व्यवस्था हों।

7. बस पर ‘स्कूल का नाम और टेलीफोन नम्बर’ लिखा हुआ हो।

8. बस के ‘दरवाजे पर सुरक्षित सिटकनी’ लगी हों।

9. बच्चों के बस्ते रखने के लिए सीटों के नीचे जगह की व्यवस्था की जानी चाहिए।

10. बच्चों को लाते-ले जाते समय एक शिक्षक की व्यवस्था रहे जो बच्चे को एस्कॉर्ट करे।

11. सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों के माता-पिता या स्कूल के शिक्षक को भी बस में यात्रा कर सुरक्षा मापदंडों को जांचना चाहिए।

12. वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का न्यूनतम ‘पांच वर्ष का अनुभव‘ होना चाहिए।

13. यदि कोई ड्रायवर वर्ष में दो बार से अधिक ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन जैसे लाल सिग्नल को जम्प करना लेन नियम का पालन नही करना एवं अनाधिकृत व्यक्ति से वाहन चलवाने का दोषी पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को ड्रायवर नही रखना चाहिए।

14. यदि कोई ड्रायवर वर्ष में एक बार भी ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन जैसे ओवर स्पीड, नशे में वाहन चलाना या खतरनाक तरीके से वाहन चलाने का दोषी पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति को ड्रायवर नहीं रखना चाहिए।

15. स्कूल बसों एवं लोक परिवहन यानों में स्पीड गवर्नर की अनिवार्यता।

16. स्कूल बसों में 02 कैमरे अनिवार्य रूप से चालू स्थिति में हों, जिसमें एक कैमरा आगे की ओर तथा एक कैमरा बस में पीछे की ओर होना आवश्यक है।

17. स्कूल बस में जीपीएस सिस्टम अनिवार्य रूप से चालू हालत में लगा हुआ होना चाहिए।

18. स्कूल बस में सफर करने वाले छात्र, छात्राओं की सूची मय नाम, पता, ब्लड ग्रुप एवं बस स्टाॅप जहां से छात्र, छात्राओं को पिकअप एवं ड्राॅप करते है, की सूची चालक अपने पास रखेगा।

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सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन कराने की जवाबदेही से प्रायवेट स्कूल प्रबंधन किनारा नहीं कर सकते हैं। मनमानी करने वाले 45 मामलों में जुर्माना लगाया जा चुका है।

पीवी शुक्ला, डीसीपी, ट्रैफिक

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निजी स्कूल वाले किसी भी वाहन की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। उनका कहना है कि ये जिम्मेदारी पूरी तरह से अभिभावकों की है।
प्रबोध पंडया, सचिव, अभिभावक संघ