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शायर ने तैयार किया अनोखा बाग, जहां फूलों के बीच जमेगी महफिल

मंजर भोपाली 994 शायरियों को प्रिंट करा रहे हैं, जिन्हें शहर से 30 किमी दूर कलाखेड़ी गांव में पेड़ों पर लगाया जाएगा ताकि लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक ह

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भोपाल

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Juhi Mishra

Aug 30, 2017

Shayar manzar bhopali

Shayar manzar bhopali

हितेश शर्मा
भोपाल। अपनी महबूबा के लिए शायरी लिखने का चलन तो सदियों से चला रहा है, लेकिन राजधानी के चर्चित शायर मंजर भोपाली ने पेड़-पौधों से अपने प्रेम का इजहार करने के लिए शायरी लिख दी। इतना ही नहीं, 60 देशों के शायरों की पेड़-पौधों के बारे में लिखी शायरियों को खोजकर उसे एक किताब की शक्ल भी दे दी। जल्द ही, 994 शेरों को पेड़ों की तख्तियों पर लगाकर लोगों को इनसे मोहब्बत का पैगाम दिया जाएगा।

मंजर भोपाली 994 शायरियों को प्रिंट करा रहे हैं, जिन्हें शहर से 30 किमी दूर कलाखेड़ी गांव में पेड़ों पर लगाया जाएगा ताकि लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हो सकें। मंजर भोपाली बताते हैं कि अगले महीने यहां चर्चित कलाकारों का एक शो भी कराया जाएगा ताकि यहां आकर लोग इन शायरियों को पढ़कर मोटिवेट हो सकें। हर साल आर्टिस्ट यहां इस अवेयरनेस प्रोग्राम को एक सेलिब्रेशन की तरह मनाएंगे। मंजर ने बताया कि बचपन में उनसे एक गमला टूट गया था। पौधे की मौत पर मां ने बहुत डांटा, तब से मैंने हमेशा के लिए पेड़-पौधों की रक्षा का संकल्प लिया। मंजर पिछले बीस सालों से कलाखेड़ी गांव में पौधरोपण कर रहे हैं। अब तक करीब पांच हजार पौधे रोप चुके हैं। इनमें से 2200 पौधे पेड़ भी बन चुके हैं।

07 देशों से लाए पौधे रोपे
मंजर भोपाली बताते हैं कि वे प्रोग्राम के लिए अलग-अलग शहरों और देशों में जाते हैं। वहां से तीन-चार पौधे लेकर जरूर आते हैं। अब तक वे सात देश व कई शहरों से लाए करीब तीस प्रजाति के पौधे कलाखेड़ी में लगा चुके हैं। इनमें से कई प्रजातियों के पेड़ तो ऐसे हैं जिनमें वातावरण के प्रभाव के कारण फूल-फल तक नहीं आ पाते हैं।

दिखेंगी ये खास शायरियां
० धूप में चल रहे हैं सदियों से कोई साया मिले, ठहर जाएं
-जमील अजमल सईदी

० घने जंगल इसी की जद में आकर शहर बनते हैं
ये इन्सां तो परिन्दों से ठिकाना छीन लेता है
-मंजर भोपाली

० थके-हारे परिन्दे जब बसेरे के लिए लौटे
सलीकामंद शाखों का लचक जाना जरूरी है
- वसीम बरेलवी

० मुद्दत से रेत के सहारे में, आया न गया कोई बादल
०किस देस गए सारे पंछी, सूखा है शजर तन्हा-तन्हा
- डॉ. बशीर बद्र

० इंसान कत्ल करने के जैसा तो ये भी है
अच्छे-भले शजर को कुल्हाड़ी से काटना
- मुनव्वर राणा

लेह के पत्थरों को बनाया कलात्मक
जम्मू-कश्मीर आर्ट एंड कल्चर अकादमी की ओर से लेह में पिछले दिनों 10 दिवसीय राष्ट्रीय शिल्पकार शिविर (स्टोनकार्विंग) का आयोजन किया गया। शिविर में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के प्रमोद कुमार शर्मा समेत देश के विभिन्न राज्यों से 12 वरिष्ठ शिल्पकारों को बुलाया गया था। प्रमोद ने इस कार्यशाला में कश्मीर के ब्लैक स्टोन पर कार्विंग कर दो शिल्पों की रचना की।