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शिवराज कैबिनेट की बैठक अचानक निरस्त, प्रदेश के डॉक्टरों ने भी हड़ताल वापस ली

गुजरात चुनाव के कारण रद्द कर दी गई शिवराज कैबिनेट की अहम बैठक, बैठक निरस्त होते ही प्रदेश के डॉक्टरों ने भी हड़ताल वापस ली...।

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भोपाल

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Manish Geete

Nov 22, 2022

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भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज कैबिनेट की अहम बैठक निरस्त कर दी गई है। मंगलवार को होने वाली बैठक को निरस्त करने के पीछे कारण बताया जा रहा है कि शिवराज कैबिनेट के ज्यादातर मंत्री गुजरात चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। इधर, कैबिनेट बैठक निरस्त होते ही प्रदेश के डाक्टरों की हड़ताल भी वापस ले ली गई है।

मंगलवार को होने वाली शिवराज कैबिनेट की अहम बैठक रद्द कर दी गई है। यह बैठक अब अगले मंगलवार (29 नवंबर) को होगी। इस बैठक को रद्द करने के पीछे बताया जा रहा है कि ज्यादातर मंत्रियों के गुजरात दौरे पर होने के कारण रद्द की गई है। इस अहम बैठक में कई प्रस्ताव पारित होने वाले थे। सबसे अहम प्रस्ताव ब्यूरोक्रेट्स को मेडिकल कालेजों में नियुक्त करने का प्रस्ताव था, जिसे लेकर प्रदेशभर के डॉक्टर हड़ताल पर जाने के लिए तैयार थे। उनका कहना था कि यदि मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्ति का प्रस्ताव लाया जाता है और उसे पास कर दिया जाता है तो प्रदेश के 3500 से अधिक चिकित्सा शिक्षक और डाक्टर्स हड़ताल पर चले जाएंगे। चिकित्सा शिक्षकों का कहना है कि प्रदेश के 13 मेडिकल कालेजों और उनसे जुड़े अस्पतालों की प्रशासनिक व्यवस्था किसी बाहरी आफिसर को देना गलत है, क्योंकि उसे मेडिकल के बारे में कोई नॉलेज नहीं होता है। इसमें चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़ा व्यक्ति ही होना रहना चाहिए।

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विरोध में हैं चिकित्सा शिक्षक संघ

इससे पहले सोमवार को प्रदेशभर के मेडिकल कालेजों के चिकित्सा शिक्षकों और डाक्टरों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था। मप्र चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय कहते हैं कि प्रदेश के 13 मेडिकल कालेज में ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्त करने के प्रस्ताव के विरोध में हम एकत्र हुए हैं। डॉ. मालवीय ने बताया कि ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्ति के सभी विपरीत प्रभाव मेडिकल कॉलेजों पर असर पड़ेंगे। क्योंकि जितने भी प्रशासकीय कार्य उन ब्यूरोक्रेट्स को दिए जाने का शासन का प्रस्ताव है तो वो इसका अनुभव नहीं रखते हैं। क्योंकि मेडिकल कॉलेजों में जो भी प्रशासनिक कार्य होते हैं वो मरीजों की देखरेख से संबंधित, मरीजों की खानपान से संबंधित, छात्रों के पठन पाठन से संबंधित और कार्यरत चिकित्सकों से संबंधित होते हैं। और इन सबके लिए चिकित्सकीय अनुभव की जरूरत होती है। जो भी किसी भी डिप्टी कलेक्टर या एसडीएम के पास नहीं होता है। इसलिए उनके आने से न सिर्फ व्यवस्थाएं खराब होंगी बल्कि छिन्न-भिन्न होंगी।

हड़ताल का पड़ा असर

इधर, मंगलवार को दोपहर तक हड़ताल के कारण कई मरीजों को परेशान होना पड़ा। हमीदिया अस्पताल में कई आपरेशन टाल दिए गए। ऐसी ही स्थिति मध्यप्रदेश के जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज, ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कालेज, इंदौर के एमजीएम मेडिकल कालेज और प्रदेश के सरकारी कालेजों से जुड़े अस्पताल में भी हो रही थी। इधर, अब डाक्टर्स काम पर लौट आए हैं।

सपोर्ट में आए कमलनाथ

इधर, पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ भी इन चिकित्सा शिक्षकों के सपोर्ट में आ गए हैं। कमलनाथ ने ट्वीट के जरिए कहा है कि मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षक अपनी मांगों को लेकर काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन कर रहे हैं और हड़ताल की चेतावनी दे रहे हैं। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत पहले से ही खराब है। ऐसे में राज्य सरकार को आम जनता के हित में उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए।

भोपाल में समीक्षा बैठक

कैबिनेट बैठक निरस्त होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) मंत्रालय में सरकारी विभागों की समीक्षा में जुट गए हैं। उन्होंने एक लाख पदों पर भर्ती के संबंध में विभागों की समीक्षा की। अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विनोद कुमार ने प्रेजेंटेशन दिया। सात मंत्री और मुख्य सचिव समेत कई अधिकारी इस समीक्षा बैठक में मौजूद थे। गोपाल भार्गव, यशोधरा सिंधिया, कमल पटेल, अरविंद सिंह भदौरिया, उषा ठाकुर, ओपी सखलेचा और प्रेम सिंह पटेल मौजूद थे।