-मां इंजीनियर बनाना चाहती थीं लेकिन संगीत में मेरी 'प्रतिभा' को बड़ा मुकाम देने मुंबई तक गईं-सोशल मीडिया से मिली लोकप्रियता अस्थायी, नाम कमाने के लिए मेहनत और अनुशासन जरूरी- प्रतिभा
भोपाल। हिंदी सिनेमा के कई बेहतरीन फिल्मों में अपनी सुरीली आवाज का जलवा बिखेर चुकीं सामान्य परिवार में जन्मी गायिका प्रतिभा सिंह बघेल का सफर रीवा से शुरू होकर मुंबई तक पहुंचा। लेकिन इस सफर में कई मोड़ और कई चुनौतियां भी आईं। इस बार की पत्रिका वुमन गेस्ट एडिटर बनी प्रतिभा सिंह बघेल ने बताया कि उनकी मां उन्हें इंजीनियर बनाना चाहती थीं लेकिन उन्होंने संगीत में ही अपना भविष्य देखा और एक टीवी शो के मार्फत मुंबई जाने का मौका मिला और फिर वहीं से शुरू हो गया मायानगरी सफर।
प्रतिभा ने बताया कि रीवा से ही उन्होंने पूरी पढ़ाई की और संगीत में रूचि होने के पीछे एक बड़ी वजह उनके पिता हैं क्योंकि वो हैं तो पुलिस में लेकिन संगीत के प्रति उनका अटूट प्रेम है। जिससे प्रेरणा लेकर आज वो इस मुकाम पर हैं। साथ ही प्रतिभा ने बताया की मां से जरूर लोग ताना मारते थे कि जब शादी करोगी तो क्या बताओगी बेटी गाना गाती है।
मेरे खानदान में संगीत की होती है पूजा
प्रतिभा ने बताया कि जब आप बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं तो कुछ चुनौतियों का रास्ते में आना बेहद स्वाभाविक है। ठीक वैसे ही मेरे भी जीवन में कई चुनौतियां आईं लेकिन मेरे खानदान का हमेशा से कला और संगीत के प्रति अलग दृष्टिकोण रहा है। बल्कि ये कहा जाए कि मेरे खानदान में हमेशा से संगीत पूजा जाता रहा है इस वजह से मुझे इस कला में अपना भविष्य देखने में ज्यादा चुनौती नहीं आई।
सोशल मीडिया से मिली लोकप्रियता अस्थायी
सोशल मीडिया से आपको क्षणिक लोकप्रियता जरूर मिल सकती है लेकिन स्थायी सफलता के लिए आपके अंदर मेहनत, लगन और अनुशासन का होना सबसे ज्यादा जरूरी है। जिगर का शेर पढ़ते हुए प्रतिभा ने कहा कि गजल में बंदिश एक अल्फाज ही नहीं सब कुछ, जिगर का खून भी कुछ चाहिए असर के लिए। तो ये आपको तय करना है कि आपको चंद दिनों की सफलता चाहिए या स्थायी सफलता। इसीलिए मुझे कछुए वाली चाल अच्छी लगती है।