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एक हजार ब्लॉक्स से छह माह में तैयार किया पंद्रह फीट लंबा जाजम

गौहर महल में चल रहा बाग महोत्सव  

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एक हजार ब्लॉक्स से छह माह में तैयार किया पंद्रह फीट लंबा जाजम

भोपाल। गौहर महल में चल रहे बाग महोत्सव में धार जिले के बाग गांव के बाग कला के कारीगर आए हैं। महोत्सव में आए इद्रीश खत्री 108 बाय 140 इंच की जाजम लेकर आए हैं। इसकी कीमत करीब 90 हजार रुपए है। इस जाजम को उनके पिता नूर मोहम्मद खत्री ने करीब पांच साल पहले तैयार किया था। इसके लिए उन्हें नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है। इस जाजम को तैयार करने में करीब एक हजार ब्लॉक्स का इस्तेमाल किया गया। इसमें करीब पांच सौ तरह की अलग-अलग डिजाइन्स को उकेरा गया। इसकी खासियत है कि पूरे जाजम में कहीं भी एक डिजाइन दूसरी बार प्रिंट नहीं हुआ है।

इद्रीश का कहना है कि जाजम के बीच में मांडू की जामा मस्जिद के डिजाइन को उकेरा गया है। वहीं, आसपास प्रकृति के विभिन्न रूपों को उकेरा गया है। पूरा जाजम नेचरल कलर्स से तैयार किया गया है। इसे तैयार करने में करीब छह माह का समय लगा। वहीं, अय्यूब खत्री ने बाग प्रिंट पर अनारकली सूट तैयार किया है। अय्यूब का कहना है कि पहले प्लेन कपड़े को स्ट्रीच करने के बाद इसे पर ब्लॉक्स दिए गए ताकि कोई भी डिजाइन कटा हुआ नहीं दिखे। एक पीस को तैयार करने में करीब एक सप्ताह का समय लगता है।

अब्दुल कादर खत्री को यूनेस्को से मिला पुरस्कार

सिल्क दुपट्टे पर बाग प्रिंट कला उकेरने के लिए अब्दुल कादर खत्री कतर में सम्मानित
भोपाल। बाग प्रिंट्र्स अब्दुल कादर खत्री को यूनेस्को और वल्र्ड क्राफ्ट्स काउंसिल का अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस फॉर हैंडीक्राफ्ट्स-2018 का सम्मान मिला। खत्री को यह सम्मान सिल्क दुपट्टे पर परंपरागत तरीके से प्राकृतिक रंगो के साथ बाग प्रिंट की बेहतरीन कारीगरी के लिए दिया गया। अन्तरराष्ट्रीय शिल्प विशेषज्ञों ने शिल्प उत्कृष्टता के उच्चतम स्तर को सुनिश्चित करके प्रत्येक शिल्प का चयन किया। यह आयोजन कतर में किया गया।

इससे पहले भी हस्तशिल्प कला में ठप्पा छपाई के नए अयाम देने वाले बाग प्रिंटर्स खत्री 2005 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार, 1990 में मप्र सरकार द्वारा राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वहीं, 2015 में कला निधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अब्दुल कादर खत्री धार जिले के छोटे से कस्बे बाग में अपनी रंगाई-छपाई कार्यशाला में प्रतिदिन नए प्रयोग करते हैं। खत्री और उनके बेटे आरीफ खत्री और मोहम्मद खत्री जर्मनी, ओमान, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, मलेशिया, थाईलैंड जैसे देशो में बाग प्रिंट ठप्पा छपाई कला का लाइव डेमोस्ट्रेशन कर चुके हैं। खत्री के अनुसार इस दुपट्टे को खूबसूरत बनाने के लिए लहरिया डिजाइन और नारियल जाल समेत कई पारंपरिक डिजाइनों में मॉर्डन टच दिया है। इसमें काला रंग, लोहे के जंग तथा लाल रंग फिटकरी से किया गया है। वहीं, धावड़ी के फूल तथा आल की जड़ के साथ इसे रंगा गया है।