सोराइसिस का कारण
कुछ समय पहले हुए सर्वे में ये चौकाने वाली बात सामने आई, जिसमें पता चला कि, विश्वभर में लगभग 12.5 करोड़ लोग इस रोग से पीड़ित हैं। एक रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई कि, मध्य प्रदेश की करीब 3 फीसदी आबादी इस गंभीर बीमारी में लिप्त है। पूरे भारत में करीब पांच फीसदी लोग सोराइसिस से पीड़ित हैं। ये एक ऐसी बीमारी है कि, अब तक इसका कोई स्पष्ट कारण पता नहीं लग सका है। विशेषज्ञों का मानना है कि, सोरायसिस एक तरह का वायरस है, जो एक से दूसरे को फैलता है। अगर परिवार के किसी सदस्य को सोराइसिस है तो बहुत संभव है कि, ये परिवार के अन्य सदस्यों को भी हो सकता है।
यहां से होती है सोराइसिस की शुरुआत
राजधानी भोपाल के एक निजी अस्पताल की डमेर्टोलॉजिस्ट डॉ. कंचन मेहता ने बताया कि, ‘सोराइसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें त्वचा लाल हो जाती है और उसपर सफेद दाग उभर आते हैं। यह सिर, कुहनी, घुटने और पेट की त्वचा पर मुख्य रूप से होते हैं। वैसे तो ये समस्या हमें वैसे ही नजर आ जाती है, लेकिन कई कैसेज में स्किन बायोप्सी या स्क्रैपिंग की मदद से भी इसका पता लगाया जा सकता है। सोराइसिस की स्थिति और शरीर के कितने हिस्से पर इसका प्रभाव है, इसे देखते हुए कई प्रकार के उपचार उपलब्ध हैं। टॉपिकल थेरैपी और दवाएं लाभकारी होती है, लेकिन गंभीर स्थिति के लिए बायोलॉजिक्स जैसी एडवांस्ड थेरेपी की सलाह दी जाती है।’
इस बीमारी से बचने का तरीका
चर्मरोग विशेषज्ञ के मुताबिक, वैसे तो इस बीमारी का कोई स्पष्ट कारण नहीं है, लेकिन तनाव से इसका रिश्ता होता है। ऐसा नहीं है कि, जो व्यक्ति मानसिक तनाव में रहता है उसे सोराइसिस होता है, लेकिन, सोराइसिस के मरीजों में आमतौर पर तनाव देखा गया है। हालांकि, एक शोध में ये बात जरूर सामने आई है कि, मोटापे और सोराइसिस के बीच संबंध होता है। ज्यादा वजनी लोगों की त्वचा में घर्षण और पसीने से घाव होने लगते है, कई बार ये सोराइसिस का रूप भी ले लेते हैं। आज के आम उपचारों में इस गंभीर बीमारी के पूर्ण उपचार की प्रमाणिकता अब तक नहीं मिली है, हालांकि, दिनचर्या में थोड़ा बदलाव, खानपान में एहतियादी और प्रभावी उपचार लेने से रोगी की स्थिति में सुधार हो सकता है।