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कुछ कर दिखाना है… मंत्रियों के सामने परफॉर्मेंस की चुनौती, विजन की कसौटी

फिलहाल अफसरशाही की लाइन पर ही शुरुआत, छह तो पद तक नहीं संभाल पाए

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भोपाल. मोहन सरकार के सामने अब परफॉर्मेंस की चुनौती है। इसमें सबसे ज्यादा कसौटी पर मंत्रिमंडल है। इनमें भी अनुभवी बड़े चेहरों के सामने ज्यादा चुनौती है। सरकार में कितना नया विजन ला पाएंगे, इसकी कसौटी पर ही कामकाज परखा जाएगा। बड़े चेहरों के लिए दिक्कत ये है कि शीर्ष नेतृत्व भी सीधी निगरानी कर रहा है। यदि काम ठीक नहीं रहा तो आगे दिक्कत आ सकती है। लोकसभा चुनाव के बाद पूरे मंत्रिमंडल का परफॉर्मेंस जांचा जाएगा। फिलहाल तो मंत्रियों ने अफसरशाही की लाइन पर ही कदम बढ़ाए हैं।

फिलहाल मंत्रिमंडल में बड़े चेहरों पर ज्यादा नजरें टिकी हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री से राज्य के मंत्री बने प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह व राष्ट्रीय महासचिव से अब राज्य के मंत्री बने कैलाश विजयवर्गीय शामिल हैं। सांसदी छोड़ मंत्री बने उदय प्रताप सिंह पर भी निगाह है।

शुभ मुहूर्त के फेर ने कुछ मंत्रियों के पदभार संभालने की राह रोक रखी है। अभी तक करीब छह मंत्रियों ने पद नहीं संभाला है। कुछ आठ और कुछ 14 जनवरी के बाद पद संभालेंगे। मुहूर्त का फेर इतना ज्यादा है कि राकेश सिंह ने तीन जनवरी को देर रात मंत्रालय पहुंचकर पद संभाला था।

इन्होंने संभाला पद: डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल व जगदीश देवड़ा। मंत्रियों में विजय शाह, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, करण सिंह वर्मा, उदय प्रताप सिंह, सम्पत्तिया उइके, तुलसी सिलावट, एंदल सिंह कंसाना, निर्मला भूरिया, विश्वास सारंग, नागर सिंह चौहान, चेतन्य काश्यप, कृष्णा गौर, धर्मेंद्र सिंह लोधी, दिलीप जायसवाल, गौतम टेंटवाल, लखन पटेल, नारायण सिंह पंवार, नरेंद्र शिवाजी पटेल, प्रतिमा बागरी, दिलीप अहिरवार व राधा सिंह।

कमान संभालना बाकी: कैलाश विजयवर्गीय, प्रद्युम्र सिंह तोमर, राकेश शुक्ला, इंदर सिंह परमार, गोविंद सिंह राजपूत, नारायण सिंह।

उदयप्रताप सिंह: स्कूल शिक्षा व परिवहन विभाग संभाला। बैठक की। ड्राइवर हड़ताल की चुनौती से जूझे। इसके बाद स्कूल शिक्षा पर फोकस किया। योजनाएं, लक्ष्य समझे। अब आगे काम।

कैलाश विजयवर्गीय: नगरीय प्रशासन मंत्री का पदभार अभी तक नहीं संभाला है। चार जनवरी को बिना पद संभाले विभागीय बैठक की। इसके बाद नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनने की पिछली सरकार की लाइन को ही दोहराया।

प्रहलाद पटेल: ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री का पदभार ग्रहण करते ही उसी दिन समीक्षा बैठक की। सौ दिन के लक्ष्य तय किए। अभी अफसरशाही के प्रेजेंटेशन पर ही आगे काम शुरू किया।

राकेश सिंह: पीडब्ल्यूडी विभाग का पद संभाला। 3 जनवरी को देर रात पद संभाला। अगले दिन विभाग की बैठक ली। भाजपा के संकल्प-पत्र के बिंदुओं को प्राथमिकता रखा। पांच साल के लक्ष्यों पर अफसरशाही की लाइन पर काम।

केंद्रीय मंत्री से विधानसभा अध्यक्ष बने नरेंद्र सिंह तोमर के सामने भी चुनौतियां कम नहीं हैं। 9-10 जनवरी को विधायक प्रबोधन कार्यक्रम रख नवाचार की कोशिश शुरू की है। पूर्व विस अध्यक्ष गिरीश गौतम कर्मचारी हितैषी निर्णयों के कारण कर्मचारियों में लोकप्रिय थे। प्रोटेम स्पीकर रहकर ही रामेश्वर शर्मा ने कम समय में बेहद तेज व सनातन धर्म की लाइन पर काम किया था। इससे पूर्व कांग्रेस सरकार में एनपी प्रजापति का अध्यक्षीय कार्यकाल नापसंद किया गया था। उससे पूर्व सीतासरण शर्मा को पसंद किया जाता था। अब तोमर के सामने अलग लाइन चुनने की चुनौती है।