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14 और 15 अगस्त को 2 दिन है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2017: इस वजह से 15 को मनाएं

भगवान कृष्ण के जन्म दिवस को हिंदुओं में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व के तौर पर मनाया जाता है।

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Sri Krishna Janmashtami

भोपाल। भगवान श्रीकृष्ण के भक्त इस बार पड़ने वाली जन्माष्टमी का उत्सव 14 और 15 अगस्त को मनाएंगे। भारत में हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण का जन्म श्रावण मास के आठवें दिन यानि अष्टमी पर मध्यरात्रि में हुआ था। भारतीय धर्म शास्त्रों में कहा गया है जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार लेते हैं। इसी तरह द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया। भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है जिन्होंने देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में जन्म लिया और मथुरावासियों को निर्दयी कंस राजा के शासन से लोगों को मुक्ति दिलाई।

भले ही श्रीकृष्ण के माता-पिता देवकी और वासुदेव थे, लेकिन बचपन से ही उनका पालन-पोषण यशोदा और नंद ने किया था। ऐसी भविष्यवाणी की हुई थी कि देवकी और वासुदेव का आठवां पुत्र कंस की मृत्यु का कारण बनेगा। इस भविष्यवाणी को सच होने से रोकने के लिए राजा कंस ने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को बंदी बना लिया और कई सालों के लिए उन्हें कारागार में डाल दिया था। इतना ही नही इस दौरान देवकी ने जिन छ संतानों को जन्म दिया कंस ने उनका भी वध कर दिया। लेकिन श्रीकृष्ण के जन्म के समय वासुदेव बालकृष्ण को भगवान के निर्देशानुसार वृंदावन के नंद गांव में यशोदा और नंद को सौंप आए, जहां कृष्ण ने अपना बचपन बिताया और कुछ सालों बाद उन्होंने कंस का वध कर भविष्यवाणी को सही साबित किया।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार पिछले कई वर्षों की भांति इस बार भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2017 दो दिन की है। लेकिन 15 अगस्त को पड़ने वाली जन्माष्टमी उदया तिथि में होने के कारण शास्त्र संवत है। इस लिए आपको इस दिन की ही मानना चाहिए।

जन्माष्टमी 2017 का दिन कृष्ण भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इसी दिन श्री कृष्ण ने धरती पर जन्म दिया था और तरह-तरह की लीलाएं रचाई थीं। कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी बुधवार की अर्द्धरात्रि रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था। इसलिए इसी दिन कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर बाजारों में श्रीकृष्ण के बाल रूप के सुंदर-सुंदर चित्र और मूर्तियां आती हैं, जिन्हें लोग अपने घरों में स्थापित करते हैं। नंद गोपाल को नए-नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं जाते हैं।