
भोपाल. राजधानी में Inter state bus terminal लोकल बस स्टैंड में तब्दील हो रहा है। करीब 48 करोड़ से इसका निर्माण हुआ लेकिन आधे से Óयादा हिस्से में बसों का कबाड़ भरा है। बड़ा हिस्सा किसी गैराज की तरह नजर आ रहा है। खटारा बसें एक कोने में लगी हुई हैं। इसी के बीच से यात्रियों की आवाजाही हो रही है। सुधार का जिम्मा जिस एजेंसी पर है वह पत्र भेजने तक सीमित है।
राजधानी में करीब 13 साल पहले कुशाभाऊ ठाकरे इंटर स्टेट बस टर्मिनल की शुरुआत हुई। यहां से प्रदेश के सभी हिस्सों में करीब 250 बसें रवाना होती हैं। करीब दस हजार यात्री यहां से आवाजाही करते हैं। इस बीच बस स्टैंड में बसों के ठहरने का नियम है। बसें अगर रुकती हैं तो इसके लिए अनुरक्षण शुल्क तय है। व्यवस्था के लिए एजेंसी है। इन सबके बावजूद स्टैंड के आधे से Óयादा हिस्से पर खटारा बसों का कब्जा है।
हफ्तों स्टैंड पर ही खड़ी रहती हैं बसें
बस स्टैंड पर बसों का संचालन होता है। यानि आवाजाही की व्यवस्था यहां से होती है। नियमों के मुताबिक रात ठहरने तक की अनुमति होती है। लेकिन कई बसें यहां हफ्तों से खड़ी हैं। सभी निजी ऑपरेटरों की बसें हैं। इस पर रोक के लिए निगम अमला कार्रवाई नहीं कर रहा है।
बीसीएलएल के पास बसों की जिम्मेदारी
यहां व्यवस्थाएं दो हिस्सों में बंटी हैं। सुविधाओं से जुड़े मामलों की जिम्मेदारी नगर निगम के पास है जबकि बसों से संबंधित जिम्मा बीसीएलएल के पास।
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बस स्टैंड पर अनाधिकृत रूप से कई बसें खड़ी हो रही हैं। यह सही है। इस संबंध में नगर निगम कमिश्नर को पत्र लिखा गया है। ताकि इन पर कार्रवाई हो सके। इसका अब तक जवाब नहीं आया है। फिर से इस मामले को उठाया जाएगा। स्टैंड पर कब्जे जैसे हालत बन रहे हैं।
मनोज राठौर, बीसीएलएल प्रभारी
Updated on:
17 Mar 2023 12:13 am
Published on:
17 Mar 2023 12:09 am
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