
महारानी स्कूल की छात्राएं सही राष्ट्रगान नहीं गा पा रहीं, अनुपस्थित शिक्षकों पर अब होगी ...
भोपाल। मध्यप्रदेश स्किल बेस्ड एजुकेशन सिस्टम स्टीम को लागू करने वाला देश का पहला राज्य हो सकता है। प्रदेश सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। 30 एवं 31 अक्टूबर को राजधानी में सरकार स्टीम कॉनक्लेव करने जा रही है।मिंटो हाल में होने वाले इस कॉनक्लेव में भारत के साथ ही अमेरिका और दक्षिण कोरिया के 350 से ज्यादा शिक्षाविदों के शामिल होने की उम्मीद है। स्टीम- साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आट्र्स और मैथ्स विषय की स्किल बेस्ड शिक्षण पद्धति की एक नई तकनीकी है। प्रदेश के शिक्षाविद, शिक्षक और शिक्षा विभाग से जुड़े अफसर इस कॉनक्लेव में शामिल होंगे।
स्कूलों के प्रमुख और शिक्षकों को शिक्षा के इस नए मॉडल के बारे में पूरी जानकारी दी जा सके, इसके लिए 30 और 31 अक्तूबर को भोपाल में एक कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई है। इसमें दिल्ली और कर्नाटक के अलावा अमेरिका और दक्षिण कोरिया में स्टीम मॉडल पर काम कर रहे विशेषज्ञ शामिल होंगे।
स्टीम के लिए कोरिया जा चुके शिक्षक-
दक्षिण कोरिया ने स्टीम शिक्षा पद्धति को लागू किया है। वहां इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं। अभी तक मध्यप्रदेश से तीन दल कोरिया में शिक्षा व्यवस्था देखने जा चुके हैं। चौथा दल नवंबर में जाएगा। कोरिया से दौरा करके लौटे शिक्षक भी अपने अनुभव कॉनक्लेव में बताएंंगे।
क्या है स्टीम पद्धति
स्कूलों में अब तक विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट्स और गणित विषयों को किताबी पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जाता है। स्टीम शिक्षण की एक नई पद्धति है, जिसमें अनुभव के साथ ज्ञान दिया जाता है। इसमें स्किल बेस्ड एजुकेशन पर फोकस किया जाता है। इसके साथ ही इसमें किसी भी विषय को दूसरे विषय के साथ एकीकृत करके पढ़ाया जाता है। गणित, विज्ञान जैसे विषय अलग-अलग नहीं लगते हैं। इसके साथ ही शिक्षक को एजुकेटर बनाने पर फोकस किया जाता है। इसके साथ ही विद्यार्थियों में प्रयोगात्मक क्षमता बढ़ाकर अविष्कार करने की सोच विकसित की जाती है
स्टीम करिकुलम समय की मांग है। इसकी मदद से छात्रों को वर्तमान समय के अनुसार प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जा सकेगा।
रश्मि अरूण शमी, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा
Published on:
29 Oct 2019 10:47 am
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