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भोपाल

डकैत चंदन ने DGP को तो पान सिंह ने CM को दिया था चैलेंज

30 जनवरी को डकैत चंदन गड़रिया पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। उसने मध्यप्रदेश के डीजीपी को चैलेंज किया था। 

भोपालJan 31, 2016 / 04:37 pm

Nitesh Tripathi

30 जनवरी को डकैत चंदन गड़रिया पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। उसने मध्यप्रदेश के डीजीपी को चैलेंज किया था। इससे पहले भी आतंक का पर्याय रहे पान सिंह तोमर ने मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह तक को चैलेंज कर दिया था। mp.patrika.com आपको बता रहा है चंबल के इस खतरनाक डकैत के बारे में, एक दौर में जिसके नाम का था खौफ…)


नितेश त्रिपाठी@भोपाल/ग्वालियर। पान सिंह का एनकाउंटर करने वाले तात्कालीन डीएसपी एम.पी सिंह चौहान बताते हैं कि पुलिस वाले पान सिंह के नाम से कांपते थे। अपने भाई माता सिंह की हत्या के बाद उसने तात्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को चैलेंज कर दिया था।


सेना में सूबेदार और राष्ट्रीय चैम्पियन पान सिंह
कुछ डाकुओं की कहानी ऐसी है जिसे पढ़कर आपको लगेगा कि इन्हें बहुत सताया गया होगा या फिर सिस्टम से मजबूर होकर ये बागी हो गए। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के पान सिंह तोमर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। साढ़े छह फिट उंचा कद वाला पान सिंह अपने जमीन के लिए 8 साल तक जूते घिसने के बाद डकैत बना। इससे पहले वह सेना में सूबेदार के पद पर तैनात था। ये डकैत राष्ट्रीय चैम्पियन भी रहा। सूबेदार के पद पर रहते उसने सात सालों तक ये मुकाम अपने नाम कर रखा था। एक बार उसने जमीनी विवाद में अपने रिश्तेदार बाबू सिंह की हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद पान सिंह ने खुद को बागी घोषित कर दिया।

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(पान सिंह एनकाउंटर के बाद)

कभी देश के लिए दौड़ने वाला पान सिंह अब बीहड़ों में दौड़ रहा था। कुछ ही दिनों में बीहड़ों को रौंदते हुए पान सिंह पूरी चंबल घाटी का डकैत बन गया। कहते हैं कांटो से भरी चम्बल घाटी में शेर नहीं होते, लेकिन दुनिया ने पान सिंह को नाम दिया चंबल का शेर। पान सिंह जब एक बार दहाड़ता तो पूरी चंबल घाटी थर्राने लगती। पान सिंह का एनकाउंटर करने वाले तात्कालीन डीएसपी एम.पी सिंह चौहान बताते हैं कि खुद पुलिस वाले पान सिंह के नाम से कांपते थे।


पान सिंह तोमर पर सरकार के करोड़ों रुपये हुए थे खर्च
पान सिंह को पकड़ने के लिए बीएसऍफ़ की दस कंपनिया, एसटीऍफ़ की 15 कंपनिया लगाई गई थी। इसके बाद जिला फ़ोर्स अलग थी। डकैत पान सिंह को पकड़ने के लिए सरकार के करोड़ों रुपए खर्च हुए थे। पान सिंह के दुश्मन में से एक रहे वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि पान सिंह की खौफ से वीरेंद्र 24 घंटे पुलिस साये में रहते थे।

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चंबल का इलाका 

ताश खेलने का शौक़ीन था पान सिंह तोमर
पान सिंह अपने गैंग में शामिल डाकुओं से नशा न करने की अपील करता था। पान सिंह का भतीजा बलवंत के अनुसार पान सिंह मजाकिया किस्म का इंसान था। वो बड़े बूढों से लेकर सबसे मजाक करता था। पान सिंह ताश खेलने का शौक़ीन था, उसे ताश में देहला पकड़ (ताश का एक खेल) बहुत पसंद था। पान सिंह की बेटी अट्टाकली बताती हैं कि पान सिंह फरारी के वक़्त तीन-से चार बार घर आया लेकिन वो घर पर कुछ लेकर नहीं आता था बल्कि घर से चार सौ-पांच सौ रुपया ले जाया करता था।


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पान सिंह के खात्मे के बाद सीएम अर्जुन सिंह

पान सिंह ने मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को दी थी चुनौती
1981 में पान सिंह का भाई माता दिन पुलिस मुठभेड़ में मारा गया, जिसके बदले में पान सिंह ने गुर्जर समुदाय के छह लोगों की हत्या कर दी। इस घटना से एमपी की राजनीति में भूचाल आ गया। इसके बाद पान सिंह ने एमपी के तात्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को सीधे चैलेंज कर दिया। ये बात अर्जुन सिंह को खल गई। इसके बाद उन्होंने पान सिंह को जिंदा या मुर्दा पकड़ने का फरमान सुना दिया। बाद में तात्कालीन डीएसपी ने पान सिंह के गांव के लोगों को नौकरी का लालच देकर पान सिंह को पकड़ने के लिए मुखबिरी कराई। कहते हैं कि अक्टूबर 1981 में लगभग 10000 की फ़ोर्स ने पान सिंह को घेरकर मार गिराया।

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