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पढ़ें अब कैसे कॉलेज में अपनी ही फीस तय कर सकेंगे स्टूडेंट

एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (एएफआरसी) द्वारा कॉलेजों की डिमांड पर एक तरफा फीस घोषित की जाती है। छात्रों को अपनी बात रखने को कभी मौका ही नहीं मिला। फीस तय करने की प्रक्रिया में कॉलेजों का ही रोल है।

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sachin gupta

Jul 23, 2017

BHOPAL

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गिरीश उपाध्याय
भोपाल .एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (एएफआरसी) द्वारा कॉलेजों की डिमांड पर एक तरफा फीस घोषित की जाती है। छात्रों को अपनी बात रखने को कभी मौका ही नहीं मिला। फीस तय करने की प्रक्रिया में कॉलेजों का ही रोल है। आवेदन की प्रक्रिया के बाद सुनवाई भी कॉलेजों की होती है। इनके मुताबिक फीस निर्धारित नहीं होती तो कमेटी के आदेश के खिलाफ अपील भी यही कॉलेज करते हैं। यह बात हमेशा छात्रों से छिपाई जाती रही है कि कमेटी के आदेश के खिलाफ छात्र भी अपील कर सकते हैं। इसके लिए बाकायदा 2013 में एक्ट संशोधित किया
गया है।

फीस तय होने के बाद आदेश तो जारी कर दिए जाते हैं, लेकिन छात्र भी उनके आदेश को लेकर अपील कर सकते हैं, इस बारे में सार्वजनिक सूचना जारी करने से परहेज करते रहे। इस बारे में न तो कमेटी ने ध्यान दिया और न ही अपीलीय अधिकारी ने। इसलिए इस सुविधा का लाभ सिर्फ कॉलेज संचालक ही ले रहे हैं। यदि इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाती तो एमबीबीएस की फीस बढ़ोतरी पर बखेड़ा खड़ा नहीं होता। उधर, एएफआरसी सचिवालय के आलोक चौबे का कहना है कि इन सब मुद्दों को अध्यक्ष की जानकारी में लाया जाएगा।छात्रों का फीडबैक भी लेती है कमेटी फीस तय कराने के लिए कॉलेज प्रपोजल और बैलेंस सीट पहुंचाते हैं। इसके आधार पर फीस तय होती है। इसमें छात्र व वहां की फेकल्टी का कोई दखल नहीं होता। फीस तय करने की प्रक्रिया में छात्रों और संबंधित फेकल्टी का भी दखल होना चाहिए। इसके लिए एक्ट में व्यवस्था है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जाता। साथ ही कॉलेज का निरीक्षण भी नहीं कराया जाता।

कॉलेज के अकाउंट का नहीं होता वेरीफिकेशन
जिस कॉलेज की फीस तय होती है उसके अकाउंट का सीए द्वारा वेरीफिकेशन कराया जाता है, लेकिन मेडिकल कॉलेजों की फीस तय करते समय इस प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। अकाउंट का वेरीफिकेशन हुआ है, इसका प्रमाण सीए द्वारा दिए गए सर्टिफिकेट से किया जाता है। यह बात अपीलीय अधिकारी पीके दास ने भी स्वीकार की है। उनका कहना है कि इस मामले उन्होंने आपत्ति भी दर्ज कराई थी।

सरकार मुझे बाध्य नहीं कर सकती
अपीलीय अधिकारी पीके दास ने बताया, फीस कमेटी के किसी भी आदेश से कोई भी व्यक्ति या व्यावसायिक संस्था व्यथित होती है तो वह आदेश जारी होने के 30 दिन के भीतर अपील कर सकता है। दास का कहना है कि छात्रों की संख्या अधिक होती है, इसलिए उनकी ओर से सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई। अपील सुनवाई के दौरान आपत्ति जताई जाती तो उसका पक्ष भी सुना जाता।