फीस तय होने के बाद आदेश तो जारी कर दिए जाते हैं, लेकिन छात्र भी उनके आदेश को लेकर अपील कर सकते हैं, इस बारे में सार्वजनिक सूचना जारी करने से परहेज करते रहे। इस बारे में न तो कमेटी ने ध्यान दिया और न ही अपीलीय अधिकारी ने। इसलिए इस सुविधा का लाभ सिर्फ कॉलेज संचालक ही ले रहे हैं। यदि इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाती तो एमबीबीएस की फीस बढ़ोतरी पर बखेड़ा खड़ा नहीं होता। उधर, एएफआरसी सचिवालय के आलोक चौबे का कहना है कि इन सब मुद्दों को अध्यक्ष की जानकारी में लाया जाएगा।छात्रों का फीडबैक भी लेती है कमेटी फीस तय कराने के लिए कॉलेज प्रपोजल और बैलेंस सीट पहुंचाते हैं। इसके आधार पर फीस तय होती है। इसमें छात्र व वहां की फेकल्टी का कोई दखल नहीं होता। फीस तय करने की प्रक्रिया में छात्रों और संबंधित फेकल्टी का भी दखल होना चाहिए। इसके लिए एक्ट में व्यवस्था है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जाता। साथ ही कॉलेज का निरीक्षण भी नहीं कराया जाता।