
मेट्रो के एम्स से करोंद तक 16 किमी रूट के दोनों तरफ 50 मीटर जगह छोड़कर होगा कलेक्टर गाइडलाइन के लिए सर्वे
भोपाल. राजधानी में एक साल में 26.72 फीसदी प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त बढ़ी है। नेशनल हाउसिंग बैंक एनएचबी की रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। इसका असर वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन पर पड़ सकता है। क्योंकि मौजूदा रजिस्ट्री के आंकड़े और कई लोकेशन पर वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन से अधिक दर पर हुए सौदे इस बात पर मुहर लगा रहे हैं। वहीं इस बार जमीनों के रेट बढ़ाने के प्रस्ताव में मेट्रो के रूट का खास ध्यान रखा जा रहा है। सर्वे करने से पूर्व नौ वार्डों में फैले मेट्रो के एम्स से करोद तक के रूट पर प्रॉपर्टी रेट बढ़ाने के लिए नए सिरे से सर्वे होगा। ताकि यहां नए निर्माणों के आधार पर रेट तय किए जा सकें। नए साल में मेट्रो रूट का काम और तेज गति से होगा, पुल बोगदा से आगे लगी आरा मशीनों को यहां से शिफ्ट किया जाएगा। इसके बाद ये रूट करोंद तक जाएगा। एम्स से सुभाष नगर तक 6.22 किमी रूट पर काम चल रहा है। जल्द ही गणेश मंदिर से हबीबगंज नाके तक स्टील गर्डर डालकर इस रूट को पूरा किया जाएगा।
640 लोकेशन हो गईं अब तक
पंजीयन और राजस्व अफसरों की तरफ से नए शहर में चल रहे नए प्रोजेक्ट और कमर्शियल निर्माणों के संबंध में जानकारी एकत्र की जा रही है। वहीं वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन से अधिक दर पर हुई रजिस्ट्री की पड़ताल की जा रही है। पूर्व में 600 लाेकेशनें ऐसी निकाली गईं थीं, जहां वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन की दर से अधिक पर रजिस्ट्री हुई। कान्हासैया, नीलबड़, जाटखेड़ी, कजलीखेड़ा, लांबाखेड़ा- बैरसिया रोड की तरफ की गई पड़ताल के बाद कुछ लोकेशन पर तीन गुना दर पर भी रजिस्ट्री होना सामने आया है। यहां दो दर्जन से ज्यादा कॉलोनी पिछले कुछ माह में काटी गईं हैं, जिनमें रजिस्ट्री हो रही हैं। ऐसे में यहां की 40 और लाेकेशनों को गाइडलाइन के प्रस्ताव में शामिल किया गया है, कुल 640 लोकेशन अब तक प्रस्ताव में शामिल की हो चुकी हैं। नई सरकार गठन के बाद इसकी पहली बैठक की जाएगी।
पुराने शहर में महंगी हो गई प्रॉपर्टी की रजिस्ट्रीवहीं पुराने शहर के प्रमुख बाजारों में आवासीय और व्यावसायिक का अंतर खत्म कर देने से यहां मुख्य सड़क के मकानों की रजिस्ट्री महंगी हो गई है। हाल ही में सामने आई एनएचबी की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी किया गया है। कि भोपाल में एक साल प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त 26.72 प्रतिशत बढ़ी है। लेकिन ये खरीद नए और नव विकसित क्षेत्रों में ज्यादा बढ़ी है। जबकि पुरानी प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त में कम रुचि दिखाई है। जानकारों की मानें तो भोपाल में इसके दो कारण हैं, एक तो पुराने घने क्षेत्र और महंगी कलेक्टर गाइडलाइन और दूसरा पुरानी गलियां, सड़कें जहां अब विकास की उम्मीदें काफी कम हैं। वर्तमान में सबसे ज्यादा रजिस्ट्री भोपाल टू में आने वाले नए शहर में ही हो रही है। औसत अनुमान के अनुसार सौ में से 58 या 60 रजिस्ट्री नए तो 30 से 35 पुराने शहर में होती हैं, बाकी मॉडगेज के दस्तावेज रहते हैं।
इन क्षेत्रों में ज्यादा प्रोजेक्टकान्हासैया, लाम्बाखेड़ा, नीलबड़, कजलीखेड़ा, बैरसिया रोड, रायसेन रोड, खजूरी, परवलिया सड़क व अन्य स्थान हैं।
Published on:
13 Dec 2023 11:03 pm
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