
भोपाल। तेज और लंबी रेस के चलते चीतों की तीन हजार स्क्वायर किमी तक टै्रकिंग की व्यवस्था की गई है। इसके लिए चीतों को सेटेलाइट कालर आइडी लगाया गया है, इससे चीतों की लोकेशन मिलती रहेगी। वहीं प्रत्येक चीते के साथ एक ट्रेकिंग पार्टी रहेगी, जो उससे करीब डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर चलेगी। इसके चलते यह पार्टी चीते की लगातार निगरानी करेगी और अधिकारियों को नियमित रूप से अपडेट देगी। पन्न टाइगर रिजर्व में बाघों की पुनस्र्थापना के समय भी कुछ इसी तरह निगरानी व्यवस्था रखी गई थी।
चीतों को खुले जंगल में मार्च तक छोड़ा जाएगा। एक माह तक क्वारेंटाइन बाड़े में इसके बाद तीन से चार माह तक सौ क्वायर किमी के बाड़े में छोड़ा जाएगा। जब चीते यहां के हाबो हवा से यहां के जलवायु में ढल जाएंगे, तब इन्हें क्रमश: खुले जंगलों में छोड़ जाएगा। इससे पहले आहर-व्यवहार के अनुसार पूरी तैयारी कर ली जाएगी। सौ स्क्वायर के बाड़े में भी इनकी डेल और हर घंटे की मानीटरिंग की जाएगी और उसे रिकार्ड में लिया जाएगा। बताया जाता है कि सेटेलाइट आइडी कालर के जरिये हर घंटे पर चीते की लोकेशन लिए जाने की भी व्यवस्था है, लेकिन ऐसा करने पर कालर की बैट्री डिस्चार्ज होने के कारण जल्द बदलना पड़ेगा। उसे जल्दी-जल्दी बदलना संभव नहीं होगा। इसलिए अधिकारियों ने तय किया है कि हर चार घंटे में जानकारी ली जाएगी।
टावर पर लगे थर्मल कैमरे
पार्क में विशेष बाड़े के नजदीक पांच टावर बनाए गए हैं। जिन पर हाई रेज्युलेशन थर्मल इमेज कैमरे लगाए गए हैं, जो 360 डिग्री पर घूमकर जंगल को स्केन करेंगे। ये कैमरे रात में भी चीता सहित अन्य वन्यप्राणियों के मूवमेंट की पूरी जानकारी इकठ्ठी करेंगे। इससे पांच वर्ग किमी में नजर रखी जा सकेगी। ऐसे में लकड़ी चोर या शिकारी पार्क में घुसते हैं, तो कैमरे की नजर से वे भी नहीं बच पाएंगे।
मध्य प्रदेश के कई जिले होंगे इनके दायरे
मध्य प्रदेश के कई जिले चीतों के दायरे होंगे। इसमें श्योपुर के अलावा शिवपुरी, ग्वालियर, अशोक नगर, मुरैना सहित कई जिले होंगे। इसके अलावा मप्र के श्योपुर जिले से लगे राजस्थान के कुरैली, सवाईमाधवपुर, बांरां तक इनका भ्रमण का एरिया होगा। इसके चलते इन जिलों के वनविभाग के अधिकारियों से इस संबंध में बैठकें की जाएंगी।
भूखे पेट होगी यात्रा
चीतों की पूरी यात्रा भूखे पेट होगी। चूंकि वहां पर उन्हें क्वारेंटीन रखा गया है, यहां उन्हें शाम तक भोजन दिया जा सकेगा। उन्हें क्वारेंटीन प्रोटोकाल के हिसाब से हफ्ते में सिर्फ दो से तीन दिन ही भोजन दिया जाता है। अब उन्हें 16 को सुबह यहां के लिए रवाना किया जाएगा, इससे उन्हें एनेस्थीसिया दी जाएगी, इससे उन्हें भेजन नहीं दिया जाएगा। जिससे कोई दिक्कत न हो। उन्हें लकड़ी के छोटे बाड़े में रखने से पहले एनेस्थीसिया दी जाएगी और एक जयपुर में भी उन्हें एनेस्थीसिया दी सकती है। क्योंकि लकड़ी के पिंजरे युक्त बाक्स को चीनूक हेलीकाप्टर में रखा कर कूनों तक लाया जाएगा।
Published on:
16 Sept 2022 10:25 pm
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