भोपाल

भीड़ ले लो…भीड़: चुनावी मंडी में लग रही भाड़े के भीड़ की बोली

- भीड़ प्रबंधन में छूट रहा नेताजी का पसीना

2 min read
Sep 08, 2023

भोपाल@रूपेश मिश्रा

क्या खाक मजा है..जब नेताजी के साथ सौ- पचास आदमी जिंदाबाद के नारे लगाते ना चले। असल में तो भीड़ ही तय करती है नेताजी का सियासी वर्चस्व और कद। लेकिन इस भीड़ का प्रबंधन अब नेताजी के पसीने छुड़ा रहा है। क्योंकि चुनाव में छुटभैये नेता से लेकर दिग्गजों तक को भीड़ चाहिए। लेकिन भीड़ भी उसी के साथ जाएगी जिसके साथ भरपुर सेवा- पानी मिलेगा। लिहाजा इस चुनावी सीजन में इंसानों की बोली लगना शुरू हो गई है। बता दें पत्रिका ने इस रिपोर्ट को तैयार करने से पहले करीब 10 दिनों तक राजनीतिक दलों के दफ्तर के बाहर टिकट मांगने वाले दावेदारों के साथ आई भीड़ से चर्चा की तब जाकर कुछ रोचक तथ्य निकलकर सामने आए।

पहले खाने का पैकेट देते थे लेकिन अब नगद मिलने लगा है

एक नेताजी का समर्थन देने भोपाल पहुंचे एक बुजुर्ग व्यक्ति से जब हमने बात कि तो उन्होंने बताया कि अब सब नगद में हो गया है। पहले खाने के पैसे की जगह पुड़ी- सब्जी का डिब्बा बंटवाते थे लेकिन गर्मी बढ़ गई तो खाना खराब हो जाता था। इसलिए अब सबको एक टाइम खाने का 100 रूपए अलग से मिलने लगा है। यानी 800 से 1000 रूपए और दो टाइम का खाना तो मिल ही जाता है। चर्चा के दौरान उन्होंने बोला कि गांव में पड़े रहते इससे अच्छा थोड़ा घूम भी लिया और खर्चा भी मिल गया।

ज्यादातर नेता रात में ही लौटा देते हैं काफिला क्योंकि खर्च बढ़ेगा

बड़े- बड़े काफिलों से पार्टी मुख्यालय पर शक्तिप्रदर्शन करने वाले नेताओं का भीड़ प्रबंधन भी कुछ वैसा ही होता है। कई जगह तो नेता जी खास आदमी सिर्फ इसी प्रबंधन में लगा होता है कि काम होने के बाद गाड़ियों को वापस रवाना कर दिया जाए। अन्यथा लोग और गाड़ियां यदि रात में रूकेंगी तो खर्चा बढ़ेगा। पहला ठहरने के लिए होटल का खर्चा और दूसरा रात में रूकने के लिए भीड़ अतिरिक्त चार्ज करती है। फिर वो 300 से 500 रूपए तो हो सकता है।

...बताइए गाड़ी खराब हो गई नेताजी फोन नहीं उठा रहे

पत्रिका की टीम को रास्ते में एक खराब गाड़ी दिखी। जिसमें करीब 10 से 12 लोग सवार थे। टीम ने पूछा क्या हो गया..क्यों परेशान है। उन्होंने बताया कि नेताजी के समर्थन में आए थे। अचानक से गाड़ी बंद हो गई। अब फोन लगा रहे हैं तो फोन ही नहीं उठा रहे है। जबकि हम एमरजेंसी के लिए कुछ एक्स्ट्रा पैसा मांगे थे लेकिन उन्होंने नहीं दिया। अब बताइए क्या करें। अब तो ऐसे नेताओं के साथ कही नहीं चाएंगे जो पैसे देने में आनाकानी करे।

जिसके पास जितनी भीड़ नेताजी का उतना लाडला

बता दें भीड़ की किल्लत इतनी है कि पैसे देने पर भी व्यवस्थित लोग नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर नेता उन लोगों को पकड़े हुए हैं जिनके पास एकमुश्त भीड़ है। नेता जी के एक फोन पर वो भीड़ खड़ी हो जाता है। और एकबार में उसका भुगतान हो जाता है। चुनावी समय मे ऐसे लोगों की डिमांड बढ़ गई है और ऐसे लोग नेताजी के लाडले बन गए हैं।


पहली बार पत्रिका लेकर आया है भीड़ का रेटकार्ड

- एक दिन का प्रतिव्यक्ति 500 से 1000 रूपए खर्चा।

- खाने के लिए एक जून का 100 रूपए और 100 रूपए अन्य खर्चा।

- रात में रूकने पर 300 से 500 रूपए अतिरिक्त चार्ज और ठहरने की व्यवस्था।

- यदि लोकल शहर में नेताजी के साथ जाना है तो भोजन और 500 रूपए चार्ज।

- पांच घंटे से यदि अधिक समय लगा तो पूरे दिन का पैसा देना होगा।

( लोगों से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया रेटकार्ड )

Published on:
08 Sept 2023 08:30 pm
Also Read
View All

अगली खबर