-तीन साल में कोरोना से 10777 तो टीबी से 20518 की मौत
भोपाल. महामारी बनकर आए कोविड-19 वायरस ने प्रदेश ही नहीं देश और विश्वभर के सभी देशों को संकट में डाल दिया और हजारों जिंदगियां इसकी भेंट चढ़ी थीं, पर इस महामारी से ज्यादा मरीजों की मप्र में क्षय रोग (टीबी) की वजह से मौत हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय के संचारी रोग और उनसे पीडि़त मरीजों के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 से 17 मार्च 2023 तक मप्र में 10777 लोगों की कोविड-19 के कारण मौत हुई थी, वहीं इस दरमियान यानी तीन साल में टीबी से मरने वाली की संख्या इससे दोगुनी यानी 20518 रही। एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 से देशभर में 17 मार्च 2023 तक कुल 530795 मरीजों की मौत रिपोर्ट हुई है। हालांकि जानकार मौत के आंकड़े को कहीं अधिक बताते हैं। बहरहाल, इस दरमियान क्षय रोग से देशभर में 253885 मरीजों की मौत हुई है। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विश्व से इस बीमारी से पूरी तरह मुक्त करने के लिए 2030 तक की मियाद तय की है। मरीजों में क्षय रोग की पहचान और इसके इलाज के लिए राष्ट्रीय क्षय उन्नमूलन कार्यक्रम के तहत सभी जिलों में डॉट सेंटर के साथ ही 12 से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद लेने का दावा है।
तीन साल में इन राज्यों में टीबी से मौत
प्रदेश---वर्ष 2020--2021--2022
उप्र--18409---14913----16500
महाराष्ट्र--8785---6988---7809
गुजरात--6870---5472---6846
मध्यप्रदेश-5865---7677---6976
कर्नाटक--5605---4490---5236
तमिलनाडू--5365---4050---4966
पश्चिम बंगाल--5417---4320--4963
बिहार---2975---3341---4881
राजस्थान--4767---4616---4852
एक साल में 19 हजार से अधिक मरीज बढ़े
प्रदेश में एक साल में क्षय रोग के 19357 मरीज बढ़े हैं। वर्ष 2021 में मरीजों की संख्या 167027 थी, जो वर्ष 2022 में बढकऱ 186384 हो गई। प्रदेश के छतरपुर, ग्वालियर और भोपाल जिले में क्षय रोग से पीडि़त मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। तीन साल में इस बीमारी से मौत के मामले में मप्र देशभर में चौथे नंबर पर है। देश में सबसे अधिक 16500 मौत उप्र में हुईं। महाराष्ट्र में इस दरमियान 7809 मरीजों ने जिंदगी गंवाई।
मप्र में टीबी से मरीजों की मौत
वर्ष---- संख्या----मृत्यु दर
2018---4777----3
2019---6054----4
2020----5865----4
2021----7677----5.7
2022----6976----3.9
कुष्ठ रोग: देश में पांचवें पायदान पर मप्र
कुष्ठ रोग के 7319 मरीज मप्र में हैं, जबकि सबसे अधिक 17014 मरीज महाराष्ट्र में चिह्नित किए गए हैं। सबसे अधिक कुष्ठ रोगियों की संख्या के लिहाज से बिहार दूसरे तो उप्र तीसरे स्थान पर है। बिहार में 11318 तो उप्र में 10312 मरीज हैं। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ कुष्ठ रोगियों के मामले में चौथे नंबर पर है। यहां 7422 मरीज मिले हैं।
दावा: समग्र मॉनीटरिंग से बीमारी पर नियंत्रण
प्रदेश में क्षय रोग की रोकथाम के लिए समग्र मॉनीटरिंग के साथ ही जागरुकता को जरूरी बताया गया है। स्टेट टीबी प्रोग्राम की प्रभारी डॉ. वर्षा राय के मुताबिक मरीजों की पहचान के साथ ही उन्हें दवाएं मुहैया कराने और उनके स्वास्थ्य की नियमित मॉनीटरिंग की जा रही है। इसके लिए निजी क्लीनिक के डॉक्टरों को भी सहभागी बनाया है। टीबी के लक्षण मिलने पर मरीजों को स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने के साथ ही उनके इलाज के लिए डॉक्टरों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। मरीजों को नि:शुल्क दवाएं मुहैया कराई जाती हैं।
इधर, प्रदेश के इन जिलों को मिला पुरस्कार
विश्व क्षय रोग दिवस पर 24 मार्च को प्रदेश सरकार के 13 जिलों को क्षय रोग नियंत्रण पर उत्कृष्ट कार्य के लिए अवार्ड मिला है। नीमच, धार और मंदसौर को स्वर्ण तो बैतूल, देवास, शाजापुर और इंदौर को रजत पदक मिला है। मुरैना, मंडला, नरसिंहपुर और नर्मदापुरम जिलेे को कांस्य पदक दिया गया है। स्वर्ण पदक के लिए पांच लाख, रजत के लिए तीन लाख और कांस्य पदक के लिए दो लाख रुपए का पुरस्कार दिया गया है।