8वें करुणेश नाट्य समारोह में नाटक 'पृथ्वी राज चौहान' का मंचन
भोपाल। 8वें करुणेश नाट्य समारोह के अंतिम दिन मंगलवार को नाटक 'पृथ्वीराज चौहान' का मंचन हुआ। नाटक का लेखन, निर्देशन व परिकल्पना आशीष श्रीवास्तव ने की। नाटक में यह बताया गया कि अल्प आयु में भी पृथ्वीराज चौहान ने वीरता के जो कार्य किए, उनके कारण मृत्यु के एक हजार साल बाद भी वह याद हमेशा किए जाते हैं। अगर पृथ्वीराज के विरुद्ध मोहम्मद गौरी का साथ जयचंद ने न दिया होता तो हमारे देश का इतिहास आज कुछ अलग ही होता।
नाटक में दिखाया गया कि दिल्ली के चक्रवर्ती राजा पृथ्वीराज चौहान से सत्रहवीं बार हार के बाद मोहम्मद गौरी को यह अहसास हो गया कि वह भारत वर्ष के किसी वीर राजा की मदद के बिना पृथ्वीराज को नहीं हराया जा सकता। वह कन्नौज का राजा जयचंद से मित्रता करता है। पृथ्वीराज, मोहम्मद गौरी और जयचंद की सेनाओं के मध्य युद्ध होता है और इस बार पृथ्वीराज की पराजय होती है।
पृथ्वीराज को मोहम्मद गौरी, गजनी ले जाता है, जहां वह उसकी दोनों आंखों को लोहे की गर्म सलाखों से फुड़वा देता है। पृथ्वीराज तीर चलाकर मोहम्मद गौरी को मार देते हैं। मोहम्मद गौरी के सैनिक पृथ्वीराज पर कोई जुल्म न कर सकें, इसलिए चंद्रबरदाई पृथ्वीराज के पेट में छुरा घोंपकर फिर अपने पेट में छुरा घोप लेता है।
प्रो. रविन्द्र कोरिसेट्टार और डॉ. नारायण व्यास को डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर राष्ट्रीय सम्मान
भोपाल। डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर सम्मान से दो विभूतियों को बुधवार को सम्मानित किया जाएगा। प्रो. रविन्द्र कोरिसेट्टार को वर्ष 2010-19 और डॉ. नारायण व्यास को 2019-20 के लिए सम्मानित किया जाएगा। संस्कृति विभाग और संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय की ओर से राज्य संग्रहालय सभागार में शाम-4.30 बजे से आयोजित समारोह ये पुरस्कार संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर देंगी। पुरातत्व विभाग द्वारा पुरा सम्पदा के संरक्षण एवं पुरातत्विक संस्कृति के क्षेत्र में रचनात्मक, सृजनात्मकता व विशिष्ट उपलब्धियां अर्जित करने वाले सक्रिय भारतीय नागरिक और संस्था को यह सम्मान दिया जाता है। प्रो. रविन्द्र कोरिसेट्टार ने भारतीय प्रागैतिहास को विश्व में महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में अहम योगदान दिया है।