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एमपी के ये तहसीलदार जल्द बनेंगे डिप्टी कलेक्टर, इन्हें नहीं मिलेगा प्रमोशन, पढि़ए कहीं आप तो नहीं…

पिछले सात साल से अपने प्रमोशन का इंतजार करने वाले इन तहसीलदारों को जल्द ही प्रमोशन मिलने वाला है। प्रमोशन के बाद इन्हें डिप्टी कलेक्टर का प्रभार दिया जा सकता है। इसे लेकर सरकार ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। ऐसा होने पर कुल 220 तहसीलदार डिप्टी कलेक्टर बन जाएंगे। वर्ष 1999 से 2008 के बीच के तहसीलदार इस क्राइटेरिया में आ रहे हैं।

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भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश के तहसीलदारों के लिए खुश खबरी सुना दी है। पिछले सात साल से अपने प्रमोशन का इंतजार करने वाले इन तहसीलदारों को जल्द ही प्रमोशन मिलने वाला है। प्रमोशन के बाद इन्हें डिप्टी कलेक्टर का प्रभार दिया जा सकता है। इसे लेकर सरकार ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। ऐसा होने पर कुल 220 तहसीलदार डिप्टी कलेक्टर बन जाएंगे। वर्ष 1999 से 2008 के बीच के तहसीलदार इस क्राइटेरिया में आ रहे हैं। हालांकि, कुछ तहसीलदारों की विभागीय जांच चल रही है। इसके चलते उन्हें इस प्रमोशन में शामिल नहीं किया जा सकेगा। इधर, 500 से ज्यादा राजस्व निरीक्षक को नायब तहसीलदार बनाए जाने की कवायद जारी है।

सीएम से लगाई थी गुहार
मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ पिछले एक साल से पुलिस विभाग की तर्ज पर तहसीलदारों को प्रमोशन देने की मांग उठा रहा था। इसे लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान से लेकर उनके मंत्रियों तक से गुहार लगाई जा रही थी। आखिरकार अब यह मांग पूरी होने जा रही है।

अब तक होने थे दो प्रमोशन
मामले में तहसीलदारों का कहना है कि वर्ष 1999 से 2008 के बीच एमपी पीएससी के जरिए नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई थी, लेकिन उन्हें अब तक प्रमोशन नहीं मिला। यदि नियम के अनुसार प्रमोशन होता तो दो बार पदोन्नति हो जाती। अब तक वे जॉइंट कलेक्टर बन चुके होते, लेकिन पदोन्नति रुकने के कारण डिप्टी कलेक्टर भी नहीं बन सके। वर्तमान में 220 तहसीलदार हैं, जो पदोन्नति का रास्ता देख रहे हैं। वहीं जिन पर विभागीय जांच लंबित है, उनका इंतजार फिलहाल लंबा होने वाला है।

देखें आप इस दायरे में हैं या नहीं
वर्ष 1999 से 2008 के बीच जो नायब तहसीलदार बने और फिर तहसीलदार के पद पर पदोन्नत किए गए, लेकिन इसके बाद उन्हें अब तक प्रमोशन नहीं मिला। उन तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर बनाया जाएगा। जबकि इस क्राइटएरिया को पूरा करने के बावजूद उन तहसीलदारों को यह प्रमोशन नहीं दिया जाएगा, जिनके खिलाफ विभागीय जांच के मामले लंबित चल रहे हैं।

आरआई को नायब तहसीलदार बनाने की तैयारी भी
एक बार फिर आरआई (राजस्व निरीक्षक) को नायब तहसीलदार बनाने की प्रक्रिया जारी है। इसे लेकर सरकार पिछले महीने अक्टूबर में ही प्रस्ताव बना चुकी है। इसका क्राइटेरिया भी फिक्स किया जा चुका है। बता दें कि प्रदेश में अभी तक की स्थिति में नायब तहसीलदार के कुल 1242 पद मंजूर हैं। इनमें 502 पद खाली हैं। इस साल सेवानिवृत्ति के चलते दो पद रिक्त होंगे। ऐसे में कुल 504 पोस्ट खाली हो जाएंगी। यहां आपको बता दें कि अगले साल विधानसभा और 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में जिलों में नायब तहसीलदारों के पदों पर पोस्टिंग करना जरूरी हो गया है। प्रस्ताव में राजस्व विभाग ने इसका उल्लेख भी किया है। जिला स्तर पर इसकी प्रक्रिया जारी है।

अब तक पांच बार दी जा चुकी है शक्तियां
इससे पहले पांच बार राजस्व निरीक्षकों को नायब तहसीलदार की शक्तियां दी जा चुकी हैं। सबसे पहले 12 मई 2016 को शक्तियां दी गई थीं। इसके बाद 6 जून 2016, 1 जुलाई 2016, 16 मार्च 2017 और 2 जून 2017 को भी राजस्व निरीक्षकों को नायब तहसीलदार बनाया गया था। मप्र कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के विरोध के बाद 10 फरवरी 2020 को प्रभारी नायब तहसीलदारों को फिर से उनके मूल पद पर भेज दिया गया था।

नायब तहसीलदार बनने के लिए ये है क्राइटेरिया
ऐसे राजस्व निरीक्षक जिन्होंने पद पर 5 साल की सेवा पूरी कर ली हो। पांच वर्ष यानी वर्ष 2017 से 2021 तक के गोपनीय प्रतिवेदन होना चाहिए। समग्र मूल्यांकन का योग कम से कम 10 अंक हो। गोपनीय प्रतिवेदन में किसी में भी मूल्यांकन औसत से कम यानि घटिया श्रेणी का नहीं होना चाहिए ऐसे ही राजस्व निरीक्षक इस क्राइटेरिया में आएंगे। वहीं कोई विभागीय जांच, अनुशासनात्म कार्रवाई, लोकायुक्त समेत अन्य कोई केस या फिर दंड का प्रभाव यदि जारी है तो वे इस प्रमोशन के पात्र नहीं होंगे।