टाइगर की टेरेटरी में तस्कर सक्रिय, सैंड बोआ स्नेक, ब्लैक कैट, टर्टल और व्हाइट लिजार्ड निशाने पर
कलियासोत और केरवा के जंगलों में एक ओर टाइगर मूवमेंट पर है तो दूसरी ओर तस्कर घात लगाए बैठे हैं। ये तस्कर दिवाली पर तंत्र-क्रिया के लिए तांत्रिकों को वांछित वन्यजीव सप्लाई करने की फिराक में हैं।
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भोपाल. कलियासोत और केरवा के जंगलों में एक ओर टाइगर मूवमेंट पर है तो दूसरी ओर तस्कर घात लगाए बैठे हैं। ये तस्कर दिवाली पर तंत्र-क्रिया के लिए तांत्रिकों को वांछित वन्यजीव सप्लाई करने की फिराक में हैं। तस्करों की सक्रियता की भनक पाकर वन विभाग और क्राइम ब्रांच ने भी निगरानी तेज कर दी है।
कलियासोत और केरवा के जंगलों में कई तरह के दुर्लभ और लुप्तप्राय: वन्यजीव हैं। मछली के शिकार की आड़ में कछुए पकड़े जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सुंदरी प्रजाति का कछुआ सबसे ज्यादा कीमत पर बिकता है। इसपर तांत्रिक दिवाली की रात में तंत्र क्रियाएं करते हैं। इसके सिवा काली बिल्ली, सैंड बोआ (दुमुंही) और सफेद छिपकली की भी तस्करों की तंत्र क्रियाओं के लिए तलाश रहती है। कुछ दिन पूर्व एएसपी क्राइम ने सैंड बोआ सहित तस्करों को दबोचा था। सैंड बोआ की कीमत एक करोड़ रुपए से भी ज्यादा आंकी गई थी।
पर्यावरण से जुड़े लोगों को आशंका है कि इस क्षेत्र में विचरण कर रहे टाइगर के शावक कहीं तस्करों के हाथ न चढ़ जाएं। टाइगर व शावकों की लोकेशन जागरन यूनिवर्सिटी, कलियासोत डैम, केरवा डैम व नर्सरी से लेकर मेंडोरा-मेंडोरी तक बताई जा रही है।
मैंने सतर्कता के लिए छह वनकर्मियों की स्पेशल टीम गठित की है, जो रात-दिन कलियासोत-केरवा के पूरे इलाके में गश्त कर रही है।
डॉ. एसपी तिवारी, डीएफओ भोपाल
दिवाली पर तंत्र क्रियाओं के लिए वन्यप्राणियों की तस्करी की आशंका को देखते हुए वन्य क्षेत्र व आसपास पैनी नजर रखी जा रही है।