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बाघों को भाया भोपाल, प्रदेश के 22 जिलों में बनाया स्थाई ठिकाना

बाघों को भाया भोपाल, टै्रपिंग कैमरे में कैद हुए १० टाइगर, प्रदेश के २२ जिलों में बनाया स्थाई ठिकाना- चार साल में सात जिलों में बढ़ी बाघों की टेरिटरी- बाघों की संख्या साढ़े 4 सौ से ऊपर पहुंचने की संभावना

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भोपाल

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Ashok Gautam

Mar 02, 2019

बाघ

अब जानवरों को भी सताने लगी मोटापे की चिंता, बीमारियों के डर से शेर-बाघ-चीता कर रहे है डाइट, मिलन करने में हो रहीं परेशानियां

भोपाल। प्रदेश में बाघों की संख्या बढऩे के साथ ही इनके इलाके भी तेजी से फैल रहे हैं। २२ जिलों में ना केवल बाघों की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं बल्कि इन्होंने स्थाई ठिकाना भी बना लिया है।

यह खुलासा बाघों की गणना के लिए वन क्षेत्रों में लगाए गए टै्रपिंग कैमरों से हुआ है। भोपाल जिले का वन क्षेत्र बाघों को खूब भा रहा है, टै्रपिंग कैमरे में १० बाघ विचरण करते मिले हैं।

इनका कठौतिया और समर्धा के जंगल से लेकर भोपाल से लगे सीहोर और देवास जिले के वन क्षेत्र तक टेरिटोरियल है।

वन विभाग सूत्रों के अनुसार चार साल पहले वन्य जीवों की गणना के दौरान नेशनल पार्क और सेंचुरी के बाहर प्रदेश के १५ जिलों में बाघों की मौजूदगी के संकेत मिले थे। चार साल बाद इनकी संख्या बढ़कर २२ हो गई है और नए ठिकानों का पता भी चला है।

पहली बार टै्रपिंग कैमरे नेशनल पार्क और सेंचुरी के बाहर घने जंगलों में लगाए गए थे। इनमें ७० से ८० बाघों की २२ जिलों के वन क्षेत्रों में मूवमेंट के साक्ष्य मिले हैं। कई जगहों पर एक से अधिक बार मूवमेंट मिलने से माना जा रहा है कि बाघों ने अपना नया इलाका बना लिया है। यहां वे स्थाई रूप से रहने लगे हैं।

अगले माह आएंगे गणना नतीजे

वन विभाग के अधिकारियों की माने तो प्रदेश में बाघों की संख्या साढ़े चार सौ से ऊपर पहुंचने की संभावना है। हालांकि बाघों की राष्ट्रीय स्तर पर गणना भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून (डब्ल्यूआइआइ )द्वारा की जा रही है, जिसके परिणाम अगले माह तक आ सकते हैं।

लेकिन यहां से बाघों के पगमार्क, नाखूनों के खरोंच और कैमरा टै्रपिंग सहित अन्य के माध्यम से जो आंकड़े और रिकार्ड डब्ल्यूआइआइ को भेजे गए हैं, उससे नेशनल पार्क और सेंचुरी के बाहर ७० से ८० बाघों की मौजूदगी बताई गई है।

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वन विभाग बढ़ाएगा निगरानी

वन विभाग ने २२ जिलों के डीएफओ को पेट्रोलिंग बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। उन्हें यह कहा गया है कि ये बाघ भटककर नहीं पहुंचे हैं, बल्कि टेरिटरी को बढ़ा लिया है। इसलिए पेट्रोलिंग करने के लिए समय सारणी तैयार कर बीट गार्ड से लेकर रेंजर तक की ड्यूटी लगाएं। अगर अगर बाघों का मूवमेंट बस्ती की तरफ बढ़ रहा है तो उन क्षेत्रों में एक बीट गार्ड की नियमित तैनाती की जाए।

इसके साथ ही एक वन क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में उनके जाने के लिए कॉरीडोर तैयार किया जाए। विभाग ने जिन इलाकों में बाघों की मौजूदगी के साक्ष्य मिले हैं, वहां पानी के इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। तालाब, पोखर, नदी व नालों का पानी वन्य जीवों को संरक्षित करने को भी कहा है। दूसरे जीवों का पलायन नही हो इसका ध्यान रखते हुए चारे की व्यवस्था करने को कहा गया है।

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बढ़ेगी ट्रेपिंग कैमरों की संख्या

जिन क्षेत्रों में बाघों की संख्या बढ़ रही है वहां ट्रेपिंग कैमरे की संख्या बढ़ाई जा रही है। कैमरों की संख्या बढ़ाने-घटाने और दूसरे स्थानों में ट्रांसफर करने की जिम्मेदारी डीएफओ को दी गई है।

डीएफओ को यह भी कहा गया है कि कैमरे के अलवा बाघों के पगमार्क, सहित अन्य चीजों उनके लोकेशन की जानकारी तैयार करें और यह देखें की उनकी आवाजाही किस क्षेत्र की तरफ ज्यादा बढ़ रह है।
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इन जिलों में बनाया ठिकाना
भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, देवास, बैतूल, होशंगाबाद, बैतूल, दतिया, श्योपुर, सागर, दमोह, छतरपुर, पन्ना, सतना, उमरिया, शहडोल उत्तर, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा

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वर्जन

30 जिलों में बाघ भ्रमण करते हुए देखे गए हैं। 22 जिलों में अपना स्थाई ठिकाना भी बना लिया है। इस बात की पुष्टि टै्रपिंग कैमरों से हुई है। इन जिलों के डीएफओ को गश्ती बढ़ाने और लोगों का जागरूक करने के लिए कहा गया है।
आलोक कुमार,

एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ वन विभाग