
परिवीक्षा अवधि के वेतन में बड़ा घाटा- demo image
Salary- मध्यप्रदेश में राज्य सरकार यूं तो कर्मचारियों, अधिकारियों पर मेहरबान है पर ऐसे अनेक प्रावधान हैं जोकि सरकारी अमले के लिए नुकसानदायक साबित हो रहे हैं। ऐसे ही एक पुराने फरमान ने कर्मचारियों की नींद उड़ा रखी है। दरअसल इसके कारण उन्हें कम से कम पौने 2 लाख रुपए का घाटा हो रहा है। कुछ कर्मचारियों को तो 4 लाख रुपए तक का नुकसान हो रहा है। प्रदेश के थर्ड और फोर्थ क्लास कर्मचारियों को परिवीक्षा अवधि के वेतन में यह घाटा हो रहा है। कर्मचारी नेता और संगठन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से कर्मचारियों के हित में इस फरमान को निरस्त करने करने की मांग कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने सन 2019 में लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं को छोड़कर नवनियुक्त कर्मचारियों की परिवीक्षा के संबंध में फरमान जारी किया था। इसके अंतर्गत ऐसे कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि 3 साल कर दी गई थी।
राज्य सरकार का यही फरमान नव नियुक्त कर्मचारियों को लाखों रुपए का घाटा करा रहा है।
नए कर्मचारियों को इसके अंतर्गत 3 साल बाद पूर्ण वेतन दिया जाता है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने बताया कि यह नियम केवल कर्मचारी चयन मंडल से नियुक्त होने वाले कर्मचारियों पर ही लागू किया जा रहा है। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग से नियुक्त होनेवाले कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि अभी भी केवल 2 साल की है। उन्हें यह अवधि खत्म होने पर पहले साल से ही पूर्ण वेतन दिया जा रहा है।
कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी के मुताबिक प्रदेश में दो नियम लागू होने से नए कर्मचारियों से अन्याय हो रहा है। उनका कहना है कि प्रदेश के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को इस आदेश के कारण कम से कम पौने 2 लाख रुपए से लेकर 4 लाख रुपए तक का नुकसान भुगतना पड रहा है। कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी ने कर्मचारियों को इस नुकसान से बचाने के लिए पहले के समान 2 साल की परिवीक्षा अवधि लागू करने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में सीएम मोहन यादव को पत्र भी लिखा है।
Published on:
16 Dec 2025 09:37 pm
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