10 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कड़कड़ाती ठंड से बचाने के लिए यहां बिल्कुल मुफ्त में मिलता है कुत्तों का बोरिया- बिस्तर

- बेजुबान जानवरों को ठंड से बचाने तैयार कर रहीं जूट और पराली से बिस्तर

2 min read
Google source verification
dog.jpg

गुना जिले का वो दिल दहला देने वाला वीडियो आपने सोशल मीडिया में जरूर देखा होगा जिसमें एक हैवान पहले कुत्ते के पिल्ले को जमीन पर पटक देता है फिर लात मार- मार कर उसकी जान ले लेता है। उस वीडियो के वायरल होने के बाद से लोगों ने काफी रोष प्रकट किया था। लेकिन ऐसी नकारात्मक खबरों के बीच आज हम आपको एक सकारात्मक खबर बताएंगे। दरअसल भोपाल की स्नेहा सक्सेना बेजुबान जानवरों के लिए सराहनीय कार्य कर रही हैं। स्नेहा इस कड़कड़ाती ठंड से कुत्तों सहित अन्य बेजुबान जानवरों को ठंड से बचाने के लिए गद्दे तैयार करवाती हैं। और फिर उन्हें जरूरतमंदों के बीच मुफ्त में बांटती हैं।

पराली और जूट से तैयार होता है गद्दा

बेजुबान जानवरों को ठंड से बचाने वाला गद्दा पराली और जूट से मिलकर बनाया जाता है। इसको बनवाने में स्नेहा कुछ मजदूरों की मदद लेती हैं। उन्होंने बताया कि आसापास के खेतों में ही मजदूरों से जूट के कपड़े में पराली भरवाई जाती है। ऐसा इसलिए करवाया जाता है क्योंकि पराली में गर्मी होती है। जिसके ऊपर यदि जानवर रात में बैठ जाते हैं तो ठंग से काफी राहत मिलती है।

रेस्क्यू, नसबंदी और एडॉप्ट कैंप की पहल

स्नेहा की टीम में करीब 20 से 25 लोग हैं जो जानवरों का रेस्क्यू, नसबंदी और समय- समय पर एडॉप्ट कैंप लगाते हैं। स्नेहा ने बताया कि मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। लेकिन अब मैं पूरा समय बेजुवान जानवरों की सेवा पर ही देती हूं। हमारी टीम का नंबर- 9630057355 है। रोजाना कई फोन हमारी टीम के पास आते हैं हो सकता है केस की संख्या ज्यादा होने पर थोड़ा वक्त लगे। लेकिन हमारी कोशिश होती समय से मदद मिल सके।

लॉकडाउन में रोजाना 60 से 70 कुत्तों को खिलाया खाना

पशुप्रेमी स्नेहा ने बताया कि लॉकडाउन में तो हालात बहुत खराब थे। ऐसे वक्त में हमारी टीम ने रोजाना 60 से 70 कुत्तों को खाना खिलाती थी। उन्होंने बताया कि जब बेजुबान जानवरों के साथ ज्यादती के वीडियो सोशल मीडिया में देखती हूं तो मन व्यस्थित होता है। दरअसल ऐसे लोग आपराधिक मानिसकता होते हैं। जब वो जानवरों के साथ ऐसा कर रहे हैं तो समाज के लोगों के साथ कैसा करते होंगे।