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भोपाल

एमपी के इस अस्पताल में अब रंग देखकर किया जाएगा इलाज, जानिए क्या है नया सिस्टम

गंभीर मरीजों के लिए रेड जोन तो मामूली घायल को ग्रीन जोन में मिलेगा उपचार

भोपालOct 04, 2019 / 01:16 am

praveen shrivastava

Treatment in Hamidia Hospital Bhopal

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भोपाल. हमीदिया अस्पताल में अब गंभीर घायल मरीजों को एम्स की तर्ज पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए अस्पताल में नई कैजुअल्टी विंग (रिससिटेशन यूनिट) तैयार की गई है। इस विंग को ग्रीन, येलो, रेड जोन में बांटा गया है। अब इमरजेंसी में मरीज के पहुंचते ही डॉक्टर उसकी हालत देखकर उसके हाथ में ग्रीन, येलो या रेड बैंड बांधे जाएंगे। इन रंग के मुताबिक उसे ग्रीन, येलो या रेड जोन में पहुंचाया जाएगा जहां उसका इलाज होगा। ग्रीन जोन में सामान्य मरीज, यलो में थोड़े गंभीर और रेड जोन में अति गंभीर मरीजों को भर्ती किया जाएगा। संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव के मुताबिक मरीजों को गोल्डन ऑवर में इलाज देने के लिए कस तरह की कैजुअल्टी विंग का निर्माण किया गया है।

क्या होता है ‘गोल्डन ऑवर’
गंभीर हालत विशेषकर एक्सीडेंट मामलों में पहला घंटा अति महत्वपूर्ण होता है। अगर इस दौरान इलाज शुरू हो जाए तो मरीजों के मरने की आशंका 70 फीसदी तक कम हो सकती है। इस एक घंटे को ही ‘गोल्डन ऑवरÓ कहा जाता है।

कहां कितने बेड
अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक रेड जोन में कार्डियक मॉनीटर और वेंटीलेटर के साथ सक्शन मॉनीटर, डीफेब्रीलेटर जैसी होंगी ही। साथ ही यहां पोर्टेबल एक्स-रे मशीन तो वेंटिलेटर भी होगा। रेड जोन में 4 बिस्तर आरक्षित होंगे। इसी तरह यलो जोन में 6 बिस्तर और ग्रीन जोन में 8 बिस्तर होंगे।

ऐसे होगा काम
इसके लिए अस्पतालों के सीएमओ की एक पैनल तैयार किया जाएगा जो अस्पताल में रहेंगे। यह डॉक्टर सबसे पहले घायलों की जांच करेंगे। वे मरीजों को उनकी स्थिति के अनुसार जोन में रेफर कर देंगे। हर जोन के लिए स्पेशल टीम होगी।

यह होगा फायदा
अभी गंभीर मरीजों के इलाज के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। इमरजेंसी में मरीज आने पर उन्हें जांच से लेकर इलाज के लिए अलग अलग जगह भटकना पड़ता है। कई बार इसमें ही एक घंटे से ज्यादा समय लग जाता है। इससे मरीज की हालत और बिगड़ जाती है।

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