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मोतिया तालाब: मां से कहकर गया था- खीर बनाकर रखना, घर लौट कर आई लाश

 मैंने शोर मचाया तो सड़क पर खड़े लोग दौड़कर आए। तब तक वह बच्चा गायब हो चुका था, जिसे बाहर निकाला था।

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Krishna singh

Jun 13, 2016

motia talab in bhopal

motia talab in bhopal

भोपाल. 'मैं तो शाहवेज के लिए खीर बनाकर रोजा इफ्तार की तैयारी कर रही थी। बेटे ने सुबह ही कहा था कि अम्मी आज खीर बनाना। ...या अल्लाह ये क्या कयामत गुजरी..मेरे जिगर के टुकड़े को मुझसे छीन लिया... इफ्तारी से पहले मौत ले गई। चेहरा भी नहीं देखा और वो अलविदा कह गया।' यह कहते हुए शाहवेज की मां नम्मो-बी बिलख-बिलखकर रो पड़ी।

शाहवेज और मोहसिन की मौत की खबर सुनते ही उनके परिजन हमीदिया अस्पताल की मर्चुरी पहुंच गए। शाहवेज की मां बेटे का तो बुरा हाल था। वो बेटे का चेहरा देखने की जिद कर रही थीं। परिजन उन्हें बमुश्किल घर ले गए। शाहवेज तीन भाइयों में मझला था। उसकी तीन बहनें हैं। हादसे की सूचना मिलते ही शाहवेज के भाई मोहम्मद रफीक और मो. शाहब भी अस्पताल पहुंच गए। उनके पिता मो. मुश्ताक मैकेनिक हैं।

तीन साल पहले हो चुकी है बहन की मौत
मोहसिन चार भाई-बहनों में सबसे छोटा था। उसकी एक बहन फिरदौस की तीन साल पहले बीमारी के कारण मौत हो चुकी है। दो भाई असलान, फरहान तथा एक बहन अदीबा है।

मोहल्ले में मातम पसरा
दो बच्चों की मौत की खबर फैलते ही बागमुंशी इलाके में मातम पसर गया। दोपहर में सौ से ज्यादा लोग अस्पताल में जमा हो गए। परिवार ने मुआवजे की मांग भी की। वहीं हादसे में सुरक्षित फैज (15 वर्ष) ने पुलिस को बताया कि वह बहुत डर गया था।

थर्माकोल निकलते ही डूबने लगे थे बच्चे
तीनों बच्चे थर्माकोल बांधकर तालाब में कूदे थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि नहाने के दौरान एक बच्चे के शरीर से थर्माकोल निकल गया था। इससे उसने साथी को पकड़ लिया। नतीजतन साथी का थर्माकोल भी निकल गया। ऐसे में तीनों बच्चों का एक दूसरे को पकड़कर डूबने से बचने का प्रयास कर रहे थे।

काश! दोबारा नहाने नहीं आते बच्चे
प्रत्यक्षदर्शी आशू खान ने बताया कि जिन बच्चों की डूबने से मौत हुई है। उन्हें दो घंटे पहले मैंने भगाया था। बच्चों के कपड़े छीन लिए थे। लेकिन वे थोड़ी देर बाद फिर आ गए। ये दोबारा कब आए, पता नहीं चला।

एक को निकाला, तब तक दो डूब गए
'दोपहर करीब तीन बजे मैं मोतिया तालाब होते हुए मजार जा रहा था। तालाब का गेट को पार कर कुछ आगे गया तो बच्चों की पुकार सुनाई पड़ी। मेरी नजर उन तीन बच्चों पर पड़ी जो डूब रहे थे, मैंने सीधे तालाब में छलांग लगा दी। किसी तरह एक को निकाल कर बाहर लाया। उसे बैठाकर जैसे ही पलटा दोनों बच्चे डूब चुके थे। मैंने शोर मचाया तो सड़क पर खड़े लोग दौड़कर आए। तब तक वह बच्चा गायब हो चुका था, जिसे बाहर निकाला था। मुझे अफसोस रहेगा कि दोनों बच्चों को बचा नहीं पाया।

थर-थर कांप रहा था बच्चा
सैयद बताते हैं कि जिस डूबते हुए बच्चे को बाहर निकाला वह डर गया था। बाहर आते-आते थर-थर कांप रहा था।

किनारे पर खड़ा था एक बच्चा
सैयद के मुताबिक तीन बच्चे नहा रहे थे, जबकि एक बच्चा तालाब किनारे खड़ा था। मैंने उसे बुलाया भी, लेकिन वह नहीं आया। ऐसे में मैं अकेले ही पानी में बच्चों को तलाशता रहा। यदि वह मदद करता तो बच्चों को जल्द तलाशा जा सकता था।

भाई रोज लेथ मशीन पर काम सीखने जाता था। रविवार के दिन वह अक्सर दोस्तों के साथ घूमने जाता था। दोपहर दो बजे वह मोहसिन के साथ जाने की बात कहकर निकला था। साढ़े बजे हमें उसकी मौत की खबर मिली।
-मोहम्मद रफीक, शाहवेज का भाई

तीन साल पहले बेटी को खो चुका हूं। अब बेवक्त बेटा भी साथ छोड़कर चला गया। दोनों बच्चों की मौत ने मुझे तोड़कर रख दिया। प्रशासन इस हादसे के लिए जिम्मेदार है। हमें आर्थिक सहायता मिलना चाहिए।
-अख्तर हुसैन, मोहसिन के पिता

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इधर...कलियासोत में हादसा: एविएशन डायरेक्टर के बेटे ने बचाई दो किशोरों की जिंदगी
भोपाल. मैं कलियासोत डैम के पास शाम को वर्ड वॉचिंग के लिए गया था। मैं और मेरा दोस्त तालाब किनारे बैठे थे। तभी कुछ किशोर वहां नहाने लगे। दो दोस्त तो बाहर आ गए, लेकिन तीन नहाते रहे। मैंने उन्हें डूबते देखा तो तुरंत पानी में उतर गया। दो की जान तो बचा ली, लेकिन एक को नहीं बचा पाया। यह कहना है कलियासोत में दो बच्चों की जान बचाने वाले सक्षम सेठी का। वे इंजीनियर के छात्र हैं। उनके पिता अनंत सेठी एविएशन डायरेक्टर हैं।

अभिजीत चला गया गहराई में
सक्षम ने राम व राजेश का हाथ पकड़कर पानी से बाहर खींच लिया। वे अभिजीत को पकड़ पाते उससे पहले अभिजीत करीब पच्चीस-तीस फीट गहरे पानी में चला गया। इंजीनियरिंग छात्र ने हादसे की सूचना एसपी अंशुमान सिंह को दी। करीब आधे घंटे में पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई। शाम साढ़े छह बजे गोतखोर भी मौके पर आ गए। रात होने के कारण गोतखोरों ने अभियान रोक दिया। सोमवार को फिर शव की तलाश के लिए अभियान चलाया जाएगा।

चेतावनी का नहीं लगा है बोर्ड
कलिया सोत बांध में जिस जगह हादसा हुआ, वहां करीब दस फीट तो सामान्य गहराई है, इसके बाद पानी अचानक 25 से 40 फीट गहरा हो जाता है। बच्चे गहराई नहीं समझ पाए। हादसे के आसपास किसी भी जगह पानी के गहराई की जानकारी देने के लिए बोर्ड तक नहीं लगा है।

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