'दोपहर करीब तीन बजे मैं मोतिया तालाब होते हुए मजार जा रहा था। तालाब का गेट को पार कर कुछ आगे गया तो बच्चों की पुकार सुनाई पड़ी। मेरी नजर उन तीन बच्चों पर पड़ी जो डूब रहे थे, मैंने सीधे तालाब में छलांग लगा दी। किसी तरह एक को निकाल कर बाहर लाया। उसे बैठाकर जैसे ही पलटा दोनों बच्चे डूब चुके थे। मैंने शोर मचाया तो सड़क पर खड़े लोग दौड़कर आए। तब तक वह बच्चा गायब हो चुका था, जिसे बाहर निकाला था। मुझे अफसोस रहेगा कि दोनों बच्चों को बचा नहीं पाया।