
Union Minister Jyotiraditya Scindia
Union Minister Jyotiraditya Scindia: नवनीत मिश्र. केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं कि भारत डिजिटल हाईवे का नेतृत्व कर रहा है। आप पेरिस के एफिल टॉवर घूमने जाते हैं तो वहां भारतीय पेमेंट सिस्टम यूपीआइ से भुगतान की सुविधा है। दुनिया के कई देश भारत के यूपीआइ सिस्टम को अपना रहे हैं। कभी औद्यौगिक क्रांति के समय विकसित देश फिजिकल हाईवे पर जोर देते थे, आज 100 साल बाद भारत डिजिटल हाईवे का नेतृत्व कर रहा।पत्रिका से बातचीत के दौरान सिंधिया कहते हैं कि भारत ने डिजिटल डिवाइड को डिजिटल यूनिटी में बदल दिया है। आज विश्व के 46 प्रतिशत डिजिकल ट्रांजैक्शन, भारत में होते हैं।
देश में 6 जी संचार सेवाएं कब शुरू होंगी?
सिंधिया: भारत ने पूरे विश्व में सबसे तेजी से 5जी का रोल आउट किया है। करीब 82त्न हमारी आबादी कनेक्ट हो चुकी है। 20 करोड़ उपभोक्ता 5 जी का लाभ ले रहे हैं। 6जी के लिए विश्वस्तर पर मानचित्र और रूपरेखा बनाई जा रही है। हर देश के प्रतिनिधियों को इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन में नेतृत्व करने का मौका मिल रहा है। 6जी पेटेंट दाखिल करने वाले शीर्ष छह देशों में भारत शामिल है। हमारा लक्ष्य है कि जितने पेटेंट्स 6जी में लगेंगे, उसका 10 प्रतिशत भारत की तरफ से रहेगा। मेरा अनुमान है 2029-2030 तक विश्वस्तर पर 6 जी की तकनीक लागू हो जाएगी।
सैटेलाइट संचार सेवाएं कब तक शुरू हो सकेंगी?
सिंधिया: जियो, वन वेब और एलन मस्क की स्टारलिंक को सरकार ने लाइसेंस दे दिया है। एक दो कंपनियां और भी कतार में हैं। लाइसेंस के बाद स्पेक्ट्रम देने के लिए ट्राई का एडमिनिस्ट्रेटिव असाइनमेंट का जो नॉर्म होगा, उसका डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ( डीओटी) विश्लेषण करेगा। जब ये फाइनल हो जाएगा तब एडमिनिस्ट्रेटिव असाइनमेंट प्राइस पर स्पेक्ट्रम दी जाएंगी। इसके बाद इनस्पेस सहित अन्य एजेंसियों की भी अनुमति लेनी होगी। कंपनियां जैसे ही सारी अनुमति लेंगी, उनकी सर्विस तुरंत शुरू हो जाएगी।
मोनोपॉली रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है?
सिंधिया: दूरसंचार मंत्री के नाते उपभोक्ताओं को अधिक से अधिक विकल्प देना हमारी जिम्मेदारी है। उपभोक्ता पर निर्भर है कि कि वो ऑप्टिकल फाइबर, मोबाइल या फिर सैटेलाइट पर कम्युनिकेशन में किसका इस्तेमाल करना चाहता है। कंपटीशन होगा तोे कम दाम पर उपभोक्ताओं को सर्वश्रेष्ठ सुविधा मिलेगी।
सैटेलाइट संचार से देश को किस तरह से लाभ होगा?
सिंधिया: भारत ही नहीं विश्व के हर उस कोने में जहां टॉवर और ओएफसी फाइबर के तहत हम सर्विस नहीं दे पाते वहां सैटलाइट का ही चारा है। पूर्वोत्तर, उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर के दुर्गम क्षेत्रों में सेटेलाइट संचार से हर हिस्सा कनेक्ट होगा। किसी हादसे के वक्त जब सिस्टम डाउन हो जाता है तो केवल सैटलाइट से कनेक्टिविटी हो सकती है। सैटलाइट कम्युनिकेशन का इस्तेमाल ब्रॉडबैंड के आधार पे भी होगी। ब्राडबैंड और ओएफसी दोनों माध्यम से घर-घर ये सुविधा पहुंचेगी।
बीएसएनएल की 4 जी सेवाओं में देरी क्यों हुई?
सिंधिया: पीएम मोदी ने लक्ष्य बनाया था कि बीएसएनएल का फोर जी सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी होगा। आज तक सिर्फ चार देशों- कोरिया, फिनलैंड, स्वीडन और चाइना के पास ही 4 जी की अपनी तकनीक रही। 24 महीनों के अंदर तेजस, सी डॉट, टीसीएस ने मिलकर स्वदेशी सॉल्यूशन फोर जी का आविष्कार कर दिया। एक लाख साइट्स लग रहीं हैं। सितंबर तक साइट्स चालू होने की उम्मीद है। स्वदेशी 4 जी टेलिकॉम टेक्नोलॉजी में पांचवें देश के रूप में भारत ने एंट्री की है। अब भारत पूरे विश्व को तकनीक देगा।
बीएसएनएल की हालत सुधारने के लिए क्या किया?
सिंधिया: करीब तीन लाख करोड के पैकेज के आधार पर, भारत सरकार ने बीएसएनएल को अपने पैर पर खड़े करने के लिए पूरी ताकत लगाई है। 2007 के बाद 18 साल में पहली बार दो तिमाही में बीएसएनएल ने क्रमश: 262 करोड़ और 280 करोड़ का प्राफिट बनाया है। पांच हजार करोड़ का घाटा 60 प्रतिशत घटकर दो हजार करोड़ तक सीमित हो चुका है। बीएसएनएल अपने पैर पर खड़ा हो चुका है।
साइबर क्राइम रोकने के लिए मंत्रालय क्या कर रहा है?
सिंधिया: हमने डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट की स्थापना की। गृह मंत्रालय के साथ पांच सौ से अधिक संस्थानों को एक प्लेटफॉर्म पर लेकर आए। नेशनल सिक्योरिटी फायरवॉल बनाया। विदेशी नंबर से आने वाले फोन यानी इंटरनेशनल स्पैम कॉल्स को रोकने के लिए साफ्टवेयर बनाया। प्रतिदिन 1.30 करोड़ कॉल हमने रोका। अब ये कॉल घटकर प्रतिदिन 5 लाख सीमित हो गई है। इसी के साथ मोबाइल फोन को सुरक्षित करने के लिए ’अस्त्र’ सिस्टम का भी हमने आविष्कार किया है।
गांवों में बेहतर संचार सुविधाओं के लिए क्या किया?
सिंधिया: भारत नेट से 2,14,000 पंचायत जु़ड़ चुकीं हैं और करीब 7 लाख किलोमीटर का ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बीएसएनएल और भारत सरकार ने देश में बिछाए हैं। अब भारत नेट 2.0 की शुरुआत हम कर रहे हैं। शहरी और ग्रामीण कनेक्विटी के लिए करीब 1,39,000 करोड़ रुपये की यह विश्व की सबसे बड़ी योजना है। ताकि देश की 140 करोड़ जनता डिजिटल हाइवे का इस्तेमाल कर पाए।
डिजिटल डिवाइड को दूर करने का प्रयास सफल रहा?
सिंधिया: अब डिजिटल डिवाइड नहीं, डिजिटल यूनिटी की बातें होती हैं। सबसे ज्यादा ट्रांजैक्शन ग्रामीण इलाकों में हो रहे हैं। मेरा डाक विभाग भी डीबीटी के आधार पर पेमेंट कर रहा है। जब हम गांवों का दौरा करते थे तो पुराने जमाने में पूछा जाता था कि बताइए आपको इस योजना का लाभ मिल रहा है कि नहीं? तब लोग हाथ उठाकर जवाब देते थे। आज गांव के लोग मोबाइल उठाकर बताते हैं कि हां, हमारे खाते में पैसा आया है।
Updated on:
02 Jul 2025 02:21 pm
Published on:
26 Jun 2025 09:02 am
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