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UPSC Result: न रिज्यूमे बनाया न जॉब के लिए ट्राय किया, मुझे सिर्फ आईएएस बनना था

सिविल सेवा परीक्षा 2018 : अंतिम नतीजे घोषित, टॉप 10 में राजस्थान से चार, जयपुर के कनिष्क टॉपर, भोपाल की सृष्टि लड़कियों में अव्वल, भोपाल टॉपर सृष्टि ने कहा - मुझे सिर्फ आईएएस बनना था

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UPSC TOPPER srishti deshmukh

UPSC TOPPER srishti deshmukh

भोपाल. संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा 2018 के अंतिम नतीजे घोषित कर दिए हैं। राजस्थान के जयपुर निवासी कनिष्क कटारिया ने टॉप किया है। लड़कियों में भोपाल की सृष्टि जयंत देशमुख अव्वल रहीं।

सृष्टि ने भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि से केमिकल इंजीनियरिंग से बीई डिग्री ली है। सृष्टि 5वें स्थान पर हैं। उन्होंने कहा, यह मेरा बचपन का सपना था। यह मेरा पहला और अंतिम प्रयास था। टॉप करने वाले 25 अभ्यर्थियों में से 10 लड़कियां हैं। सृष्टि के अलावा प्रदेश के 4 अन्य छात्रों ने भी सफलता पाई।

कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में बीटेक डिग्री लेने वाले कनिष्क ने सिविल सेवा परीक्षा गणित से दी थी। अजा से आने वाले कनिष्क ने कहा, यह मेरा पहला प्रयास था लेकिन टॉप करूंगा ये उम्मीद नहीं थी। मैंने द. कोरिया में डेढ़ साल काम किया था।

वुमंस कैटेगरी में टॉपर बनीं भोपाल की सृष्टि देशमुख

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2018 का फाइनल रिजल्ट शुक्रवार को घोषित कर दिया है। फाइनल मेरिट सितंबर-अक्टूबर-2018 में आयोजित मुख्य परीक्षा और फरवरी-मार्च-2019 में आयोजित इंटरव्यू में प्रदर्शन के आधार पर जारी की गई है। इस बार कुल 759 उम्मीदवारों का चयन हुआ है।

सृष्टि देशमुख ने हासिल की ऑल इंडिया में 5वीं रैंक

इनमें जनरल कैटेगरी के 361, ओबीसी के 209, एससी के 128 और एसटी के 61 उम्मीदवार शामिल हैं। यूपीएससी उम्मीदवारों के माक्र्स रिजल्ट की घोषणा के 15 दिनों के भीतर जारी कर दिए जाएंगे। शहर के कस्तूरबा नगर में रहने वाली 23 वर्षीय सृष्टि देशमुख ने ऑल इंडिया में पांचवीं रैंक हासिल की है। वुमंस कैटगरी में उन्हें पहला स्थान हासिल हुआ है।

एलएनसीटी कॉलेज से किया बीई

सृष्टि को दसवीं में टेन सीजीपीए ग्रेड हासिल हुई थी। 12वीं में भी 93 प्रतिशत माक्र्स थे। सृष्टि ने राजधानी भोपाल के एलएनसीटी कॉलेज से वर्ष 2018 में मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री कम्प्लीट की। सेकंड ईयर से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। सृष्टि ने सोश्योलॉजी सब्जेक्ट चुना था।

मुझे स्कूली शिक्षा पर फोकस करना है

सृष्टि का कहना है मेरी पहली प्राथमिकता एमपी कैडर ही था। अच्छी रैंक मिलने के बाद एमपी कैडर ही लेना चाहूंगी। मप्र में स्कूलों में टीचर्स की कमी है। बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलती। इस फील्ड में काम करना चाहती हूं। साथ ही महिला सशक्तिकरण पर फोकस करना चाहूंगी।

फैमिली मोटिवेशन से किया लक्ष्य पर फोकस

सृष्टि का कहना है कि कई बार स्टडी के दौरान स्ट्रेस हो जाता था। आपको लगने लगता है कि ये कैसे हो पाएगा। इस दौरान परिवार मेरा सहारा बना। पापा जयंत देशमुख निजी कंपनी में इंजीनियर व सेल्स मैनेजर हैं। वहीं, मम्मी सुनीता स्कूल टीचर हैं। पापा-मम्मी और छोटा भाई अथर्व हमेशा मुझे मोटिवेट करते थे। इसी मोटिवेशन ने मुझे लक्ष्य पर फोकस करने में मदद की।

किसी कंपनी में जॉब के लिए नहीं दिया रिज्यूम

मुझे जब भी स्ट्रेस होता था मैं पूजा करना और संगीत सुनना पसंद करती थी। मैंने कभी प्लान-बी बनाने का सोचा भी नहीं। हमेशा बस आईएएस बनने का लक्ष्य लेकर ही पढ़ाई की। कॉलेज में कई बार फ्रेंड्स ने कैंपस में शामिल होने का सुझाव दिया, लेकिन मैंने कभी अपना रिज्यूम तक किसी कंपनी में जॉब के लिए नहीं दिया। सफल नहीं होती तो फिर से एग्जाम ही देती।

भोपाल में इंटरनेट की मदद से की स्टडी

सृष्टि का कहना है अधिकतर कैंडिडेट दिल्ली जाकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करते हैं। मैंने भोपाल में रहकर ही तैयारी की। इंटरनेट से स्टडी मटेरियल निकाला। ऑनलाइन क्लासेस भी ली। आपको इंटरनेट पता होना चाहिए कि इंटरनेट का सही उपयोग कैसे करें। मैंने सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूरी बना ली थी। फैमिली-फ्रेंडस को भी टाइम नहीं दे पाती थी। शादियों और रिश्तेदारों के घर जाना भी छोड़ दिया था।

अभी दक्षिण भारत में ले रही हूं ट्रेनिंग

574 वीं रैंक हासिल करने वाली वर्षा चालोत्रे वर्तमान में असिस्टेंट फॉरेस्ट कंजर्वेटर के पद कार्यरत हैं। उनकी ट्रेनिंग पिछले पांच माह से दक्षिण भारत में चल रही है। वर्षा ने कहा बताया कि यह यूपीएससी के लिए उनका छठवां प्रयास था। पिछले साल ही वे एमपी फॉरेस्ट सर्विस में चयनित हुई। पिता आरएल चालोत्रे आरजीपीवी की पॉलिटेक्निक विंग में कार्यरत हैं।

हमारी 6 शहर दिल्ली, जयपुर, भोपाल, इंदौर, पटना और बेंगलुरू में 7 ब्रांच है। हमारी संस्थान ने इस बार टॉप-10 स्टूडेंट्स दिए हैं। हमारा संस्थान मॉड्यूल बेस्ड टेक्निक से पढ़ाई पर फोकस करता है। हर सब्जेक्ट के चैप्टर को तोडकऱ स्टडी कराई जाती है। ग्रुप स्टडी की बजाए हर स्टूडेंट्स पर फोकस किया जाता है। डेली टेस्ट भी कंडक्ट कराए जाते हैं। आज तक किसी संस्थान ने इस तरह का रिजल्ट नहीं दिया है।
- डॉ. एआर खान, डायरेक्टर एण्ड फाउंडर, खान स्टडी ग्रुप (केएसजी)