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भोपाल। नगरीय निकाय अब अपने स्तर पर किसी भी प्रोजेक्ट में बदलाव नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही 50 हजार रुपए तक के निर्माण, विकास सहित अन्य प्रोजेक्टों की प्रशासकीय और तकनीकी स्वीकृति विभाग से लेनी होगी। यह व्यवस्था फिलहाल उन निर्माण और विकास कार्यों के लिए की गई है, जो केन्द्र और राज्य सरकारों के अनुदान से किए जाएंगे।
दर असल इस व्यवस्था को लागू करने के पीछे सरकार का मकसद यह है कि निकाय जिस प्रोजेक्ट स्वीकृति की गई है, उसी पर खर्च करें। होता यह है कि निकाय जिस प्रोजेक्ट के लिए राशि की मांग करते हैं अथवा डीपीआर स्वीकृति कराते हैं, उसे बाद में बदल देते है। बदलाव की वजह यह बताते हैं कि काम में तमाम तरह की अड़चने आ रही थी, जिसके चलते इस प्रोजेक्ट की राशि दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दी गई। इस तरह की दिक्कतें भोपाल, इंदौर सहित सभी निकायों में देखने में आई हैं। इसके चलते सरकार ने अब नई व्यवस्था लागू कर दी है। इस व्यवस्था से अब निकाय प्रोजेक्ट में किसी तरह से बदलाव नहीं कर पाएंगे। बदलाव के लिए उन्हें पर्याप्त कारण देना होगा और इसकी स्वीकृति भी विभाग से लेनी होगी।
होंगे अपनी कमाई के मालिक
निकाय अपनी कमाई के मालिक होंगे। वे कर संग्रहण से जितनी राशि अर्जित करेंगे उसे आपने स्तर पर खर्च कर सकेंगे। इसकी स्वीकृति सरकार से लेने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि प्रस्ताव को उन्हें अपनी परिषद में पास कराना जरूरी होगा। आम जनता के लिए प्रोजेक्ट कितना कारगर और लाभकारी होगा, इसकी जानकारी उन्हें प्रोजेक्ट में देनी होगी। सरकार वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें मिलने पर इसकी जांच पड़ताल कर सकेंगी। हालांकि पचास लाख से अधिक के निर्माण कार्यों के लिए सरकार के जरिए गठित तकनीकी कमेटी से उन्हें कार्य करने की अनुमति लेनी होगी।
Published on:
23 Nov 2022 09:05 pm
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