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स्वेटेनिया महोगनी हो रहा खत्म

- बहुपयोगी होती इस प्रजाति के वृक्षों की लकड़ी, पत्तों से बनाई जातीं कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों की दवाएं- जहाज, वाद्य यंत्र और फर्नीचर बनाने में भी इसकी लकड़ी का व्यापक प्रयोग- सीपीए फॉरेस्ट विंग ने 30 वर्ष पहले लिंक रोड 1 पर लगाए थे कई दर्जन पौधे, 50 डिग्री तापमान में भी सर्वाइव करता इसका पौधा - कंक्रीटाइजेशन से खत्म हो रही इन पेड़ों की बार्क और फ्लोयम, शाखों और पत्तों को नहीं मिल रहा पर्याप्त पोषण

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स्वेटेनिया महोगनी हो रहा खत्म

स्वेटेनिया महोगनी हो रहा खत्म

भोपाल. जानकारी नहीं होने के अभाव में राजधानी की आबो-हवा को स्वच्छ रखने वाले पेड़ों को धीरे-धीरे कत्ल किया जा रहा है। लिंक रोड 1 पर तीस साल पूर्व लगाए गए स्वीटेनिया या स्वेटेनिया महोगनी के वृक्षों में से बमुश्किल एक तिहाई ही बचे हैं।

करोड़ों की कीमत के वृक्ष कहां चले गए किसी को नहीं पता। अब कंक्रीटाइजेशन इन पेड़ों का दम घोंट रहा है, जिससे पेड़ों को पर्याप्त पोषण मिलना बंद हो जाएगा और पेड़ खत्म हो जाएंगे।

स्वेटेनिया महोगनी वृक्ष एक तरह का पर्णपाती वृक्ष है। सीपीए की फॉरेस्ट विंग के तत्कालीन अफसर और एक्सपर्ट डॉ. सुदेश बाघमारे बताते हैं कि लगभग तीस वर्ष पहले विभाग ने शहर की आबो-हवा स्वच्छ रखने और सौंदर्यीकरण के लिहाज से स्वेटेनिया महोगनी प्रजाति के 100 पौधे मंगवाए थे।

इनमें से चार-पांच पौधे एकांत पार्क में लगा दिए थे। शेष सभी पौधे लिंक रोड-1 पर सड़क के दोनों ओर नानके पेट्रोल पम्प तिराहे से प्रकाश तरण पुष्कर तिराहे तक लगाए गए थे। तीन दशक में इनमें से लगभग एक तिहाई पेड़ ही बचे हैं, शेष खत्म हो गए। इन पेड़ों का रखरखाव पहले तो सीपीए ने किया।

बाद में इनकी देखभाल नगर निगम के हवाले सौंप दी गई। नगर निगम के कई अधिकारी और कर्मचारी तक इस पेड़ के बारे में और उसकी उपयोगिता के बारे में नहीं जानते।

ऐसे हो जाएंगे खत्म
इन पेड़ों के तनों के पास इतना सटाकर कंक्रीटाइजेशन किया गया है कि पेड़ों की बार्क (छाल) और फ्लोयम कटकर निर्माण सामग्री अंदर घुस गई है। इससे पेड़ों की भोजन प्रक्रिया बाधित हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका परिणाम यह होगा कि पेड़ खत्म होने शुरू हो जाएंगे।

खाचरौद तहसील के अंतिम गांव कनवास में ऐसे ही एक युवा किसान मुकेश पाटीदार ने अपने पांच बीघा के खेत में महोगनी का बगीचा लगाया है। मुकेश ने 5 बीघा में 800 पौधे लगाए हैं। एक पौधे से करीब 40-50 हजार रुपए की आय होती है। मुकेश के मुताबिक एक बीघा में इसे लगाने की लागत 40-50 हजार रुपए आती है। 12 साल सिंचित करने के बाद एक बीघा से 1 करोड़ 20 लाख रुपए आमदनी होती है।

किसान नागेन्द्र ने अपने गांव से तकरीबन एक किलोमीटर दूर स्थित अपनी 22 डिसिमिल बंजर जमीन पर चार साल पूर्व महोगनी के 500 पौधे लगाए थे। था। तब लोगों ने उनकी मजाक उड़ाई थी। इस समय पौधे 25 से 27 फीट लंबे और दो से ढ़ाई फीट मोटे हो गए हैं।

महोगनी के 10 से 15 साल पुराने वृक्ष की कीमत लाख रुपए तक होती है। इसके पौधे सीधे कतार में और सूर्य की रोशनी के विपरीत लगाने चाहिए। बाद में आसपास सब्जियां और फलों आदि की भी उपज ली जा सकती है। पर्यावरण के लिए सर्वाधिक उपयोगी है। इसकी पत्तियों से बनने वाली खाद खेतों को उपजाऊ बनाने का काम करती है।

बहुपयोगी होता वृक्ष
महोगनी एक औषधीय पौधा है। इसके फल व पत्तों से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी, मधुमेह सहित अन्य रोगों की दवाएं बनाई जाती हैं। यह पौधा 5 वर्ष में एक बार बीज देता है। एक पौधे से 5 किलो बीज मिलते हैं। इसके बीज 1000 हजार रुपए प्रतिकिलो से अधिक महंगे बिकते हैं।

लकड़ी होलसेल में दो हजार से 2500 रुपए प्रति घन फीट बिकती है, जिससे फर्नीचर, जहाज, संगीत वाद्य, बंदूक/राइफल के बट आदि बनाए जाते हैं। यह पानी से खराब नहीं होती है, इसलिए इससे मेड़ भी बनाए जाते हैं। महोगनी वृक्ष की लकड़ी से चौकड़ा, फर्नीचर, और लकड़ी के अन्य नाव भी बनतीं हैं।


महोगनी का वृक्ष कीमती होने के साथ बहुत की इकोलॉजिकल सर्विसेज देता है। इसके 100 पौधे भोपाल में लगाए गए थे, जिनमें 4-5 एकांत पार्क और शेष सभी लिंक रोड-1 पर लगाए गए। कंक्रीटाइजेशन से पेड़ अंदर से खोखला होने लगता है और अंतत: खत्म हो जाता है।
- डॉ. सुदेश बाघमारे, एक्सपर्ट एवं पूर्व वन अधिकारी

स्वेटेनिया महोगनी के पेड़ों के बारे में जानकारी नहीं है। कहां, किस चीज से खतरा उत्पन्न हो रहा है, यह दिखवाया जाएगा और बचाने के सभी उपाय किए जाएंगे।
- मनोज मौर्य, एई, नगर निगम उद्यान शाखा