नौरादेही और रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर बनाया जाएगा, यह टाइगर रिजर्व दमोह, सागर और नरसिंहपुर जिले तक फैला होगा
भोपाल। नौरादेही अभयारण्य, सागर और रानी दुर्गावती अभयारण्य, दमोह को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसे वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व नाम दिया गया है। इसकी सीमा दमोह, सागर और नसरिंहपुर जिले में फैली होगी। यह प्रदेश का सातवां और क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व होगा। नोटिफिकेशन जारी होने के साथ मध्यप्रदेश देश में ऐसा राज्य हो गया है, जहां सबसे ज्यादा 7 टाइगर रिजर्व हो गए हैं। केन-बेतवा लिंक परियोजना में नए टाइगर रिजर्व का गठन किया जाना शामिल था। प्रधानमंत्री के 5 अक्टूबर के दौरे से पहले इसके गठन को मंजूरी दे दी गई। इसे चीता प्रोजेक्ट के लिए भी मुफीद माना गया है, भविष्य में यहां भी चीतों की शिफ्टिंग की जा सकती है।
2339 वर्ग किमी होगा एरिया
नए टाइगर रिजर्व में कोर एरिया 1414 वर्ग किलोमीटर का होगा। वहीं, बफर एरिया 925.120 वर्ग किलोमीटर का होगा। यह कुल मिलाकर 2339 वर्ग किमी में फैला होगा। इसके कोर एरिया से 16 गांवों को विस्थापित कर 2130.59 हेक्टेयर जमीन खाली कराई जा चुकी है। जबकि सागर, दमोह और नरसिंहपुर के 52 गांवों को विस्थापित कर 16722.68 हेक्टेयर भूमि खाली कराई जाएगी। इसके लिए करीब एक हजार करोड़ खर्च करना होंगे। टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में 81 गांव आएंगे।
महाराष्ट्र से आगे निकल जाएगा मप्र
मध्य प्रदेश में नया टाइगर रिजर्व बनने के साथ देश के सबसे अधिक सात टाइगर रिजर्व यहां हो गए हैं। प्रदेश में अभी सतपुड़ा, पन्ना, पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व है। प्रदेश में बाघों की संख्या 785 है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में छह-छह टाइगर रिजर्व थे। दूसरे नंबर पर कर्नाटक में पांच टाइगर रिजर्व हैं। नौरादेही वर्तमान में लगभग 15 बाघ हैं। दोनों अभ्यारण्य अभी पन्ना, सतपुड़ा और बाधवगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए एक गलियारे के रूप में कार्य करते हैं।
जैवविविधता में भी समृद्ध है क्षेत्र
यहां जंगली सूअर, नीलगाय, चिंकारा, चीतल, सांभर जैसे बड़े शाकाहारी जीव पाए जाते हैं, जो बाघों का मुख्य आहार हैं। यह विंध्य पर्वतमाला के नजदीक पठारी हिस्सा है। यहां मिश्रित और छिछले वन हैं। 49 से ज्यादा प्रजातियों की झाडिय़ां, 18 प्रकार की बेल- लताएं, 92 प्रजातियों के वृक्ष और 35 से ज्यादा प्रकार की घास पाई जाती है। यहां महुआ, करंज, बेल, खैर, तेंदू के वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं। खुले जंगल और घास के बड़े-बड़े मैदान होने से यहां तेंदुआ, भेडिय़ा, जंगली कुत्ता जैसे वन्यप्राणियों के अलावा 250 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी, जलचर, उभयचर और शाकाहारी- मांसाहारी जीव और वनस्पतियां भी हैं जो इस क्षेत्र को जैव विविधता के मामले में प्रदेश में सबसे समृद्ध बनाता है। यहां करीब 22 तेंदुआ भी है। कॉरिडोर के जरिए वन्यप्राणी पूरे क्षेत्र में भ्रमण कर सकेंगे।
1975 में बना था नौरादेही अभयारण्य
वर्ष-1975 में नाैरादेही गांव के नाम पर अभयारण्य की स्थापना की गई थी। 2018 में यहां बाघ शिफ्टिंग प्राेजेक्ट पर काम हुआ। महज 5 साल में 15 बाघाें का कुनबा हाे गया। नाैरादेही में पन्ना व रातापानी के जंगल से भी बाघाें का मूवमेंट रहता है। रानी दुर्गावती अभयारण्य अभी 23.2 वर्ग किलोमीटर में फैला है, यह प्रदेश का सबसे छोटा अभयारण्य था। चीता परियोजना के लिए मध्य प्रदेश में कूनो राष्ट्रीय उद्यान, नौरादेही और गांधीसागर अभयारण्य पसंद किए गए। पन्ना टाइगर रिजर्व में दौधन बांध बनने के बाद करीब टाइगर रिजर्व सहित वन क्षेत्र की 6017 हेक्टेयर जमीन डूब जाएगी।